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पृथ्वी कैसे बनी – पृथ्वी का इतिहास , उत्पत्ति, संरचना,और निबंध | Prithvi Kaise Bani


Prithvi Kaise Bani – पृथ्वी कैसे बनी ? ( Prithvi Ki Utpatti Kaise Hui ) कैसे हुयी पृथ्वी की उत्पत्ति ? पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ ? पृथ्वी की संरचना कैसे हुई ? इन सवालों का जवाब जानने के बारे में सब के मन में एक उत्सुकता सी रहती है। आखिर क्या है पृथ्वी का इतिहास ? धार्मिक तौर पर देखा जाए तो कहा जाता है, धरती भगवान् ने बनाया और फिर उस पर पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं और मनुष्यों को बनाया। परन्तु विज्ञान इस बात को नहीं मानता। और हम स्कूल में किताबों में भी यही पढ़ते हैं कि, धरती सूरज से निकला हुआ एक आग का गोला था। फिर ठंडी हो गयी और फिर जीवन की उत्पत्ति हुयी।

क्या कभी सोचा है कि वो आग का गोला ठंडा क्यूँ हुआ होगा? कभी सोचा है कि आग में पानी कहाँ से आ गया? कभी सोचा है चाँद कैसे बना? ऐसे ही सवालों का जवाब आज हम आपको देने वाले हैं। आइये जानते हैं पृथ्वी का इतिहास या धरती कि उत्पत्ति के बारे में, पृथ्वी की रोचक तथ्य यहाँ जाने।

पृथ्वी का इतिहास – पृथ्वी कैसे बनी

पृथ्वी कैसे बनी - पृथ्वी का इतिहास , उत्पत्ति, संरचना,और निबंध | Prithvi Kaise Bani

पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई ? पृथ्वी कैसे बनी आग का गोला?
Prithvi Ki Utpatti Kaise Hui

आज से लगभग 5 बिलियन साल पहले अन्तरिक्ष में कई गैसों के मिश्रण से एक बहुत ही जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके से एक बहुत ही बड़ा आग का गोला बना जिसे हम सूर्य के नाम से जानते हैं। इस धमाके के कारन इसके चारों और धूल के कण फ़ैल गए। गुरुत्वाकर्षण की शक्ति के कारन ये धूल के कण छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों में बदल गए। धीरे-धीरे ये टुकड़े भी गुरुत्वाकर्षण की शक्ति के कारन आपस में टकराकर एक दूसरे के साथ जुड़ने लगे।  इस तरह हमारे सौर मंडल का जन्म हुआ।

कई मिलियन साल तक गुरुत्वाकर्षण शक्ति ऐसे पत्थरों और चट्टानों को धरती बनाने के लिए जोड़ती रही। उस समय 100 से ऊपर ग्रह सौर मंडल में सूर्य का चक्कर लगा रहे थे। चट्टानों के आपस में टकराने के कारण धरती एक आग के गोले के रूप में तैयार हो रही थी जिसके फलस्वरूप लगभग 4.54 बिलियन साल पहले धरती का तापमान लगभग 1200 डिग्री सेलसियस था।

अगर धरती पर कुछ था तो उबलती हुयी चट्टानें, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और जल वाष्प। एक ऐसा माहौल था जिसमे हम चंद पलों में दम घुटने से मर जाते। उस समय कोई भी सख्त सतह नहीं थी कुछ था तो बस ना ख़त्म होने वाला उबलता लावा।

चाँद कैसे बना?

उसी समय एक नया ग्रह जिसका नाम थिया (Theia)। धरती की तरफ बढ़ रहा था। इसका आकार मंगल ग्रह जितना था। इसकी गति 50की.मी./ सेकंड थी। जोकि बन्दूक से चली हुयी गोली से बीस गुना ज्यादा है। जब यह धरती की सतह से टकराया तो एक बहुत बड़ा धमाका हुआ जिससे कई ट्रिलियन कचड़ा (Debris) धरती से बहार निकल गया और वह ग्रह धरती में विलीन हो गया।

कई हजार साल तक गुरुत्वाकर्षण अपना काम करती रही और धरती से निकले हुए कण कई हजार साल तक इकठ्ठा कर धरती के इर्द-गिर्द एक चक्कर बना दिया। इस चक्कर से एक गेंद बनी जिसे हम चाँद कहते हैं। ये चाँद उस समय 22000की.मी. दूर था जबकि आज ये 400000की.मी. दूर है। दिन जल्दी बीत रहे थे लेकिन धरती में बदलाव धीरे-धीरे आ रहे थे।



कहाँ से आया नमक और पानी?

