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कभी सोचा है आपने यदि परीक्षा न होती तो कैसा होता ? कैसा होता जब किसी को परीक्षा की कोई चिंता ही न होती तो ? शायद ही आपने कभी ऐसा सोचा हो और अगर नहीं सोचा तो कोई बात नहीं आइये हम आपको बताते हैं इस छोटी ज्ञानवर्धक बाल कविता में :-
यदि परीक्षा न होती तो
यदि परीक्षा न होती तो
कौन श्रेष्ठ फिर कहलाता
सूझ बूझ होती किसमें फिर
कौन ऊँचाई को पाता,
यदि परीक्षा ना होती तो…
खुश होते बच्चे लेकिन
पढना लिखना न सिख पाते
मेहनत करते कितनी फिर भी
अपनी किस्मत न लिख पाते,
वक़्त ये फिर उनको उनकी
असली औकात दिखला जाता
यदि परीक्षा ना होती तो…
कैसे देश तरक्की करता
हर दम ये पिछड़ता जाता
न होते विद्वान यहाँ
न ज्ञानी कोई कहलाता,
ऐसे में कौन बताओ फिर
सच्चाई का साथ निभाता
यदि परीक्षा ना होती तो…
जानवर सम इन्सान जो होते
खाते पीते और फिर सोते
न होता डर किसी का उनको
अपने भाग्य को फिर वो रोते,
जंगली बन कर सब रहते
इन्सान कहाँ कोई बन पाता
यदि परीक्षा ना होती तो…
न होता उद्देश्य कोई
न कुछ पाने की चाहत होती
दूर कहीं किसी कोने में
होकर कड़ी विद्या रोती,
संघर्ष से होता सुन्दर जीवन
कौन हमें यह सिखलाता
यदि परीक्षा ना होती तो…
यदि परीक्षा ना होती तो
कौन श्रेष्ठ फिर कहलाता
सूझ बूझ होती किसमें फिर
कौन ऊँचाई को पाता।
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उम्मीद है परीक्षा पर यह छोटी ज्ञानवर्धक बाल कविता आपको जरूर पसंद आयी होगी। इस कविता के बारे में अपने अमूल्य विचार हम तक जरूर पहुंचाएं।
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धन्यवाद।
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