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नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तिमय दोहा संग्रह ” कात्यायनी माता पर दोहे “
कात्यायनी माता पर दोहे
छठे रूप कात्यायनी, करती शेर सवार ।
तीन लोक में मातु की, होती जय जय कार ।।
लाल चुनरिया ओढ़ती, चोली लाल सुहाय ।
लाली मेरी मातु की, लाल ध्वजा लहराय ।।
महिषा सुर संहारणी,माँ भक्तन रखवार ।
नव दिन अरु नवरात में, देखो नैन पसार ।।
पुत्री कात्यायन भयी, है जग तारण नाम ।
माता चरण मनाय लो, मिले मोक्ष का धाम ।।
रोग शोक माँ दूर कर, धन वैभव बरसाय।
बाधा संकट काटती, मारग मुक्ति बताय ।।
सुमिरन माँ की कर सदा,नित जगराता गाय ।
सागर भव से तारती, मनवाँछित फल पाय ।।
पढ़िए :- सत्य पर आधारित दोहे
यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा ” जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )
इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।
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धन्यवाद।