3.9 बिलियन साल पहले पृथ्वी की उत्पत्ति होने के बाद अन्तरिक्ष में बचे चट्टानों का धरती पर हमला होना लगा। आसमान से गिरते इन उल्का में एक अजीब से क्रिस्टल थे। जिन्हें आज नमक के रूप में प्रयोग किया जाता है। हैरानी की बात ये है कि जिन महासागरों सेहम नमक निकालते  समुद्र का पानी इन्हीं गिरने वाले उल्का के अन्दर मौजूद नमक से निकला है। आप के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर उल्का में मौजूद इतने कम पानी से सागर कि उत्पत्ति कैसे हो सकती है? तो इसका जवाब है कि ये उल्का धरती पर 20 मिलियन साल तक गिरते रहे जिस कारण धरती पर काफी पानी इकठ्ठा हो गया।



कैसे बनी कठोर सतह?

धरती पर पानी इकठ्ठा होने के कारण धरती की ऊपरी सतह ठंडी होने लगी और उबलती चट्टानें ठंडी होने के कारन सख्त होने लगीं। लेकिन धरती के अन्दर लावा उसी रूप में मौजूद रहा। धरती का ऊपरी तापमान 70-80डिग्री सेल्सियस हो चुका था। धरती की सतह भी सख्त हो चुकी थी। धरती के वातावरण में बदलाव लाने के लिए ये तापमान और हालात एक दम सही थे।

धरती पर आज जो पानी है वह कई बिलियन साल पहले का है। इसी पानी के नीचे सारी सख्त सतह ढक चुकी थी। चाँद के पास होने के कारन उसके द्वारा लगने वाले गुरुत्वाकर्षण से धरती पर एक तूफ़ान सा आने लगा। उस तूफ़ान ने धरती पर उथल-पुथल मचा दी थी। समय के साथ चाँद धरती से दूर होता गया और तूफान शांत हो गया। पानी कि लहरें भी शांत हो गयीं। अब धरती की छाती से लावा फिर निकलने लगे और छोटे-छोटे द्वीप बनने लगे।

कैसे शुरू हुआ जीवन?

3.8 बिलियन साल पहले धरती पर पानी भी पहुँच चुका था और ज्वालामुखी फूट-फूट कर छोटे-छोटे द्वीप बना रहे थे। उल्काओं की बारिश अभी भी रुकी नहीं थी। पानी और नमक के इलावा ये उल्का और भी कुछ ला रहे थे। कुछ ऐसे खनिज पदार्थ जो जीवन कि उत्पत्ति करने वाले थे। ये खनिज पदार्थ थे कार्बन और एमिनो एसिड। ये दोनों तत्व पृथ्वी पर पाए जाने वाले हर जीव जंतु और पौधों में पाए जाते हैं।

ये उल्का पानी में 3000 मीटर नीचे चले जाते थे। जहाँ सूर्य की किरणें पहुँच नहीं पाती थीं। धीरे धीरे ये उल्कापिंड ठन्डे होकर जमने लगे। इन्होंने एक चिमनी का आकर लेना शुरू कर दिया और ज्वालामुखी में पड़ी दरारों में पानी जाने से धुआं इन चिमनियों से निकलने लगा और पानी एक केमिकल सूप बन गया। इसी बीच पानी में समाहित केमिकलों के बीच ऐसा रिएक्शन हुआ जिससे माइक्रोस्कोपिक जीवन का प्रारंभ हुआ। पानी में सिंगल सेल बैक्टीरिया उत्पन्न हो चुके थे।

