सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
श्री कृष्ण की तो राधा और मीरा दीवानी थीं। अपने प्रेम से उन्होंने श्री कृष्ण को प्राप्त कर लिया और सारे जगत में उनका नाम हो गया। उन्हीं की राह पर चलते हुए कृष्णा की एक सेविका उन्हें पाने की कामना से उनके चरणों में क्या विनती करती है। यही बात इस कविता में बताने का प्रयास किया गया है। आइये पढ़ते हैं कृष्ण प्रेम पर कविता :-
कृष्ण प्रेम पर कविता
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ
मुझे न चिंता किसी की अब है
बस चाहिये तेरा साथ,
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
न मैं मीरा न मैं राधा
फिर भी तुझ बिन जीवन है आधा,
बिन तेरे तो मैं ऐसे हूँ
जैसे कोई अनाथ
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
नहीं है कोई लोभ मुझे न दुनिया की परवाह
तू मेरा हो जाये बस मुझे इसी की चाह,
धन्य हो जाये जीवन मेरा
इतना सा मेरा स्वार्थ
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
न इतने पुण्य मेरे कर्मों में
कि स्थान मिले तेरे चरणों में,
तू तो है प्रकाश सांवरे
मैं हूँ अंधियारी रात
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
तेरा हुआ ये तन-मन अब तो तेरे हुए हैं प्राण
बिन तेरे जीना अब तो रहा न है आसान,
जल्दी आओ प्यारे मोहन
हम जोह रहे तेरी बाट
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
मुझे न चिंता किसी की अब है
बस चाहिये तेरा साथ,
मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे
तू थाम ले मेरा हाथ।
पढ़िए भगवान श्री कृष्ण से संबंधित यह रचनाएं :-
- राधा कृष्ण पर गीत ‘कृष्ण न आये बरसाने राधा जी राह निहारें’
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता | कृष्ण के जन्म का वर्णन करती एक कविता
- कृष्ण जन्म पर दोहे | जन्माष्टमी को समर्पित भक्ति दोहे
‘ कृष्ण प्रेम पर कविता ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स पर जरूर लिखें।
धन्यवाद।