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सफलता के मूल मंत्र जाने बिना सफलता पाना आसान नहीं है। सफलता, एक ऐसी मंजिल जिसे हर कोई प्राप्त करना चाहता है। इस मंजिल को हासिल करने के लिए हमें निरंतर चलना पड़ता है क्योंकि जितना हम रुकेंगे रास्ता उतना ही लम्बा होता जाएगा। और इस बात का ज्यादा अनुमान है की अगर हम रुक जाते हैं तो हमसे पहले वहां कोई और अपना अधिपत्य स्थापित कर ले और हमारे लिए उस मंजिल पर पहुँचने का कोई लाभ न हो।
ऐसे में निरंतर चलना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। इस सफ़र में आप कभी भी अकेले नहीं रहते। अगर आप अकेले चलने की कोशिश करेंगे तो कभी कहीं नहीं पहुँच पाएंगे। आज मैं उन्हीं तीन दोस्तों के बारे में आपको बताने जा रहा हूँ जिनका आपके साथ होना जरूरी है और ये आपकी जिंदगी बदल सकते हैं। सफलता के मूल मंत्र बताते वो तीन दोस्त हैं :- हुनर, जानकारी और स्वभाव।
यही सफलता के सूत्र , सफलता के उपाय , सफलता का राज , सफल व्यक्ति के गुण हैं। इनके बिना इंसान कभी सफलता हासिल नहीं कर सकता। इसलिए इन तीनों दोस्तों को अपने साथ रखें और आसानी से सफलता प्राप्त करें। लेकन कैसे आइये जानते हैं सफलता के मूल मंत्र से इनके बारे में विस्तार से :-
सफलता के मूल मंत्र
हुनर
ये हमारा पहला दोस्त होता है। ये एक ऐसा दोस्त है जो हर किसी के पास होता है। लेकिन कुछ लोग इसे पहचान नहीं पाते और अपनी जिंदगी को आगे नहीं बढ़ा पाते। ये है हुनर। अगर किसी इन्सान में कोई हुनर न होगा तो वह एक जानवर की भांति वही काम करता रहेगा जो दूसरे उस से करवाएँगे।
इसलिए जरूरी ये है कि आप अपने हुनर का प्रयोग अपनी जिंदगी को आगे बढ़ने के लिए करें। येहुनर कुछ भी हो सकता है। जैसे की गाने का, खेलने का, अदाकारी का, चित्रकला या फिर ऐसा ही कोई और जिसमें आपको महारत हासिल हो। इसलिए सबसे पहले अपने हुनर की तलाश करिए।
कैसे पहचाने अपने हुनर को
कई लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि उन्हें ये नहीं पता होता कि उनके अन्दर कौन सा ऐसा हुनर है जिसकी सहायता से वो अपने जीवन में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर सकते हैं। हुनर किसी परिचय का मोहताज नहीं होता। ये खुद-ब-खुद सबके सामने आ जाता है।
अगर आपको नही पता कि आपके अन्दर ऐसा कौन सा हुनर है जो सब कुछ बदल सकता है। तो उसके बार में पता करने के लिए अनुबह्व कीजिये कि आपके आस-पास रहने वाले लोग आप में क्या पसंद करते हैं। ऐसा कौन सा काम है जो आप करते हैं तो लोग आप की तरफ आकर्षित होते हैं और आप पर ध्यान देते हैं।
अगर ऐसा करने में भी आपको परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो आप अपने परिवार की सहायता ले सकते हैं। आप अपने दोस्तों से पूछ सकते हैं। इस तरह आपको जिंदगी के सफ़र में एक दोस्त मिल जाएगा जो आपके सफ़र को आसान बना देगा। फिर आप मजे-मे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाओगे।
जानकारी
हुनर तो मिल गया। लेकिन हुनर का करोगे क्या? कुछ करोगे तो तभी जब पता होगा कि हुनर का फ़ायदा कैसे मिलेगा। अगर आपको गाड़ी चलने आती है लेकिन यही नहीं पता कि जाना कहाँ है तो आपके गाड़ी चलने का फ़ायदा तो कोई नहीं होगा पर नुक्सान जरूर होगा। आपका इंधन व्यर्थ अलग और शक्ति नष्ट होगी सो अलग।
इसलिए गाड़ी चलाने जितना ही महत्वपूर्ण है मंजिल की तरफ बढ़ने वाले रास्तों का ज्ञान होना। इसी तरह हुनर जितना जरूरी है उतना जरूरी है इस बात का ज्ञान होना कि इस हुनर का किस प्रकार उपयोग करना है कि ये हमें हमारे जीवन में एक सफल इंसान बना दे। इसलिए हुनर की पहचान के बाद ये जानकारी हासिल करें कि आपको इस हुनर को निखारने और लोगों तक पहुँचाने या खुद को आगे बढ़ाने के लिए कौन से रास्ते अपनाएं।
कैसे लें जानकारी