बिना पौधों के कहाँ से आई ऑक्सीजन?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें 3.5 बिलियन साल पहले जाना पड़ेगा। ये वो समय था जब समुद्र कि निचली सतह पर चट्टानों जैसे पड़े पत्ते उग रहे थे। इन्होने एक कॉलोनी बना ली थी और इन पर जीवित बैक्टीरिया थे। इन पत्तों को स्ट्रोमेटोलाइट (Stromatolite) कहा जाता है। ये बैक्टीरिया सूर्य की रौशनी से अपना भोजन बनाते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं।

जिसमे यह सूर्य की किरणों कि ताकत से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोस में बदल देता है। जिसे शुगर भी कहा जाता है। इसके साथ ही ये एक सहउत्पाद (Byproduct) छोड़ता है जोकि ऑक्सीजन गैस होती है। समय कि गति के साथ सारा सागर ऑक्सीजन गैस से भर गया। ऑक्सीजन के कारण पानी में मौजूद लोहे को जंग लगी जिससे लोहे के अस्तित्व का पता चला। लहरों के ऊपर ऑक्सीजन वायुमंडल में प्रवेश कर चुकी थी। यही वो गैस है जिसके बिना धरती पर जीवन असंभव है।

एक अद्भुत द्वीप से बने दो महाद्वीप

2 बिलियन साल तक ऑक्सीजन गैस का स्टार बढ़ता रहा। धरती के घूमने का समय भी कम होता रहा। दिन बड़े होने लगे। 1.5 बिलियन साल पहले दिन 16 घंटे के होने लगे थे। कई मिलियन साल बाद सागर के नीचे दबी धरती की उपरी सतह कई बड़ी प्लेटों में बंट गयी। धरती के नीचे फैले लावा ने उपरी सतह को गतिमान कर दिया। इस गति के कारण सारी प्लेटें आपस में जुड़ गयी और बहुत विशाल द्वीप तैयार हुआ।

लगभग 400 मिलियन साल के समय में धरती का पहला सूपरकॉन्टिनेंट तैयार हुआ जिसका नाम था रोडिनिया (Rodinia)। तापमान घट कर 30 डिग्री सेल्सियस हो चुका था। दिन बढ़ कर 18 घंटे के हो चुके थे। धरती के हालात मंगल ग्रह की तरह थे। 750 मिलियन साल पहले धरती के अन्दर से एक ऐसी शक्ति निकली जिसने धरती कि सतह को दो टुकड़ों में बाँट दिया। और यह शक्ति थी ‘ताप’ जो कि धरती केनीचे पिघले हुए लावा से पैदा हुयी थी। जिसके कारन धरती कि उपरी सतह कमजोर पड़ती गयी और धीरे-धीरे दोनों सतहें एक दूसरे से दूर होती चली गयीं। जिससे दो महाद्वीप बने :- साइबेरिया और गोंडवाना।



पृथ्वी कैसे बनी बर्फ का गोला

धरती के ऊपर जवालामुखी फटने का सिलसिला अभी जारी था। ज्वालामुखी के साथ निकलने वाले लावा के साथ निकलती थीं गैसें और हानिकारक कार्बनडाइऑक्साइड। वातावरण में फैली कार्बन डाइऑक्साइड ने सूर्य की किरणों को सोखना शुरू कर दिया। जिससे धरती का तापमान बढ़ने लगा। बढ़ते तापमान के कारन सागर के जल से बदल बने और कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में मिल कर अम्लवर्षा (Acid Rain) की।

बारिश के साथ आने वाली कार्बनडाइऑक्साइड को चट्टानों और पत्थरों ने सोख लिया। वातावरण में कार्बनडाइऑक्साइड ख़त्म हो जाने से कुछ हजार सालों में तापमान घट कर -50 देग्रे सेल्सियस हो गया। इस स्थिति वाली धरती को बर्फ की गेंद (Snow Ball) भी कहा जाता है। चारों तरफ बर्फ हो जाने के कारन सूर्य की किरणें धरती से परावर्तित (Reflect) हो जाती थीं और तापमान बढ़ नहीं पाता था। बर्फ और बढती चली जा रही थी।

