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सर्दी पर कविता :- गयी है गर्मी सर्दी आयी | शीत ऋतु पर कविता


दीपवाली के बाद उत्तर भारत में शीत ऋतु का आरंभ हो जाता है। गर्मियों का अंत होते ही सर्दियों में कई चीजें और आदतें बदल जाती हैं। या फिर मौसम हमें अपनी आदतें बदलने पर मजबूर कर देता है। जिन चीजों से गर्मी में नफरत होती है सर्दी में वो प्यारी लगनी लगती हैं। जैसे की ज्यादा कपड़े पहनना, पंखें बंद रखना, खुली जगह पर बैठ कर हवा का आनंद लेना आदि। और सर्दियों में क्या-क्या होता है ये हम बताने जा रहे हैं आपको कविता ‘ सर्दी पर कविता ‘ के माध्यम से :-

सर्दी पर कविता

सर्दी पर कविता

गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी
सूरज की तपिश को ठंडा कर दे
ऐसी देखो धुंध है छायी,
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

ए.सी., कूलर हो गये बंद
रातों की गति भी हो गयी मंद
पानी छूने से डर लगता है
ऐसी पड़ने लगी है ठण्ड,
कम्बल, चादर रख दिए हैं सब
निकाल ली है अब तो रजाई
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

देर सुबह तक सोते हैं सब
जल्दी कोई न उठता है,
सर्द हवाएं जो छू जायें
एक करंट सा लगता है,
जम कर फिर खूब होती है
बदन पे कपड़ों की लदाई
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

दिल करता नहीं करें कोई काम
बस रजाई में करें आराम
धुप गुनगुनी जब आ जाए
बैठ के सेंकें हम बस घाम,
सूरज जी ऐसे छिप जाएँ
जैसे हो छोटी दौड़ लगायी
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

पूरनमासी की हो या फिर
रात अमावस की काली
सोते-सोते भी सब माँगे
गर्म चाय की एक प्याली,
जैसे ही सब बिस्तर में जाते
दौड़ के आती नींद है भाई
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी
सूरज की तपिश को ठंडा कर दे
ऐसी देखो धुंध है छायी,
गयी है गर्मी सर्दी आयी
ठंडा-ठंडा मौसम लायी।

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आपको यह कविता ‘ सर्दी पर कविता ‘ कैसी लगी हमें अवश्य बतायें।

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धन्यवाद।

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