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पंछी पर कविता | An Inspirational Hindi Poem On Birds

by Sandeep Kumar Singh
6 minutes read

पंछी पर कविताइंसान की जिंदगी में कई दफा ऐसे पल आते हैं, जब वो अपनी परिस्थितियों से हार मान लेता है। लेकिन इंसान की हार उसकी सोच पर निर्भर करती है। अगर इंसान दृढ़ निश्चयी है तो निश्चित ही विजय उसकी होगी। मात्र इंसान ही नहीं संसार का हर प्राणी तभी सफलता प्राप्त कर सकता है जब वो उसे प्राप्त करने के लिए पूरी जान फूंक दे। इसी तरह का उदाहरण पेश करती एक पंछी पर कविता – पंछी एक प्रेरणा, हम आपके सामने लाये हैं जिसमें एक पंछी हिम्मत ना हारने का संदेश दे रहा है :-

पंछी पर कविता – पंछी एक प्रेरणा

पंछी पर कविता

एक पेड़ की डाली के कोने पर
मेहमान नया कोई आया था,
संघर्ष से सफलता पाने का
संदेश नया वो लाया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

बसंत के मौसम में बगिया में
हर ओर ही अंकुर फूट रहे थे,
नयन हमारे आनंदित हो
इस दृश्य का आनंद लूट रहे थे,
हर ओर ही हर्ष उल्लास सा था
हर ओर भरी हरियाली थी,
तभी अचानक नज़र पड़ी
वो पेड़ की डाली खाली थी,
कुछ सोच रहा था उस पर बैठा
ऊपर से पेड़ का साया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

सोच रहा था वो कैसे अब
घर को अपने बसाएगा,
सब से पहले तिनका-तिनका
उठा उठा कर लाएगा,
खोज-बीन में जुट गया था
तलाश हुई अब पूरी थी,
मुश्किल तो बस इतनी थी कि
पेड़ से थोड़ी दूरी थी,
पहला तिनका रखते ही अचानक
हवा के झोंके ने उड़ाया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

संशय था तब मन में आया
इससे ना हो पाएगा,
कहाँ सामना हवा का कर ये
नई मिसाल बनाएगा,
हुआ अचंभा दूजे पल ही
वो दूसरा तिनका ले आया,
उड़ गया उसको भी लेकर
जब हवा का झोंका फिर आया,
वक़्त ना जाने आज ये कैसा
इम्तिहान ले आया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

हिम्मत गज़ब की थी उसमें
अभी हार ना उसने मानी थी,
उसी डाल पर उसने अब
आशियाना बनाने की ठानी थी,
जाने उसने कब और कैसे
हवा को दे दी मार,
जल्दी-जल्दी लाकर रख दिए
उसने तिनके दो-चार,
काम शुरू कर उसने अब
अपना हौसला और बढ़ाया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

धीरे-धीरे संयम से उसने
अपने घर का निर्माण किया,
मेरी भी नजरों ने उसके
जज़्बे का सम्मान किया,
देखा मैंने दृढ़ निश्चय उसका
अपनी समस्या का उसने समाधान किया,
लक्ष्य प्राप्त कर उसने अपना
अपनी विजय का गान किया,
हार ना मानो, विजय है तुम्हारी
इस बात को उसने सिखाया था,
इक पंछी देखा था मैंने
मेरे मन को बहुत वो भाया था।

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आपके लिए खास:

30 comments

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Koushal मार्च 17, 2021 - 12:00 अपराह्न

Sir apki ye kevita bhot bhot bhot bhot bhot bhot bhot bhot bhot bhot jada pesand aai mujhe
Me bekerar hu apki agli kevita ke liye

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ashu thakur अप्रैल 23, 2020 - 5:30 अपराह्न

sir apaka pura name kya hai

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 23, 2020 - 5:44 अपराह्न

संदीप कुमार सिंह

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Raushan अक्टूबर 14, 2019 - 7:07 अपराह्न

Aapki har kahani ka Sahi me kitna tarif karu kam lagta hai sir
Lazabav

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शशि कांत अक्टूबर 9, 2019 - 7:43 अपराह्न

इस कविता का लेखक कौन है

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Partho अप्रैल 7, 2019 - 8:17 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर कबिता लिखा है ,
सर जी
हमने आपकी कबिता का link अपने वॉट्सएप्प ग्रुप मे शेअर किया है ।
क्या हम आपकी कबिता को फ़ेसबुक मे share कर सकते है।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 7, 2019 - 9:11 अपराह्न

जी धन्यवाद Partho जी…..जी जरूर आप फेसबुक में लिंक के साथ शेयर कर सकते हैं….एक बार फिर से आपका धन्यवाद….