बर्फ पानी में कैसे बदली

धरती का केंद्र अभी भी गर्म था। ज्वालामुखियों का फटना भी जारी था। लेकिन बर्फ इतनी ज्यादा हो चुकी थी कि ज्वालामुखी से निकलने वाली वाली गर्मी उसे पिघला नहीं पा रही थी। परन्तु अब कोई ऐसा स्त्रोत नहीं था जो कार्बन डाइऑक्साइड को सोख पाता। सारे चट्टान और पत्थर बर्फ के नीचे दब चुके थे। एक बार फिर कार्बन डाइऑक्साइड ने अपनी ताकत दिखाई और सूरज की गर्मी को सोखा कर बर्फ को पिघलने पर मजबूर कर दिया। अब तक दिन भी 22 घंटों के हो गए थे।

किस कारण हुआ भूमि पर जीवन संभव

बर्फ पिघलते समय सूर्य से आने वाली पराबैंगनी हानिकारक किरणों से एक केमिकल रिएक्शन हुआ जिससे पानी में से हाइड्रोजन परऑक्साइड बनी और उसके टूटने से ऑक्सीजन। यही ऑक्सीजन गैस 50की.मी. ऊपर वातावरण में पहुंची तो वह भी एक केमिकल रिएक्शन हुआ जिसे से जन्म हुआ जिससे ओजोन नाम की एक गैस बनी जो सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों को रोकने लगी। जिसने इवान कि शुरुआत को एक आधार दिया। अगले 150मिलियन साल तक इस गैस की परत काफी मोटी हो गयी। इसके साथ ही पेड़-पौधे अस्तित्व में आये और ऑक्सीजन की मात्रा और बढ़ने लगी।

कभी सोचा है गुलाबी धरती के बारे में । जानिए पृथ्वी कैसे बनी थी गुलाबी

जी हाँ, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। पानी में से पहली मछली टिक टेलिक बहार आने कि कोशिश कर रही थी। 15 मिलियन सालों में इसने धरती को अपना निवास स्थान बना लिया। इसके साथ ही ड्रैगन फ्लाई का जन्म हुआ और कई और जीव बनने लगे। ऑक्सीजन कि मात्र ज्यादा होने के कारन इनकी हड्डियाँ और मांसपेशियां बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहीं थीं। तभी अचानक वातावरण में बदलाव आया।

250 मिलियन साल पहले साइबेरियन मैदानों में अचानक लावा धरती से बहार निकलने लगा। और वहां के सभी जीव मर गए। गोंडवाना महाद्वीप में ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो। यहाँ तापमान लगभग 20 डिग्री सेल्सियस था। अचानक वहां राख गिरनी शुरू हो गयी। जो कि 16000 की.मी. दूर फटे ज्वालामुखी की थी। उस ज्वालामुखी से सल्फर डाइऑक्साइड निकली। और बारिश में वो गैस मिल कर सल्फ्युरिक एसिड बन गयी। जिसने सब कुछ जला दिया। जिसके कारण यहाँ भी सभी जीव जंतु मारे गए। इस से कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ गयी। तापमान बढ़ गया और पानी सूख गया। भूमि पर जीवन ख़त्म था।

सागर गुलाबी होने लगा था। सब कुछ गायब हो चुका था न पेड़ पौधे थे न जीव जंतु। सागर में कुछ था तो बाद गुलाबी शैलाव (Algae)। गर्म वातावरण और गरम सागर में बिना ऑक्सीजन अगर कोई चीज बाख सकती थी वो था शैलाव। सागर के पानी में मीथेन गैस के बुलबुले निकलने लगे। अभी तक यह गैस जमी हुयी थी पर सागर के तापमान के बढ़ने से यह पिघल कर बहार आने लगी। यह गैस कार्बनडाइऑक्साइड से 20 गुना जहरीली है। सब कुछ ख़त्म हो गया था और धरती फिर उसी स्थिति में थी जिसमे उस समय से 250 मिलियन साल पहले थी।

फिर से बना एक सुपरकॉन्टिनेंट?

ज्वालामुखी के फटने और लावा के बिखरने से दोनों महाद्वीप फिर से जुड़ गए और 250 मिलियन साल पहले दुबारा एक सुपरकॉन्टिनेंट बना पेंगिया (Pengea)। जो कि एक ध्रुव (Pole) दूसरे ध्रुव तक फैला हुआ था।

फिर से पृथ्वी कैसे बनी रहने लायक ?

