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आप पढ़ रहे हैं कविता रंग पर्व होली :-
कविता रंग पर्व होली
रंग – बिरंगी होली आई
लेकर संग धमाल,
लोग प्रेम से इक – दूजे पर
रंग रहे हैं डाल।
मस्तानों की रही टोलियाँ
गली – गली में घूम,
मची हुई है सभी ओर ही
‘होली है’ की धूम।
रंग भरी पिचकारी बच्चे
रहे परस्पर मार,
मन में उनके खुशियों की है
छाई मस्त बहार।
घर – बाहर की चिन्ता सारी
मन से दूर धकेल,
महिलाएँ भी मिलकर होली
आज रही हैं खेल।
नाच रहे हैं कई लोग तो
बजा – बजाकर चंग,
ऊँचे सुर में कोई गाता
मन में लिए तरंग।
होली है त्यौहार खुशी का
इसमें सब दुःख भूल,
लोग गले मिल खिला रहे हैं
मुस्कानों के फूल।
होली हमको मेल-जोल का
देती है संदेश,
महका जाता रंग-पर्व यह
सामाजिक परिवेश।
हम आपस के भेद भुलाकर
बाँटें सबमें प्यार,
और मनाएँ मिल-जुलकर सब
होली का त्यौहार।
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