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बारिश की जानकारी के रूप में अक्सर हम सब स्कूल में पढ़ते हैं या हमें पढ़ाया जाता है कि जल चक्र ( Water Cycle ) वाष्पीकरण के द्वारा पानी धरती से आकाश में जाता है और आकाश से फिर धरती पर बारिश के रूप में आता है। लेकिन इस बारिश की जानकारी में बहुत लोचा है। ये इतना आसान नहीं जितना आप समझते हैं। इसके पीछे भी बहुत सारी प्रक्रिया होती है। हाँ लेकिन ये प्रक्रिया बहुत ही आसान है। क्या है वो सब आइये जानते हैं इस लेख बारिश की जानकारी में :-
बारिश की जानकारी
धरती पर मौजूद पानी अरबों साल पुराना है। पानी हम सबके शरीर में मौजूद हो या पेड़-पौधों और जानवरों में। ये सारा पानी इसी धरती पर रहता है और इसी पानी से हम बनते और मिटते हैं। उसके बाद ये पानी किसी और को बनाता है। बारिश भी इसी पानी का ही एक करिश्मा है।
जानिए :- कैसे और कब आया पानी धरती पर?
बारिश और बरफबारी की शुरुआत
बारिश की बूँदें जब हमारी हथेली को छूती हैं तो एक बहुत बढ़िया सा एहसास होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब बारिश शुरू होती है तो तरल रूप में नहीं होती। इसका सबूत तो आपको तब मिल ही जाता होगा जब बारिश के साथ बर्फ भी नीचे गिरती है।
हो सकता है आप लोग ये सोचते रहे होंगे कि पहाड़ी इलाके पर ही बर्फ गिरती है बाकी जगह तो पानी ही बरसता है। बात तो सही है लेकिन बारिश का पानी पहले बर्फ ही होता है जो धरती के वातावरण में गर्म तापमान और घर्षण के कारण गर्म होकर पानी बन जाता है। जहाँ बादलों से धरती की दूरी कम होती है या फिर बर्फ का टुकड़ा बड़ा होता है वहाँ बर्फ सीधा धरती पर ही गिरती है।
एक मिनट बात यहीं ख़त्म नहीं होती। बारिश की जानकारी में शायद आप सब ये नहीं जानते की बर्फ जमती कैसे है? नहीं, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा बिलकुल नहीं है। जानने के लिए आगे पढ़ते रहिये।
कैसे बनता हैं वाष्पीकृत पानी बर्फ
आप सब ने स्कूल में ये तो पढ़ा ही होगा की पानी शून्य के तापमान पर बर्फ बन जाता है। मगर ये अधूरी सच्चाई है। पानी तो शून्य के तापमान के नीचे भी नहीं जमता। असल में पानी तब तक नहीं जमता जब तक वो पूरी तरह शुद्ध रहता है। मतलब उसमे किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं होती। पानी तब जमता है जब उसमें अशुद्धि जैसे कि मिट्टी के कण आदि की मिल जाता है। जिसका सहारा लेकर पानी जमता है और ठोस रूप लेता है। ऐसे में आप को यह तो पता चल ही गया होगा की बरसने वाला पानी कभी भी शुद्ध नहीं होता।
यहाँ एक सवाल और पैदा होता है कि आखिर पानी बर्फ बनता क्यों है? तो इसका जवाब ये हैं की धरती में एक हद तक जहाँ वायुमंडल का दबाव कम होता है वहाँ तापमान शून्य से भी काफी नीचे गिर जाता है। इसी कारण ऊँचे पहाड़ भी ठन्डे होते हैं और इसी तरह वाष्पीकृत पानी बर्फ बन जाता है।
आइये आगे जानते हैं कि आखिर ये अशुद्धियाँ होती क्या हैं और आती कहाँ से हैं? एक बार फिर मैं कहना चाहूँगा कि अगर आप कुछ सोच रहे हैं तो शायद ये आपकी सोच से आगे की बात है।
कौन सी चीजें बनाती हैं वाष्पीकृत पानी को बर्फ