एसिड रेन का असर ख़त्म हो रहा था। सागर का पानी भी नीला हो चला था और धरती नीला ग्रह (Blue Planet) बन गयी थी। पेड़ पौधे फिर वापस उगने लगे थे। अब वक़्त था डायनासोर का। इनके बढ़ने के साथ ही ज्वालामुखी फटने के कारन नए-नए द्वीपों का निर्माण हो रहा था उर प्लेटों की गतिविधि से सुपरकॉन्टिनेंट टूट कर कई महाद्वीपों में बंट रहा था।

65 मिलियन साल पहले एक बड़े पहाड़ माउंट एवरेस्ट से बड़ा क्षुद्रग्रह (Asteroid) 70000की.मी. कि गति से धरती कि तरफ आ रहा था। उसका केंद्र मेक्सिको था। इसके गिरने से कई मिलियन न्यूक्लियर बम जितनी ताकत पैदा होती है। इसके गिरने के बाद धरती पर सब कुछ तबाह हो गया और वायुमंडल में धूल का घना कोहरा छा गया। भूमि का तापमान 275डिग्री सेल्सियस हो गया। सारे पेड़-पौधे और जीव जंतुओं का अंत हो गया।

एक बार फिर से धरती के वातावरण में बदलाव आया और सब कुछ सामान्य होने पर शुरुआत हुयी स्तनधारी जीवों की। जो आज तक चल रही है। होमोसेपियंस, इन्सान की वो जाती जिसमे हम सब आते है। इनका विकास 40000साल पहले हुआ था। इसके बाद वो दुनिया बनी जो आप आज देखते हैं।

पृथ्वी का इतिहास ” पृथ्वी कैसे बनी ” आपको कैसा लगा ?कमेंट बॉक्स में हमें जरुर बताएं। यह जानकारी अपने फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर शेयर कर विद्यार्थियों की सहायता करें।

जानिए सौरमंडल से जुड़ी कुछ और जानकारियां :-

धन्यवाद।

115 Comments

  1. Prithvi or is sansaar ki utpatti kaise hui… bible ka pahla panna utpatti khol k dekh le sab pta chal jayega… aap play store se pavitra bible app download karke dekh le jise bhi janna hai…

    1. Jaise ye prithvi bni ha ek din ye prithvi khatm ho jaygi aesa Newton ne kah ha 2060 mei khtm ho jygi toh kya phir se prithvi ka nimard hoga

  2. Sabse Pahale To Mai Apko Dhanyawad Kahana Chahta Hu.
    Kya Aap Bata Sakate Hai Ki Aap Itani Sari Information Kaha Se Li Please Koi Kitab Ho To Bataiye

    Aur Ek Bat Mai Ek Youtube Channel Kholane Ki Soch Raha Tha Aur Mujhe Sirf Pruthvi Ke Sambandhi Videos BanVane Hai Agar Aapne Meri Meri Help Ki To Mai Apka Bahothi Shukrgujarish Rahunga.

    Please Help Me.

  3. आप सब मानो या ना मानो इंसान,जीव जन्तु, सब कुछ को बनाने वाला शक्ति परमेश्वर है और सारा जवाब बाईबल मे मिल जायेगी

  4. सबकुछ ठीक है पर सत्य क्या है यह कोई नहीं जानता हा केवल अनुमान ही लगाये जा सकता है क्योंकि धरातल पर कुछ नहीं रहा होगा वो किस तरह से बना कोई शक्ति होगी जो यह सुनिश्चित किये होगे पर यह भी सोचना होगा उस शक्ति को कब कैसे शक्ति मिली होगी हा है जरूर जो दुनिया चलायमान रखे हुए पर वह शक्ति कब कैसे आइ यह अनुमान ही लगाये जा सकते हैं हर जगह अलग अलग वैज्ञानिक अनुसंधान कुछ कहेगा और ज्योतिष विज्ञान कुछ और पर यह निश्चित है अनुमान ही लगाये जा सकते हैं

