सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
आप पढ़ रहे हैं 4 छोटी हिंदी कविताएँ :-
4 छोटी हिंदी कविताएँ
जीवन राह
मौत की परछाईं पर
जिंदगी जीनें आया था,
हर गम की बाहों को मोड़
जीवन राह बनाया था।
कांटे बिछे थे राहों में
पैरों में थे छाले,
हमने तो तुफानो में भी,
रखा होश संभाले।
हमें सुकून की चाहत थी
मगर ठोकरें मिलीं सदा,
हर मुश्किलों पर मैंने
अपने साथ पाया खुदा।
क्या औकात ग़मों की थी,
जो मुझसे टकराते
क्योंकि हम तो हर गम में
रहे सदा मुसकाते।
उसके बिछाए मोहरों को
मैंने चाल सिखाया था,
खुद की तकलीफों में उसे
हँस कर मैंने चिढाया था।
हर गम की बाँहों को मोड़
जीवन राह बनाया था,
मौत की परछाई पर
जिंदगी जीने आया था।
पढ़िए :- बेहतरीन कविता “रास्ता भटक गया हूँ मैं”
बारिश
हैं मायूस ना जाने किससे
सावन बरस ना पाए,
बूँद बरसे तो जरा
फिरसे हरियाली आये।
गर्म तपती धूप से सबको
राहत सी आ जाए,
सुबह की पहली धूप में फिरसे
शबनम मोती बन जाए।
दे सुकून हम को बड़ा
जब अंबर से तू आये,
बह जाए कभी नाली में
कभी नदी बन जाए।
फैलाती है धरती पर
मिट्टी की सौंधी खुशबू,
भीनी-भीनी यह खुशबु
सबके मन को भाये।
खिलती थी तेरे छूने से
अब वो लता घबराए,
गर्म तपती धूप में
सभी रहीं मुरझाए।
हैं मायूस ना जाने किससे
सावन बरस ना पाए,
बूँद बरसे तो जरा
फिरसे हरियाली आये।
पढ़िए :- बारिश से जुड़ी कुछ रोचक व् अनसुनी जानकारियां
विश्वास
विश्वास को ऊँचा कर
हर कदम बढ़ाऊंगा,
कैसा भी रस्ता हो
मंजिल मैं पाउँगा।
लाख मुश्किलों आएंगी
मैं फिर भी न घबराऊंगा,
हिम्मत बांधे अपनी मैं
बस आगे बढ़ता जाऊंगा।
नहीं रुकूँगा, नहीं थकूंगा
ऐसा मैं बन जाऊंगा,
अपने साथ ही अपने बड़ों का
मैं तो मान बढ़ाऊंगा।
ये धरती क्या एक दिन
आसमा पैरो पे झुकाउंगा,
सारी कायनात पर मैं
इस कदर छा जाऊंगा।
विश्वास को ऊँचा कर
हर कदम बढ़ाऊंगा,
कैसा भी रस्ता हो
मंजिल मैं पाउँगा।
पढ़िए :- ज्ञानदायक कहानी “विश्वास की परीक्षा”
प्यार
प्यार…. की क्या परिभाषा है?
ये तो हर सांस पर बसी,
जीवन की एक गाथा है।
भगवान् का वरदान है ये
हर जीवन का अरमान है ये,
कभी दिल को देता सुकून है
कभी बेचैनी दे जाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी मिटाए दर्द पुराना
कभी नए दर्द जगाता है,
सर्द मौसम में कभी
अजीब सी प्यास जगाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी अपने बेगाने लगते
ऐसा रंग चढ़ाता है,
कभी सुलाता मीठी नींद
माँ की लोरी बन जाता है।
प्यार, प्यार.. की क्या परिभाषा है?
कभी सावन में भीगा कर
सपना सजा जाता है,
तो कभी बनके आग
तपन सहा जाता है।
प्यार…. की क्या परिभाषा है?
ये तो हर सांस पर बसी,
जीवन की एक गाथा है।
पढ़िए :- कविता “प्यार की परिभाषा”
वसंत ऋतु की सुबह पर कविता को हमें भेजा है अंगेश्वर बैस जी ने जो छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में रहते है। अंगेश्वर बैस जी कविता और गीत लिखने के शौक़ीन है। हमारे ब्लॉग में ये उनकी तीसरी कविता है और आगे भी हमारे पाठकों को उनकी कुछ बेहतरीन कविताएँ इस ब्लॉग में पढने को मिल सकती है।
अगर आपको ‘ 4 छोटी हिंदी कविताएँ ‘ पसंद आयी, तो इसे शेयर करना ना भूलें।
धन्यवाद।