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हमारे जीवन में परिवार का बहुत महत्त्व होता है। परिवार ही हमारे सुख-दुःख का सच्चा साथी होता है। जब हम कभी परेशानियों से घिर जाते हैं तो हमारा परिवार ही हमारी ताकत बनता है। यूँ तो सारा संसार ही हमारा परिवार है लेकिन उसके लिए हमें जाति-धर्म के बन्धनों से ऊपर उठ कर देखना होगा। ये दोहा संग्रह समर्पित है हमारे उसी परिवार को जिसका हम एक अभिन्न अंग हैं। आइये पढ़ते हैं ” परिवार पर दोहे ” :-
परिवार पर दोहे
1.
भेद-भाव ना कीजिए, सब प्रभु के उपहार।
सारा ही संसार ये, है अपना परिवार।।
2.
सुख-दुख मिलकर बांटते, चलते हैं सब साथ।
यही कुटुंब विशेषता, कभी न छोड़े हाथ।।
3.
सारे मानव कर रहे, रिश्तों का व्यापार।
स्वार्थपूर्ण संसार में, अपना बस परिवार।।
4.
छाँव बुजुर्गों के तले, मिलते हैं संस्कार।
दोषमुक्त होते सभी, सुखी रहे परिवार।।
5.
गया विभीषण राम के, पांडव माधव पास।
धर्म बड़ा परिवार से, बतलाता इतिहास।।
6.
गाँव शहर को बढ़ गया, लुप्त हुए संस्कार।
पैसों की इक दौड़ में, बिखर गया परिवार।।
7.
प्रेम भाव से सबी रहें, कर्म करें सब नेक।
मानवता ही धर्म हो, कुल सबका हो एक।
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धन्यवाद।