    1. बिलकुल सही बात कही आपने…. सभी अपने-अपने अनुमान लोगों तक पहुंचाते हैं।

  5. इतना बताने वाला पैदा कब हुवा
    मुझे तो सब कल्पना लगता है।

    1. निरंजन जी विज्ञान बहुत तरक्की कर चुका है तो आज लगभग सब कुछ संभव है।

  6. Hme apki jankari bahut achi lgi hm apki is post se earth k bare me bahut jankari mili bahut Jan ne ko mila to kya Sir ji ap ye bataye ki ye sari bhagvan ki Leela se sambhav hua ya ek tarah prakrti ki vajah se Kya vaastav me bhagavvan h ya nhi sir plz reply

    1. पानी का एक अणु, हाइड्रोजन के 2 और ऑक्सीजन के 1 परमाणु से मिलके बना होता है,
      इस हिसाब से, परमाणु संख्या के हिसाब से पानी में ऑक्सीजन की मात्र एक तिहाई या 33.33..% कहा जा सकता है.

  7. आपने जो बताया उससे यह साबित होता है कि धरती कैसे बनी मैं जानना चाहता हूं कि मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई पहले डायनासोर है कि पहले मनुष्य इसी तरह हम भर्ती में जो उत्तर फसल होती है उसका कारण तो जान गए पर मनुष्य में परिवर्तन होने वाले बदलाव को कैसे करते यह समझ में नहीं आ रहा है प्लीज इसका सही जानकारी देने का कष्ट करें

    1. Brother aap holy bible padhe… usme aapko prathvi ki utpatti or insaan k janam se lekar mratyu tak or uske bad ka bhi sab kuch jankari mil jayegi

  8. Exellent pr mujhe lagta h prathbi ko kishi n jarur bnaya hoga Jaise hm insano n computer or science ko janam diya h or kyi naye adbud avishkar & bhasai etc………….

  9. ऐ जानकारी हमे बहुत पसन्द आयी ऐक सवाल है कि दुनीयाँ मे पहली बार सैक्स किसने और क्यो किया अगर आप को ईस बारे मे पता है तो बताने कि कृप्या करे

    1. अभिषेक राय जी इस बारे में हमें कोई स्पष्ट जानकारी तो नहीं है और न ही ऐसा लगता है कि ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध हो….फिर भी यदि ये जानकरी हमें मिलती है तो आपके साथ जरूर साझा करेंगे। धन्यवाद ।

    1. पढने के लिए आपका भी धन्यवाद चुलबुल यादव जी…..

  10. सर जी जिस प्रकार हमारे ब्रम्हांड की उतपत्ति हुई है उसे प्रैक्टिकल करके देखा गया है क्या सर जी मुझे इस प्रस्न के उत्तर का ििनतजार रहेगा । धन्यवाद

    1. जी ब्रह्माण्ड कि शुरुआत से लेकर अब तक जो भी जीवाश्म या चीजें मिली हैं उनका डाटा कंप्यूटर में डाल कर हर तरह कि सम्भावना के अनुसार प्रैक्टिकल कर के देखा गया है लेकिन मात्र कंप्यूटर में।

  11. बहुत अच्छी एवं विस्वसनीय जानकारी प्रस्तुत की है सर आपने , पर ये दो महाद्वीप – साइबेरिया ,और गोंडवाना के बारे में ,थोड़ी और जानकारी चाहिए थी ,की इन द्वीपो में जिव की उत्पत्ति कैसे में हुई , जैसे कहा जाता है ,हमारे पूर्वज बंदर थे ।

    1. रूपेंद्र मांझी जी इसमें लिखा गया है कि पानी मे जीव की उत्पत्ति कैसे हुई। उन्हीं के बाद पानी से जीव बाहर निकलने लगे और जमीन पर आकर विकास करने लगे। जिसका परिणाम हम यानि कि मानव है।

  12. बीग बेंग क्या है और उसके पहले क्या था और बाद में क्या हुआ
    यह जानकारी आपने लिखी है तो वो लिंक बताने की कृपा करें और नही लिखी है तो क्या य् जानकारी देने की कृपा करेगें

    1. बिग बैंग यही है भाई जो बताया गया है। उसके पहले क्या था वो किसी को नहीं पता। बस कुछ अंदाजे हैं जो लगाए गए हैं। उसके बाद जो हुआ वो इस लेख में लिखा हुआ है। इसके अतिरिक्त और कुछ जानने की इच्छा है तो अवश्य बताएं। धन्यवाद।

