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श्री कृष्ण के जन्म और उनकी गोकुल तक की यात्रा को आप पढ़ चुके हैं हमारी जन्माष्टमी पर पहली कविता में। यदि आपने अभी तक वह कविता नहीं पढ़ी। तो पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। इस कविता में हमने गोकुल के उस दृश्य को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। जिसमे श्री कृष्ण के जन्म के बाद उत्सव मनाया जा रहा है। आइये पढ़ते हैं श्री कृष्ण जन्म पर कविता में :-
श्री कृष्ण जन्म पर कविता
बाजे ढोल मृदंग हैं देखो
बाजी है शहनाई,
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई।
मात यशोदा गोद में लेकर
कान्हा का माथा चूमे
सारा गोकुल जश्न मनाता
सब भक्ति में झूमें,
बलराम के जीवन में आया
उसका है प्यारा भाई
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई
दर्शन पाने की खातिर
कितने ही लोग हैं आये
जो भी करे है दर्शन
उसका जन्म सफल हो जाए,
जन्म दिया है देवकी ने
पालेंगी यशोदा माई
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई।
जब-जब पाप बढ़ा है
जब भी बढ़ा है अत्याचार
तब-तब प्रभु ने मेरे
लिया है एक अवतार,
धरती माँ हुयी प्रसन्न कि
अब है कंस की मृत्यु आई
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई।
यमुना हुयी आनंदित
आनंदित हुयी है सारी गैया
गोकुल में खेलने आया है
सारे जग का रचैया,
जब भी कोई विपदा आती
होता है वही सहाई
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई।
बाजे ढोल मृदंग हैं देखो
बाजी है शहनाई,
बधाई हो बधाई
जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई।
इस कविता का विडियो यहाँ देखें :-
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ध्ग्न्यवाद।