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गांधी जी के दोहे – इन दोहों में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के योगदान को दर्शाया गया है। गांधी जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन को जन आंदोलन बना कर इसमें पूरे देश को ही भागीदार बना दिया था, जिसके कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा। इस स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह पूरी तरह से अहिंसा पर आधारित था। गांधी जी ने अंग्रेजों के अत्याचारों का मुकाबला भी अहिंसा से किया। उनका कहना था कि पवित्र साध्य के लिए साधन भी पवित्र होने चाहिए। गांधी जी राजनेता से बढ़कर एक संत थे। गांधी जी द्वारा दिखाई सत्य और अहिंसा की राह ही विश्व को स्थायी शांति के लक्ष्य तक ले जा सकती है। आज सम्पूर्ण विश्व गांधी जी के विचारों का आदर करता है।
गांधी जी के दोहे
आजादी की प्राप्ति में, रही भूमिका मूल।
ऐसे गांधी को कभी, देश न सकता भूल।।
सभी सुखी हों विश्व में, थी गांधी की चाह।
सत्य अहिंसा की हमें, अतः बताई राह।।
सत्याग्रह के अस्त्र पर, रख गांधी विश्वास।
भगा फिरंगी देश से, बदल गए इतिहास।।
गांधी थे सीधे सरल, उच्च कोटि के सन्त।
जन – सेवा में रत रहे, वे जीवन पर्यन्त।।
राष्ट्रपिता के रूप में, कर सम्मान प्रदान।
करता भारत देश है, गांधी पर अभिमान।।
आजादी पर धर्म का, ऐसा चढ़ा जुनून।
देश बँटा गांधी दिया, गोली से फिर भून।।
कर पाई है मौत भी, गांधी नहीं समाप्त।
गांधी एक विचार बन, जन – जन में है व्याप्त।।
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धन्यवाद।