  13. पृथ्वी की उतपत्ति के बारे में बहुत ही रोचक जानकारी गुरु जी आपने। आपका बहुत-बहुत आभार। मैं उस युग के बारे में डिटेल में पढ़ना चाहता हूँ जिसमें डायनासौर की उतपत्ति हुई मतलब डायनासौर की उतपत्ति से लेकर उनके विनाश तक सब कुछ पूर्ण रूप से, पूरी डिटेल्स के साथ। अगर आपने उस युग के बारे में लिखा है तो कृप्या उसका लिंक बताएं और अगर नहीं लिखा तो मैं आशा करता हूँ कि जल्द ही आपके द्वारा हमें वो ज्ञान भी प्राप्त होगा।
    धन्यवाद सहित
    रोहित नरुला

    1. जी रोहित नरूला जी। अभी तो ऐसी कोई जानकारी हमारे ब्लॉग पर नहीं है। लेकिन हम जल्दी ही प्रयास करेंगे कि आपको जो जनकारी चाहिए वो हम आप तक पहुंचा सकें। धन्यवाद।

  14. thank you sir…… aapse bhaut kuch janane ko mila i hope you sir ki aisi hi nayi nayi history ki jankariyan late rahenge

    1. जरूर अलीशा जी। हमारा यही प्रयास रहता है कि पाठकों को अलग और नई जानकारी दे सकें। इसी तरह हमारे साथ बने रहिये। धन्यवाद।

    1. जब धरती का जन्म हुआ तो वो घूम ही रही थी या यूं कहें कि घूमने के कारण ही धरती का जन्म हुआ।

    1. शनि शर्मा जी पृथ्वी सूर्य द्वारा लगने वाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति से घूमता है।

  15. Ma janta tha earth par oxygen kase aya apka ye post mera Provi ka kam kare ga ap ke karan Ham apna bat rakh pae ge

  16. Sir hame achha laga prithibi ke bare me Jan kar but hamara ek sawal hai aap se ki prithibi ke ham ander hai ya uper please mujhe boliye

  17. aapne jo likha hai usse hamen bahut si cheejon ko samajhne me madad mili hai par kuchh jigyasyen bhi jagi hain. mujhe ek website se prithvi ki utpatti se krishi tak ek silsilewar list note ki thi agar mumkin ho to usi serial se utpatti ke bare me batayen to badi meherbani hogi . list is prakar hai ——— prithivi, protojua, prakash sanshleshan, ukeriot, langikta, bahukoshiye jeev, kasheruk, matsya, ubhaychar, sarisrip, stanposhi, wanar, ape, manav poorve, khade hokar chalna, homo habilis , manav, krishi tatha pashu palan

    1. Ubaidullah Ansari जी हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में हम इन सब की जानकारी आप तक पहुंचा सकें। धन्यवाद।

    1. Ubaidullah Ansari हमें अच्छा लगा जानकर कि आपको यह पोस्ट पसंद आया। इसी तरह हमारे साथ बने रहें । धन्यवाद ।

  18. भाई जी iske बाद मानव कैसे बना होगा?

    1. Irfan khan जी आपका भी धन्यवाद। इसी तरह की जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

    1. आपका भी धन्यवाद संदेश जी। और जनकारी प्राप्त करने के लिए हमारे साथ बने रहें।

    1. जरूर बशीद अली जी हमारा यही प्रयास है। आप इसी तरह हमारे साथ बने रहें। धन्यवाद।

    1. धन्यवाद Julesh हमारा यही प्रयास है कि हम ऐसी और जानकारियां आप तक पहुंचा सकें।

  19. बहुत अच्छे सर मुझे आ नहीं रहा था अब आ गया

    1. अच्छी बात है विनोद जी। हमारा यही प्रयास है कि हम किसी भी जानकारी को सरल भाषा में और विस्तारपूर्वक आप तक पहुचाएं। अब लगता है कि हम अपने प्रयास में सफल हो रहे हैं। और जानकारी और मनोरंजन के लिए हमारे साथ बने रहिये।
      धन्यवाद।

  20. वाह सरजी बहुत बहुत धन्यवाद आपका।।बहुत अच्छी जानकारी।।।।।??????

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