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जब हम बचपना से निकल के बड़े हो रहे होते है। तब हमें इश्क़ प्यार मोहब्बत के बारे में पता चलता है। जमाना हमें ये बातें ऐसे परोसती है की हम किसी से मोहब्बत करने और किसी के साथ प्यार का रिश्ता बनाने के लिए उतावले होने लगते है। लेकिन जैसे हमने सुना, समझा और सपने देखे होते है, वो मोहब्बत ऐसा नही होता।
जब हम खुद किसी के इश्क में पड़ते है तब हमें पता चलता है की असल में ये इश्क़ मोहब्बत होता क्या है। अधिकतर लोगो के हाथ असफलता और दुःख आता है। और जब ऐसा होता है इन्सान की दुनिया बदल जाती है। या तो वो टूट जाता है और जीवन में पिछड़ जाता है। या फिर इस असफलता को सीढ़ी बना के खुद का जीवन बदल लेता है। मेरे साथ भी जीवन में कुछ ऐसा ही हुआ है। आज मैं मोहब्बत में मिली उस असफलता को धन्यवाद देता हूँ। क्यों? उन्ही अनुभवों को मैंने एक कविता के रूप में पिरोया है।
वो मोहब्बत
जब मुझे मोहब्बत में असफ़लता और धोखा मिला:
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
टूटे दिलो की बस्ती में
मेरा अब मक़ाम कर गया।
सुना था बड़ा नाम
उस मोहब्बत का मैंने,
हाथ लगाया मैंने तो
काम मेरा तमाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
दीवानों में मेरा नाम कर गया।
चला था मैं जहाँ
जिस मंजिल की आस लिए,
सफ़र को मेरा वो
एक संग्राम कर गया।
रास्तों में बिखेर के
कांटे और ठोकरे,
तकलीफों को ही वो
अब मेरा मुकाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
दुखो का मेरा इन्तेजाम कर गया।
छुपाने की भी बहुत
कोशिशे की थी हमने,
जख्मे दिल भी वो
मेरा सरेआम कर गया।
दो अरमां दिल में
संजो रखे थे मैंने,
चिर के दिल मेरा
उसे भी नीलाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
जनाज़ा मेरे इश्क का धूमधाम कर गया।
साथ जीते थे हँसते थे
अब सिर्फ यादें बची है,
और उन यादों का
मुझे वो गुलाम कर गया।
याद आतें है वो पल
तड़पते है हम और,
आँखों से आंसुओ का
सिलसिला वो सुबह शाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
मेरे हंसी पलों का विराम कर गया।
विनती बस कुछ ही थी
उस ईश्वर से हमारी,
मेरी मिन्नतों पर भी
अविचलित वो आराम कर गया
उनके वजूद पर भी
अब शक होता है हमें,
हमारी तकलीफों में भी
वो जो अभिराम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
जज्बातों में मेरे कोहराम कर गया।
कुछ बातें बताई है
कुछ छिपाई है दुनिया वालो ने,
साथ अपने चला के
बुरा वो मेरा अंजाम कर गया।
मैं तो चलना चाहता था
दूर उन मंजिलो तक,
भीड़ में मिला के मुझे
दुनिया में गुमनाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
दुनिया में मुझे बदनाम कर गया।
**बोनस**
फिर मैंने मोहब्बत में मिले धोखे से सबक सीख लिया:
इन असफलताओ से भी
सीखा है मैंने बहुत कुछ,
ऐसे सबक के लिए,
मोहब्बत को मैं सलाम कर गया।
मन को पट और
जज्बातों की स्याही बना,
अपने विचारो को
अब हरदम मैं कलाम कर गया।
कर ना सका कोई
ऐसा वो काम कर गया।
वो मोहब्बत,
बुरे दौर दिखा के मुझे,
एक अनमोल जीवन इनाम कर गया।
ये कविता मेरे जीवन का सच्चा अनुभव है इसलिए मैं इसपर आपके विचार तो नही मांगूंगा लेकिन अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ अनुभव हुआ हो तो हमारे साथ शेयर जरुर करे। धन्यवाद।
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आज मान गया कि जो मेरे साथ हुआ वो किसी और के साथ भी हुआ है।
कर ना सका कोई ऐसा वो काम कर गया,
खाया पिया मेरा सब हराम कर गया।
Waah kya khoob kaha
मोहब्बत में वो अपना नाम कर गया
कर न सका कोई वो काम कर गया
बहुत खूब