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भगवान् शिव शंकर और माता गौरी के पुत्र गणेश, जो कि देवों में प्रथम पूजनीय हैं कि पूजा हर शुभ कार्य में सर्वप्रथम होती है। वो रिद्धि-सिद्धि के दाता और सुख लाने वाले हैं। उन्हीं भगवन गणेश को समर्पित है श्री गणेश जी की स्तुति करते हुए भजन रूप में एक भक्त की भावनाएं। आइये पढ़ते हैं गणेश जी पर भजन :-
गणेश जी पर भजन
हे गणपति तुम हे भगवन, करते हम तुम्हारा अभिनन्दन।
दीप प्रज्वलित कर शीश नवाते, सर्वप्रथम तुम्हें करते नमन।।
हे लम्बोदर, हे गजानन, छवि तुम्हारी है अति प्यारी।
एक प्रार्थना में खुश हो जाते, सुनते हो सब विनती हमारी।।
हे गणेश तुम दीन दयाला, पिता ने पिया था विष का प्याला।
एक दर्श तुम मुझ दीन को देदो, फिर न मांगू मै कुछ भी लाला।।
हे गौरीपुत्र हे लंबकर्ण, इस समाज में बसते हैं जो चार वर्ण।
आपस में सदा सब मिलकर रहें, मेरा सब कुछ हो तुमको अर्पण।।
हे वक्रतुण्ड हे सिद्धिविनायक, इस जग के तुम प्रथम हो नायक।
न कोई द्वेष, न विकार हो इस जग में, मै बस रहूं तुम्हारा प्रचारक।।
हे एकदन्त हे भालचंद्र, शंकर सुत तुम जग में हो जितेन्द्रिय।
मुझको तुम शक्ति दो इतनी, मै भी करुँ मेरे मन पर विजय।।
हे गणपति तुम हे भगवन, करते हम तुम्हारा अभिनन्दन।
दीप प्रज्वलित कर शीश नवाते, सर्वप्रथम तुम्हें करते नमन।।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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सुंदर गजानन वंदना