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Motivational Poems in Hindi : प्रेरणादायक हिंदी कविताएं

Motivational Kavita in Hindi

by Sandeep Kumar Singh
18 minutes read

प्रेरणादायक हिंदी कविताएं | Motivational Poems in Hindi

हमारे जीवन में अलग-अलग ऐसी परिस्थितियाँ आती है जब मोटिवेशन की हमें सख्त जरूरत होती है। जैसे जब हम किसी असफलता या निराशा से गुजर रहे हो या कोई बड़ी सफलता पाने के लिए हमें कुछ बड़ा करना हो। और कविताएँ दिल में मोटिवेशन पैदा करने का एक बहुत ही कारगर साधन है। इसीलिए हमने अलग-अलग हालातों के लिए मोटिवेशनल कवितायेँ लाये है इस पोस्ट Motivational Poems In Hindi में।

प्रेरणादायक हिंदी कविताएं

1. पड़ती है जब कठिनाई

कभी-कभी इंसान के जीवन में ऐसा समय आता है जब उसे किसी की सहायता की जरूरत होती है। लेकिन ऐसे ही समय में सब उसका साथ छोड़ देते हैं। ऐसे में कई बार लोग मानसिक तौर पर टूट जाते हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि रात के बाद जिस तरह सुबह आती है उसी तरह दुख के बाद सुख आता है। हमें हार ना मानते हुए बस डटे रहना है। समय बदलेगा तो खुशियाँ खुद दरवाजे पर दस्तक देंगी।

दर-दर भटक-भटक कर मैंने
जीवन सीख यही पाई,
साथ छोड़ते संकट में सब
पड़ती है जब कठिनाई।

स्वयं भाग्य से लड़ना होगा
वीर तुझे बनना होगा
विजय हाथ में आएगी बस
धीर तुझे बनना होगा,
दुख आया, सुख भी आएगा
ध्यान रखो मेरे भाई
साथ छोड़ते संकट में सब
पड़ती है जब कठिनाई।

हाथ मिलाकर चलने वाले
हाथ जोड़कर जाते हैं
कितने भी अपने हों सब
साथ छोड़कर जाते हैं,
कहने को सब अपने हैं पर
पड़े ना कोई दिखाई
साथ छोड़ते संकट में सब
पड़ती है जब कठिनाई।

रख संयम इस अंधकार में
पग-पग बढ़ते जाना है
भोर नहीं जब तक हो साथी
गीत यही बस गाना है,
डटा रहे जो वही विजेता
यही जगत की सच्चाई
साथ छोड़ते संकट में सब
पड़ती है जब कठिनाई।

दर-दर भटक-भटक कर मैंने
जीवन सीख यही पाई,
साथ छोड़ते संकट में सब
पड़ती है जब कठिनाई।

– संदीप कुमार सिंह


2. कदम बढ़ाते चले आज हम

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एक योजना जरूरी नहीं है। जरूरी है तो उस योजना पर कार्य करना। हम में से कई लोग किसी भी काम के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। किसी चीज में देर होती है तो बस उस काम को शुरू करने में। ऐसे समय में हमें हमारे लक्ष्य पर हमें जीत कैसे प्राप्त हो सकती है।

Motivational Poems in Hindi

कब से दबी पड़ी थी दिल में
जो भड़क रही चिंगारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

जो बीत गया सो बीत गया
हम डर-डर कर क्यों जीते हैं
बैठ अकेले में अकसर ही
क्यों ग़म के आंसू पीते हैं,
कब तक कोसेंगे किस्मत को
अब कुछ करने की बारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

मजबूर नहीं कमजोर नहीं
मजबूत हो अपनी सोच सदा
इंसान हौसला रखता जब
चलता है उसके साथ खुदा,
बड़े-बड़े योद्धाओं ने भी
ऐसे ही बाज़ी मारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

तोड़ेंगे हम चट्टान सभी
तूफानों से लड़ जाएंगे
पार करेंगे पथ पथरीले
मंजिल अपनी हम पाएंगे,
बढे चलेंगे नहीं रुकेंगे
हमने कर ली तैयारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

दुनिया हमको पहचानेगी
इक दिन ये है विश्वास हमें
अभी तो बस शुरुआत है की
अब लिखना है इतिहास हमें,
अपनी तकदीर बदलने की
ली हमने जिम्मेदारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