अगर आपके सामने ये समस्या है कि किसी भी प्रकार की जानकारी कहा से एकत्रित करें तो आज के ज़माने में सबसे साधारण उत्तर है इन्टरनेट। जी हाँ, इन्टरनेट के माध्यम से आप किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर सकते हैं। ऐसा भी नहीं है की आपको इन्टरनेट पर भाषा की कोई समस्या हो। आज तो हर भाषा में हर जानकारी उपलब्ध है।
इसके इलावा आप अपने आस-पास किसी विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं। घर में भी एक भी सबसे बात जरूर करें। ये जरूरी नहीं की उनके पास आपके सवालों के जवाब हो लेकिन भैय्या जी सफ़ेद नही करता। मेरा मतलब था हो सकता है आपको वो कुछ ऐसा बता दें जिसके बार में आपने कभी सोचा ही न हो। इसलिए सुनिएअनुभव नाम की भी कोई चीज होती है। वरना कोई यूँ ही धूप में बाल सबकी पर करिए अपनी।
स्वभाव
स्वभाव, गाड़ी चलाने में इसका क्या किरदार है? नही पता? अरे भाई! मान लो गाड़ी चलाते-चलाते अगर कहीं आपको गुस्सा आ गया और आपने गाड़ी पर से नियंत्रण खो दिया तो आप कहाँ पहुंचोगे? क्या कहा ? जहन्नुम में ? अरे नहीं दोस्त, जहन्नुम नहीं अस्पताल पहुंचोगे। इसलिए खुद के स्वभाव में शालीनता लाओ।
अब ये तो सबको पता ही होता है कि स्वभाव अच्छा ही रखना है। अन्दर से चाहे कैसा भी स्वभाव हो बॉस के सामने हमेशा नम्रता से ही पेश आना है। लेकिन ऐसे लोग अपने दुश्मन तब बना लेते हैं जब वो अपने नीचे काम करने वालोंके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे में कर्मों का फल तो मिलता ही है। साथ ही जिंदगी में आगे जाने वाले रास्ते भी बंद हो जाते हैं।
हुनर और जानकारी होने के बाद भी आपका स्वभाव अच्छा नहीं है तो आप कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते। बस दो-चार कदम चलने के बाद आपको अपने स्वाभाव की वजह से रुकना पड़ सकता है या फिर अपना सफ़र शुरू से आरंभ करना पड़ सकता है जो कि बहुत दुखदायी होता है। इसलिए अपने स्वाभाव को शांतिप्रिय और प्रेमपूर्ण बनायें। इस से आप सिर्फ मंजिल पर ही नही लोगों के दिलों पर भी विजय पा लेंगे।
इस तरह जिंदगी के सफ़र में ये तीनों दोस्त हमें अपने लक्ष्य पर पहुंचाते हैं और हमारे सफ़र को मजेदार बना देते हैं। सफलता के मूल मंत्र में इन तीनों के बिना मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति अपने उद्देश्य की पूर्ती कर सकता है। तो जल्द से जल्द ढूंढिए अपने इन दोस्तों को और निकल पड़िए उस सफ़र पर जो कब से आपका इन्तजार कर रहा है। जल्द ही आप भी उन ऊँचाइयों पर पहुचं जाएँगे जहाँ से ये दुनिया बहुत छोटी नजर आती है।
आपको सफलता के मूल मंत्र बताते इन तीन दोस्तों का यह लेख कैसा लगा? और आपने इस लेख से क्या सीखा हमें अवश्य बताएं। अगर आपके मन में इस लेख से सम्बंधित कोई प्रश्न, सलाह या कोई असमंजस हो तो हमें लिख भेजिए। हम यथासंभव सहायता करने का प्रयास करेंगे।
पढ़िए जीवन सफल बनाने वाले लेख :-
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- सुव्यवस्थित कार्यशैली और लक्ष्य प्राप्ति | सफलता प्राप्ति के मूल मंत्र और उपाय
- जीवन में लक्ष्य कैसे प्राप्त करे | लक्ष्य की अहमियत और लक्ष्य प्राप्ति के साधन
धनयवाद।
8 comments
NYC line sir thanks
अतिसुन्दर। बहुत सुंदर कविता है।
very nice
ruki hui machine jakad ke khrab ho jati h
esliye sflta pane ke liye…
hamesha mehnt krna chahiye
धन्यवाद P.K. SHARMA जी….
हमेशा की तरह एक और बेहतरीन लेख ….. ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ….. शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
धन्यवाद HindIndia जी। आप भी इसी तरह हमारे साथ बने रहें।
बहुत उम्दा और उपयोगी लेख । आपने बिल्कुल सही कहा सफलता पाने के लिए लगातार चलना पडता हैं रुका हुआ तो पानी भी खराब हो जाता है ।
धन्यवाद Babita Singh जी….