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Neetu अप्रैल 3, 2019 - 5:51 अपराह्न

Very nice

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 7, 2019 - 9:08 अपराह्न

धन्यवाद नीतू जी…

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Abhishek Anand जनवरी 23, 2019 - 12:51 अपराह्न

So nice very best

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 30, 2019 - 8:43 अपराह्न

Thanks Abhishek Anand ji….

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Kuldeep sahu दिसम्बर 15, 2018 - 7:17 अपराह्न

Bhut achha

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Sangeeta gupta नवम्बर 11, 2018 - 6:12 अपराह्न

we should think about birds also good job

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 11, 2018 - 6:21 अपराह्न

धन्यवाद संगीता जी…..

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vani gupta नवम्बर 4, 2018 - 12:37 अपराह्न

inspiring poem ????????

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 4, 2018 - 7:35 अपराह्न

Thanks Vani Gupta ji…

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Archna अगस्त 2, 2018 - 5:57 पूर्वाह्न

बहुत बढ़िया।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 2, 2018 - 6:30 पूर्वाह्न

Thanks Archana ji….

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दीपक भारती नवम्बर 13, 2017 - 11:36 अपराह्न

क्या बात है मान्यवर ..सभी असफल व्यक्तियों को संजीवनी है ये प्ररेणा प्रेरित पंक्तियां।

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 13, 2017 - 11:47 अपराह्न

धन्यवाद दीपक भारती जी।

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Abhishek जुलाई 30, 2017 - 11:15 पूर्वाह्न

Really this is a hurt touching poem nice poem

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 30, 2017 - 3:11 अपराह्न

Thanks Abhishek bhai….

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Jitendra Kumar सितम्बर 28, 2016 - 4:03 अपराह्न

jitni taarif karu utni kam hai. mere pass word nahi bole ke liye

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Mr. Genius
Mr. Genius सितम्बर 28, 2016 - 5:42 अपराह्न

ये तो आपका बड़प्पन है जितेंद्र कुमार जी….आप जैसे पाठकों के प्यार और दिए गए उत्साह के कारण ही ये सब संभव हो पाता है।
प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद्।

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Mr. Genius
Mr. Genius जुलाई 25, 2016 - 7:44 अपराह्न

Kuch bhi likho bas likhte jaao ….
Jab bhavnayen dil me aa jaengi to shabd apne aap akar le lenge…
Agar aap humare blog ke liye likhna chahen to humari email ID par apni rachna bhej sakte hain…..

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Ankit kumar जुलाई 25, 2016 - 6:51 अपराह्न

Very touching and inspression poem.Yeh kavita mujhe bahut bhaa gayi.Mujhe bhi likhne ka shauk hai aur maine hall hi mein inter pass out kiya hai.Kuch tips bataye ki main bhi aisi acchi kavitaye likh sakoo.

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Bikki Barnwal जून 14, 2016 - 7:57 अपराह्न

This poem is really inspired for us nd we should motivated by this poem. Know about birds. We should ever going to victory and successful…
I really like this types poem.

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Mr. Genius
Mr. Genius जून 14, 2016 - 9:36 अपराह्न

Thanks Bikki Barnwal motivation comes when we make up our mind to do something….. Hope you are enjoying reading such poems and stories…. thanks for your precious response..

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जमशेद आज़मी मई 29, 2016 - 12:25 अपराह्न

वाह, बहुत ही सुंदर कविता की प्रस्‍तुति। पंछी किस तरह हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। आपने बहुत ही खूबसूरती से हम सबके सामने रखा। एक अच्‍छी रचना के आपको ढेरों बधाईयां और प्‍यारा सा आभार।

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Mr. Genius
Mr. Genius मई 29, 2016 - 10:15 अपराह्न

जमशेद आजमी जी आपका तहे दिल से धन्यवाद। इसी तरह अपने विचार हमें बताते रहिएगा। एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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