कभी दुनिया में हारा नहीं
जिसने भी हार न मानी है
जग में परचम लहराता वो
करना कुछ जिसने ठानी है,
आगे बढ़ हासिल लक्ष्य करो
फिर ये दुनिया तुम्हारी है
कदम बढ़ाते चले आज हम
बस अब तो जीत हमारी है।

– संदीप कुमार सिंह


3. लक्ष्य मिलना चाहिए कविता

एक इन्सान के जीवन में कोई लक्ष्य होना उतना ही जरूरी है जितना उसका जीना। बिना लक्ष्य के इन्सान सारा जीवन बस भटकता रहता है। उसके जीवन का कोई अर्थ नहीं होता। जीवन का आनंद वाही उठा सकता है जिसका कोई लक्ष्य होता है।

त्याग के चिंता तुझे घर से निकलना चाहिए,
मार्ग कोई भी रहे, बस लक्ष्य मिलना चाहिए।
बांधती हैं जो तुझे वो बेड़ियाँ सब तोड़ना
ठोकरों से जो गिरो तो हौसला मत छोड़ना,
सीख कर इनसे हमें चुपचाप चलना चाहिए।
मार्ग कोई भी रहे, बस लक्ष्य मिलना चाहिए।
थामता रहता सदा है भागने देता नहीं
बस गया तेरी नसों में जागने देता नहीं,
रोकता है जो तुझे हर भय पिघलना चाहिए।
मार्ग कोई भी रहे, बस लक्ष्य मिलना चाहिए।
देख लेगा ये ज़माना, हम किसी से कम नहीं
चाह हमको है जहाँ की हम उड़ेंगे बस वहीं,
पंछियों जैसा हृदय में भाव पलना चाहिए,
मार्ग कोई भी रहे, बस लक्ष्य मिलना चाहिए।
सोचते हर बार लेकिन पाँव बढ़ते ही नहीं
हार जाते हैं हमेशा जो बदलते ही नहीं,
जीतना है तो समय अनुसार ढलना चाहिए।
मार्ग कोई भी रहे, बस लक्ष्य मिलना चाहिए।

– संदीप कुमार सिंह


4. मुकद्दर पर कविता

मुकद्दर एक ऐसी चीज है जो जब तेज होती है तो आपका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। परन्तु यह मुकद्दर बनता कैसे है? जब हम संघर्ष की आँधियों में पल कर सफलता प्राप्त करते हैं तो हमारा मुकद्दर खुद-ब-खुद तेज हो जाता है।

बढ़ना है आगे हमको
इस जग पर छा जाना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

न डरना है तूफानों से
हमें जाना है आसमानों पे
न देखें किसी का साथ कभी
न जियें किसी के अहसानों पे,
इस जग को बस अब हमको
अपना हर हुनर दिखाना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

गर हार हुयी तो गम कैसा
जो छूट गया वो दम कैसा
जो भाग गया मैदान से है
वो जीतने में सक्षम कैसा,
रणक्षेत्र में रहकर हमको
दुश्मन को मार भागना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

धीमी न हो रफ़्तार कभी
होगी अपनी जीत तभी
क़दमों में दुनिया होगी
अपने होंगे लोग सभी,
मंजिल पाने की खातिर
संघर्ष का राह अपनाना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

नदिया की भांति बहना है
हमें बस चलते ही रहना है
कितनी भी मुसीबत आये पर
किसी से कुछ न कहना है,
पाकर के सफलता हमको
जग में अपना यश फैलाना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

बढ़ना है आगे हमको
इस जग पर छा जाना है
अपनी ही मेहनत से हमको
अपना मुकद्दर बनाना है।

– संदीप कुमार सिंह


5. कामयाबी की कविता :- उन्हीं के किस्से आम होते हैं

ये कामयाबी की कविता उन लोगों को समर्पित है जो समझ की परवाह न करते हुए एक अलग ही राह चुनते हैं और सफल हो कर एक नया इतिहास रच देते हैं। इस दौरान उन्हें कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है। मगर वो कामयाबी ही किस काम की जो आसानी से मिल जाए।

जो सोचते हैं अलग दुनिया से
जिनके अलग काम होते हैं,
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

