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एक प्रेमी द्वारा लिखी अपनी प्रेमिका के प्रति भावनाओं की कविता, मेरी चाहत पर कविता :-
मेरी चाहत पर कविता
तेरे चेहरे से लटकी लटों को
चाँद-तारों का गजरा लगा दूँ
तेरे दामन में खुशियों का मैं
इक हसीन सा पहरा लगा दूँ,
प्रेम के रंग को तेरे गुलबदन पर
हल्दी चन्दन सा गहरा लगा दूँ
भाये इक निगाह में जो तुझे
ऐसा कोई अब चेहरा लगा दूँ।
कजरारी तेरी इन अँखियों में
प्रेम का बहता मैं सैलाब लाऊं
मतवाले तेरे गुलाबी होठों को
इक महकता सा गुलाब बनाऊं,
विश्व सुंदरी का तेरे सर आज
मैं खूबसूरत सा ताज लगा दूँ
तुझे देख मेरी धड़कनें मचले
ऐसे सौंदर्य की साज लगा दूँ।
तू मुझमें कहीं ऐसे मिल जाए
मैं तुझमें कहीं ऐसे घुल जाऊं
तू बस अब मेरी ही रहे होकर
मैं तुझ पर नई गजल बनाऊं,
समुंदर सी गहरी प्यास को मेरी
तेरी मोहब्बत का सहरा लगा दूँ
बनके तेरा हमसफर हमराही मैं
सर पर बन दूल्हा सेहरा लगा दूँ।
तेरी परछाई को भी अपना मैं
हरदम हमदम बनाना चाहूँ
हर दिन हर शाम को मैं अपनी
बस तेरे साथ ही सजाना चाहूँ,
तितलियों के जैसे रंगीनियाँ भर
खुद को कहीं तेरे इर्द गिर्द लगा दूँ।
तू बस हरजन्म मेरी ही होकर रहे
ऐसा मैं कोई प्रेम का दर्द लगा दूँ।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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धन्यवाद।
2 comments
वाह बहुत खूब क्या कहने जवाब नहीं
धन्यवाद आर्यन जी,आपकी सुंदर सी प्रतिक्रिया के लिए💐💐💐💐