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पृथ्वी दिवस पर कविता में धरती के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके संरक्षण पर बल दिया गया है। धरती के कारण ही हमारा अस्तित्व है अतः हमें धरती के संरक्षण के लिए सचेत रहने की आवश्यकता है। धरती के पंच महातत्वों से ही हमारा शरीर निर्मित है। इन तत्वों का संतुलन बिगड़ गया तो धरती पर जीवन समाप्त हो जायेगा। पर्यावरण संरक्षण करके ही धरती को बचाया जा सकता है। आइये पढ़ते हैं कविता :-
पृथ्वी दिवस पर कविता
तुझे नमन है धरती माता !
तेरी वायु बिना ना संभव
इस जग में जीवित रह पाना,
तू ही जल से प्यास बुझाती
देती तू ही सबको दाना।
धरा न होती पाँव तले तो
मानव तनिक नहीं चल पाता,
तुझे नमन है धरती माता !
धरती की गोदी में होती
माता के आँचल – सी ममता,
इस पर फैले नील गगन में
पिता सदृश संरक्षण – क्षमता।
पंचतत्व के योगदान से
तू ही सबकी प्राण – प्रदाता,
तुझे नमन है धरती माता !
युगों-युगों से अपनी धरती
जड़ – चेतन को धारण करती,
आवश्यकता सब पूरी कर
जीवन को खुशियों से भरती।
सहनशक्ति का लेकिन इसकी
मानव अनुचित लाभ उठाता,
तुझे नमन है धरती माता !
रूप धरा का नष्ट भ्रष्ट कर
करें नहीं हम इसको खंडित,
क्रुद्ध हुई यह कहीं अगर तो
विध्वंसों से होंगे दंडित।
रक्षित हो धरती मानव से
जो जीवों में श्रेष्ठ कहाता,
तुझे नमन है धरती माता !
इस कविता का विडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :-
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धन्यवाद।