भरे होते हैं हौसलों से
चाहे कितना भी बुरा वक्त हो
उफ़ तक नहीं करते
चाहे हालात कितने भी सख्त हों,
सपने करते हैं साकार
चाहे सौ बार नाकाम होते हैं
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

जब चलती है आंधियां
तबाही के तूफ़ान चलते हैं
ऐसी ही घडी में
दिल में कुछ अरमान पलते हैं,
जिनकी जिंदगी के सभी पल
फिर उसी अरमान के नाम होते हैं
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

ढूंढते हैं जो अवसर अक्सर
अपनी परेशानियों में
शामिल हो जाते हैं वो
शोहरत की कहानियों में,
आगाज़ कैसे भी हों
बेहतर उनके अंजाम होते हैं
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

नहीं माने जो हार भले
कितनी ही बड़ी मुसीबत हो
बस बढ़ना है हमको आगे
सबको यही नसीहत हो,
मजबूरी में भी जो कभी
न किसी के गुलाम होते हैं
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

वही रचते हैं इतिहास नया
दुनिया में जाने जाते हैं
उनके जीवन के बारे में
उनके दीवाने गाते हैं,
गुजरते हैं जहाँ से वो
वहीं लोगों के सलाम होते हैं
उन्हीं को मिलती है कामयाबी
उन्हीं के किस्से आम होते हैं।

– संदीप कुमार सिंह


6. चल छोड़ दे रोना तू जरा मुस्कुरा दे

परेशानियां किसके जीवन में नहीं आती? सबके जीवन में आती हैं, सब परेशान होते हैं। कुछ लोग इसके लिए तैयार रहते हैं और इसका सामना कर अपनी उदास-बेरंग दुनिया में खुशियों के रंग भर देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसी परिस्थितियों में हौसला छोड़ देते हैं और अपनी हालत को किस्मत के भरोसे छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है कि वो हार गए हैं लेकिन हार उनकी नहीं होती जो किसी कराया में असफल हो जाएँ। हारते तो वो लोग हैं जो दुबारा प्रयास नहीं करते।

चल छोड़ दे रोना तू जरा मुस्कुरा दे
न रुकना राहों में तू कदम बढ़ा दे,
मुश्किलों का है जो तूफ़ान उसको हरा दे,
दिखा दे दुनिया को तू है क्या?
अपनी पहचान से वाकिफ करा दे,
चल छोड दे रोना तू ज़रा मुस्कुरा दे।

ये जीवन भी खेल ही है तो है
क्यों हार मानें?
हम भी हटें ऐसे कैसे जिद हैं ठाने,
जब तक न जीतेंगे मैदान न छोड़ेंगे,
हम तो भरम सब लोगों के अब तोड़ेंगे,
लाज शर्म के परदे अब तू गिरा दे,
चल छोड़ दे रोना तू जरा मुस्कुरा दे।

गिर जो गया तो बात क्या? कोशिश है जारी
आज नहीं तो कल को होगी अपनी भी बारी
पा लेंगे मंजिल अपनी आसमान छू लेंगे
एक नई मिसाल हम इस जग को देंगे,
बस हौसलों की लौ तू अब जला ले
चल छोड दे रोना तू ज़रा मुस्कुरा दे।

जिन्दा तो है सारी दुनिया
तुझे जिंदगी जीनी है,
दिखा दे दुनिया को कैसे
किस्मत से खुशियाँ छीनी हैं,
रच दे अब इतिहास नया सबको अपना बना ले
चल छोड दे रोना तू जरा मुस्कुरा दे।

– संदीप कुमार सिंह


7. मंजिल तो मिल ही जायेगी

मंजिल भले ही दूर हो लेकिन एक-एक छोटे कदम से एक दिन रास्ते जरूर ख़तम हो जाते हैं। जरूरत होती है तो बस एक कदम बढ़ने की जो जब चले तो बिना मनिल पर पहुंचे कभी रुके नहीं।

Motivational Poems in Hindi

यूँ ही ख्यालों से न टकराओ
बेवजह न अपना समय गवाओं
मंजिल तो मिल ही जायेगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

ये धरती तुम्हारी है, ये गगन तुम्हारा है
तुम्हारा हौसला ही तुम्हारा सहारा है,
छोड़ सोच परेशानियों की तुम जरा मुस्कुराओ
मंजिल तो मिल ही जाएगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