धरती पर मौजूद और धरती के बहार मौजूद बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो आसमान में वाष्प के रूप में विद्यमान पानी को बर्फ बनने में सहायता करते हैं। धरती के वातावरण में ऐसी बहुत सी जगहें और चीजे हैं जिनसे ये कण निकलते हैं जैसे कि रेतीले स्थान से उड़ने वाली मिट्टी, जंगल में लगी आग के धुएं से आदि।
धरती के बाहर से अन्तरिक्ष से हर रोज 2,721 किलो सूक्ष्म उल्कापिंड धरती के कक्ष में प्रवेश करते हैं। ये सूक्ष्म उल्कापिंड बाल की चौड़ाई से भी कम होते हैं। ऐसा अनुमान है कि धरती हर साल सूक्ष्म उल्कापिंड (micro meteorites) के बादलों से होकर गुजरती है और इस वजह से ये हर साल 10 टन भारी होती है। हाँ इन पर घर्षण का कोई असर नहीं होता क्योंकि इनका अकार बहुत छोटा होता है।
ये सूक्ष्म उल्कापिंड जब बादलों से होकर गुजरने लगते हैं तो वाष्प इसके साथ जुड़ कर क्रिस्टल के रूप में बर्फ का रूप धारण कर लेती है। ऐसा दिन में अरबों बार होता है। इस तरह सारी वाष्प एक बहुत बड़े आकार की बरफ बन जाती है।
धीरे-धीरे जब बर्फ का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और ये आसमान में अपने आप को संभाल नहीं पाते तो ये आसमान का साथ छोड़ ये धरती की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। धरती की यात्रा इनके लिए आसान नहीं होती। जैसे-जैसे ये धरती के नजदीक पहुँचती हैं। वैसे-वैसे इन्हें बढ़ते हुए तापमान का और घर्षण का सामना करना पड़ता है। इस तरह ये पानी में बदल जाते हैं।
कुछ और भी है पानी के बर्फ बनने का कारण
पानी में बस ये धूल के कण और सूक्ष्म उल्कापिंड ही नहीं सूक्ष्म जीव भी होते हैं। हमारी धरती पर बहुत से जीवा अपने रहेन का स्थान बदलते रहते हैं। इसी तरह सूक्ष्म जीव भी अपना स्थान बदलते रहते हैं। कभी ये अपनी मर्जी से स्थान बदलते हैं और कभी कुदरत इनका स्थान बदल देती है। इस तरह ये बादलों तक पहुँच जाते हैं। बादलों के 1 क्यूबिक मीटर में 1 लाख तक सूक्ष्म जीव हो सकते हैं।
अरे ये तो कुछ भी नहीं चौंकाने वाली तो बात तो ये हैं कि जब धरती से पानी का वाष्पीकरण होता है और गरम हवा के साथ वाष्प आसमान की ओर जाती है तो उसके साथ 20 लाख टन बैक्टीरिया भी धरती से आसमान तक का सफ़र तय करते हैं। ये सूक्ष्म जीव या बैक्टीरिया भी पानी को बर्फ बनाते हैं।
आसमान में कई लाखों करोड़ों लीटर वाष्पीकृत पानी है। या यूँ कहें की आसमान में इतना पानी है कि अगर एक बार में ही सारा पानी धरती पर आ जाए तो समुद्र सहित सारी धरती को एक इंच पानी में डुबा सकता है।
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तो ये थी बारिश की जानकारी। ये जानकारी आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेंट बॉक्स के जरिये हम तक अवश्य पहुंचाएं।
यदि आप बारिश की जानकारी जैसी किसी और चीज के बारे में जानना चाहते हैं तो अपनी इच्छा भी हमें कमेंट बॉक्स के जरिये अवश्य बताएं।
धन्यवाद।
3 comments
Hello sir.
Aap ki ye post bhut hi sundr h .
Or m bs yhi khna chahuga ki aapne apni trf se kafi best diya h.lekin aapne isme brf jmne tk to bta diya lekin isme bijli ke chmkne ka kya rol h vo nhi btaya.
Thanks
जी धन्यवाद मनीष कुमार जी….आपके कहे अनुसार हम बिजली के चमकने के कारण की भी जानकारी इस लेख में जरूर जोड़ेंगे….
apratimblog.com Very nice blog