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विश्व पुस्तक दिवस दोहे | पुस्तक पर 7 दोहे | किताब पर दोहे

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‘ विश्व पुस्तक दिवस दोहे ‘ शीर्षक के इन दोहों में पुस्तकों का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। पुस्तकें किसी भी भाषा का लिखित रूप होती हैं, जिनमें शब्दों के माध्यम से मानव अपने अनुभवों और विचारों को प्रकट करता है। पुस्तकें हमें अतीत की जानकारी प्रदान करती हैं जिसके कारण हम बीते युगों का ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। पुस्तकों से हम घर बैठे, सम्पूर्ण विश्व की सभ्यता और संस्कृति से परिचित हो सकते हैं। पुस्तकों से हमें विभिन्न विषयों की नई – नई बातें जानने का अवसर मिलता है , जिससे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है और विचारों में परिपक्वता आती है।  पुस्तकें हमारे व्यक्तित्व के विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। 

विश्व पुस्तक दिवस दोहे

विश्व पुस्तक दिवस दोहे

पुस्तक के हर पृष्ठ में, छुपा युगों का ज्ञान।
धर्म कर्म इतिहास की, इनसे ही पहचान।। 

बातें करो किताब से, अपने मन को खोल।
ये देती संगीत को, सन्नाटों में घोल ।।

लो पुस्तक की हमें, क्या कम यह सौगात।
बीती सदियों से कई, जो करवाती बात।।

पुस्तक होती ज्ञान का, शब्द रूप साकार। 
भूख मिटा जो मानसिक, देती नए विचार।। 

अब तक हुए विकास के, सारे पन्ने खोल। 
चुप रहकर भी पुस्तकें, कितना देतीं बोल। 

है रत्नों से बढ़ कहीं, जग में उत्तम ग्रंथ। 
इनके ज्ञान – प्रकाश में, दिखता है सद् – पंथ।।

ना हो जिसके पास में, पुस्तक रूपी नेत्र ।
अंधे – सा वह घूमता, अपने सीमित क्षेत्र ।।

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