बढ़ते वही जो चलते हैं
लगा दें जान तो पहाड़ भी हिलते हैं,
उठा लो हल अब मेहनत का
बंजर किसमत पर सफलता की फसल उगाओ,
मंजिल तो मिल ही जायेगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

गिर जाओ जो राहों में
तो उठ खड़े तुम फिर होना,
मतलबी इस दुनिया में न मदद को
हाथ कभी तुम फैलाओ,
मंजिल तो मिल ही जाएगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

वक़्त की आंधियां, दुःखों के तूफान
जो तुम्हें करें कभी परेशान या
फंस जाओ कभी जीवन के कीचड़ में
तो फिर तुम कमल बन खिल जाओ,
मंजिल तो मिल ही जाएगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

मत कोसना किसी और को
गर हालात ये बदतर हो जाएं,
ये फल है तुम्हारे कर्मों का
कर नेक काम हालात हक़ में लाओ,
मंजिल तो मिल ही जाएगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

है दूर सही पर है तो सही
कैसे मिल जाए जो खड़ा वहीं,
पाकर मुकाम अब अपना तुम
इस जग पर तुम छा जाओ,
मंजिल तो मिल ही जायेगी
तुम जरा अपने कदम तो बढ़ाओ।

– संदीप कुमार सिंह


8. मुझे अपनी मंजिल को पाना है

भटकता हुआ मैं राही नहीं हूँ
आगे बढ़कर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।
देख चट्टानों सी मुसीबतों को
ना हिम्मत हारनी है।
चीर कर इनका सीना
मुझे अपनी राह जाना है।

बहुत दर्द भरा है सबके जीवन में आजकल
मैं मिटा तो नहीं सकता लेकिन
कम करने के इरादे से
मुझे सबको हँसाना है।
ख़त्म हो जाती है जहाँ
ख्वाहिशें दुनिया भर की।
आज तक ना मिल पाया
ना जाने कहा वो पैमाना है।
भटकता हुआ रही नहीं हूँ मैं
आगे बढकर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।

वक्त कहाँ है किसी के पास
की कोई दर्द सुने मेरा
मुझे ख़ामोशी से हर लफ्ज
सबके दिलों तक पहुंचाना है।
साथ देता है हर हाथ
जब सितारे बुलंद होते हैं
गर्दिशें हो जब
किस्मत में बेशुमार।
अनजान लोगों में फिर
अपनों ने कहा पहचाना है

जहाँ मिले दौलत प्यार की
अब मुझे उस जहान तक जाना है।
भटकता हुआ रही नहीं हूँ मैं
आगे बढकर मुझे अपनी मंजिल को पाना है।

– संदीप कुमार सिंह

Motivational Poems in Hindi में ऊपर के सभी प्रेरणादायक कविताओं के रचनाकार “संदीप कुमार सिंह” के रचनाएँ पढ़िए।


More Motivational Poems in Hindi

चल आगे बढ़, तूफाँ से न डर
चल कश्ती उठा, सागर में उतर,
ये लहर जो उठती उठने दे
करना अब तू कोई अगर मगर,
चल आगे बढ़, तूफाँ से न डर
चल कश्ती उठा, सागर में उतर।

चल आगे बढ़… पूरी कविता पढ़े>>

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे,
तू रुख हवाओं का मोड़ दे,
हिम्मत की अपनी कलम उठा,
लोगों के भरम को तोड़ दे,
तू छोड़ ये आंसू उठ हो खड़ा,
मंजिल की ओर अब कदम बढ़ा,

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे.. पूरी कविता पढ़े>>

न बोलूँगा न देखूंगा दुनिया से नाता तोडूंगा
न रुकना है न थकना है सपने पूरे कर छोडूंगा ,
मैं जान फूंक दूंगा अब तो अपना रास्ता न मोडूँगा
सपने पूरे कर छोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा।

सपने पूरे कर छोडूंगा… पूरी कविता पढ़े>>

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2 comments

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जयेंद्र हरदुले, गोंदिया (महाराष्ट्र) फ़रवरी 3, 2022 - 4:50 अपराह्न

मानवता के गीत चाहिए।

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जयेंद्र हरदुले, गोंदिया (महाराष्ट्र) फ़रवरी 3, 2022 - 4:48 अपराह्न

प्रेरणादायी कविताए।

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