Home » हिंदी कविता संग्रह » क्या यही जीना है – जीवन का सत्य तलाशती हुयी कविता By संदीप कुमार सिंह

क्या यही जीना है – जीवन का सत्य तलाशती हुयी कविता By संदीप कुमार सिंह

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

जिंदगी के कुछ पल हमें ये सोचने पर मबूर कर देते हैं कि क्या है ये जीवन? इतना दुःख, इतनी तकलीफें क्या यही है जीवन? क्या यही जीवन जिसकी खातिर हर इंसान इतनी भाग दौड़ में लगा हुआ है। न जाने क्यों इस जीवन में एक कश्मकश सी रहती है। तब जीवन का सत्य भ्रम प्रतीत होता है और जीवन के सत्य पर एक सवाल उठ जाता है। जीवन के सत्य की तलाश में आज की परिस्थितयों को सामने रख जीवन के वजूद पर प्रश्न उठ जाते हैं। ऐसी ही परिस्थिति को मैंने कविता का रूप देने की कोशिश की है कविता “क्या यही जीना है” में :-

क्या यही जीना है ?

क्या यही जीना है - जीवन का सत्य तलाशती हुयी कविता

उदास लम्हे हैं, अधूरे ख्वाब हैं,
गम जिंदगी में बेहिसाब हैं,
मजबूरियों को छिपाना और
लबों को सीना है,
क्या यही जिंदगी है ?
क्या यही जीना है?

तनहा-तनहा सा रहता हूँ
लोगों की भीड़ में मैं
किसी से मुलाकात तक भी
नहीं होती अनजाने में,
काट तो दूँ पल भर में
मैं ये जिंदगी मगर
अब तो वक़्त भी वक़्त
लगाता है बीत जाने में,
न जाने कब तक ये
ग़मों का ज़हर पीना है
क्या यही जिंदगी है ?
क्या यही जी ना है ?

नफरतों की आग जल रही है
सबके दिलों में बेशुमार
इज्ज़त हो रही है यहाँ
गरीब की शर्मसार,
फैले भ्रष्टाचार में न अब
न्याय क़ कोई आशा है
ऐसा है ये युग कि इंसान ही
इन्सान के खून का प्यासा है,
अमीरों की जेब भरने को
मजदूर का बहता पसीना है
क्या यही जिंदगी है ?
क्या यही जीना है ?

ईर्ष्यालु लोगों के चेहरों पर
इक झूठी सी मुस्कान दिख रही है
वो दौर चल रहा है मजबूरी का
काबिलियत कौड़ियों के दाम बिक रही है,
डर सच्चाई से नहीं
सच सुनने वालों से है
कुछ मशहूर लोगों की इज्ज़त
तो बस दलालों से है,
गैरों में कहाँ हिम्मत है
मेरा हक़ तो अपनों ने छीना है
क्या यही जिंदगी है ?
क्या यही जीना है ?

न जी भर कर जिया जाता है
ना चाहने से मौत ही आती है
आने वाले हर पल की चिंता
नोच-नोच कर खाती है,
न दुनिया है शराफत की
न खुशियों के मौके हैं
कदम-कदम पर मिलते
इस दुनिया में धोखे हैं,
ख्वाहिश बस ये है
कि जाम जहर का पीना है,
क्या यही जिंदगी है ?
क्या यही जीना है ?

पढ़िए :- जिंदगी क्या है – जिंदगी पर कविता | Poems On Life In Hindi

जीवन की कश्मकश पर प्रश्न उठती यह कविता आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें जरूर बताएं।

पढ़ें और भी बेहतरीन कवितायें और शायरी संग्रह :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.