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समय के बारे में कई महापुरुषों ने बहुत सी बातें बताई हैं। परन्तु उनका बताना तभी सफल होगा जब उनकी शिक्षा से कोई खुद में बदलाव लाये और समय का लाभ उठाना सीख ले। तो आइये पढ़ते हैं समय का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करते रहीम के दोहे समय पर :-
रहीम के दोहे समय पर
1. रहिमन असमय के परे, हित अनहित ह्वै जाय ।
बधिक बधै मृग बान सों, रूधिरै देत बताय ॥
अर्थ :- समय विपरीत होने पर हित भी अनहित में बदल जाता है। जैसे एक शिकारी के बाण से घायल हिरन अपनी जान बचाने के लिए जंगल में छिप जाता है लेकिन उसके बहता हुए खून के निशान से शिकारी को उसका पता चल जाता है। इस तरह प्राणों के लिए जरूरी खून भी उसके लिए जानलेवा साबित होता है।
2. समय दशा कुल देखि कै, सबै करत सनमान ।
‘रहिमन’ दीन अनाथ को, तुम बिन को भगवान ॥
अर्थ :- समय और आपकी अच्छी दशा देखा कर सभी आपको मान-सम्मान देते हैं। वहीं दीन और अनाथ लोगों का भगवान् के सिवा कोई नहीं होता और न ही कोई उनका सम्मान करता है।
3. समय लाभ सम लाभ नहिं, समय चूक नहिं चूक।
चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक।।
अर्थ :- रहीमदास जी कहते हैं कि समय जैसा लाभप्रद कुछ भी नहीं है और न ही इससे चूकने से बड़ी कोई चूक है। यदि बुद्धिमान व्यक्ति समय से चूक जाए अर्थात समय का सही लाभ न उठा पाए तो उसका दुःख उसे हमेशा लगा रहता है।
4. समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात।
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात।।
अर्थ :- रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है। सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है।
5. असमय परे रहीम कहि, माँगि जात तजि लाज।
ज्यों लछमन माँगन गये, पारासर के नाज ॥
अर्थ :- रहीम कहते हैं कि बुरा समय आने पर, कठिनाई आने पर या मजबूरी में व्यक्ति लज्जा ( शर्म ) छोड़कर माँग लेता है। जैसे लक्ष्मण भी विवशता में पाराशर मुनि के पास अनाज माँगने गए थे।
6. समय परे ओछे बचन, सब के सहै रहीम।
सभा दुसासन पट गहे, गदा लिए रहे भीम॥
अर्थ :- रहीम कहते हैं कि जब समय सही न चल रहा हो तो समर्थ इंसान को भी ओछे ( बुरे ) वचन सुनने पड़ते हैं। यह समय का ही खेल है कि बलवान गदाधारी भीम के सामने दुश्शासन द्रोपदी का चीर हरण करता रहा और भीम हाथ में गदा होते हुए भी नीची आँख किए बैठे रहे।
7. रहिमन’ कुटिल कुठार ज्यों, करि डारत द्वै टूक ।
चतुरन के कसकत रहै, समय चूक की हूक ॥
अर्थ :- जैसे एक कुठार ( कुल्हाड़ी ) लकड़ी के दो टुकड़े कर देती है। उसी तरह बुद्धिमान व्यक्ति जब समय चूक जाता है ( मौके का फायदा नहीं उठा पाता ), तो उसका पछतावा उसे हमेशा कष्ट देता रहता है। उसकी कसक कुठार बन कर कलेजे के दो टुकड़े कर देती है।
8. जो रहीम दीपक दसा, तिय राखत पट ओट।
समय परे ते होत है,याही पट की चोट।।
अर्थ :- रहीमदास जी कहते हैं कि जब रात होती है तब दीपक ( दिये ) की आवश्यकता होती है तो जो औरत उसे हवा का झोंका आने पर अपने पल्लू से ढक कर बुझने से बचा लेती है। लेकिन जब सुबह उसका समय ख़तम हो जाता है अर्थात सूर्य निकल जाता है तब वही औरत उसे अपने पल्लू की चोट मारकर उसे बुझा देती है।
9. आवत काज रहीम कहि, गाढ़े बंधु सनेह।
जीरन होत न पेड़ ज्यौं, थामे बरै बरेह॥
अर्थ :- गाढ़े समय ( बुरे समय ) पर, विपदा ( समस्या ) के समय स्नेही बंधु ( अपना मानने वाले ) ही काम आते हैं। जैसे बरगद अपनी जटाओं का सहारा मिलने से कभी जीर्ण अथवा कमज़ोर नहीं होता है। अर्थात् बरगद अपनी लटकने वाली जटाओं से धरती से पोषक तत्त्व लेकर सदा नया बना रहता है।
10. रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥
अर्थ :- कुछ दिन ( समय ) रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।
11. धन दारा अरू सुतन सों लग्यों है नित चित्त
नहि रहीम कोउ लरवयो गाढ़े दिन को मित्त। ।
अर्थ :- सदैव ही अपना मन धन, यौवन और संतान में ही नहीं लगा कर रखना चाहिए। जरूरत के समय इनमें से कोइ नहीं दिखाई देगा। केवल इश्वर पर मन लगाओ। संकट के समय बस वही काम देगा।
12. बिपति भए धन न रहे, रहे जो लाख करोर ।
नभ तारे छिपि जात है, ज्यों रहीम भए भोर ।।
अर्थ :- रहीमदास कहते हैं कि विपत्ति के समय धन शेष नहीं रह पाता चाहे लाखों करोड़ों की पूंजी संचित की हो। जिस प्रकार सुबह होते ही गगन के अनगिनत तारे छिप जाते हैं, ठीक उसी तरह धन भी मुश्किल वक्त में खो जाता है।
13. अब रहीम चुप करि रहउ, समुझि दिनन कर फेर।
जब दिन नीके आइ हैं बनत न लगि है देर ॥
अर्थ :- जब बुरे दिन ( बुरा समय ) आए हों तो चुप ही बैठने में भलाई होती है, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब कोई भी बात बनते देर नहीं लगती।
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धन्यवाद।
3 comments
Very nice 👍.it was really helpful and informative.thank you bahut chm log hi ab dohe me interest lete hai
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बहुत बढ़िया काम है | ऐसा अच्छा ब्लॉग…..बधाई के पात्र हैं आप |