Home » हिंदी कविता संग्रह » देशभक्ति कविताएँ » आजादी पर कविता :- स्वतंत्रता दिवस पर शहीदों को समर्पित देशभक्ति कविता

आजादी पर कविता :- स्वतंत्रता दिवस पर शहीदों को समर्पित देशभक्ति कविता

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

15 अगस्त, भारत के इतिहास में वो तारीख जब भारत पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया। लेकिन ये आज़ादी हमें आसानी से नहीं मिली। इसके लिए एक बहुत बड़ी कीमत चुकाई गयी है। 200 बरस की गुलामी में बहुत सारे हिन्दुस्तानियों का रक्त बहा। उसके बाद जाकर कहीं हमें यह आजादी हमें नसीब हुयी है। हम ऋणी हैं उन शहीदों के जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की आजादी के लिए मौत को गले लगा लिया। आइये पढ़ते हैं उन्हीं शहीदों को समर्पित आजादी पर कविता :-

आजादी पर कविता

विडियो देखिये या आजादी की कविता नीचे पढ़िए  :-

यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने,
कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर
कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

जो शुरू हुई सन सत्तावन में
सन सैंतालीस तक शुरू रही
मारे गए अंग्रेज कई
वीरों के रक्त की नदी बही,
मजबूत किया संकल्प था उनका
भारत माता के नीरों ने
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

देश की रक्षा की खातिर
थी रानी ने तलवार उठायी
पीठ पर बांधा बालक को
पर जंग में न थी पीठ दिखाई,
कुछ ऐसे हुई शहीद की जैसे
त्यागे हैं प्राण रणधीरों ने
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

ऊधम सिंह और मदन लाल
ने खूब ही नाम कमाया था
घुस कर लंदन में अंग्रेजों को
उनका अंजाम दिखाया था,
यूँ मातृभूमि से प्यार किया
जैसे खुदा से किया फकीरों ने
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

जोश ही जोश भरा था लहू में
मजबूत शरीर बनाया था
हालात पतली कर दी थी
अंग्रेजों को खूब डराया था,
आजाद वो था आजाद रहा
न पकड़ा गया जंजीरों में
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
हंस कर फांसी पर जब झूले
बजा बिगुल फिर आजादी का
हृदय में सबके उठे शोले,
लोगों के खौफ से डर कर ही
इन्हें जलाया सतलुज के तीरों पे
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

है गर्व मुझे उन वीरों पर
भारत माँ के जो बेटे है
हो जान से प्यारा वतन हमें
शिक्षा इस बात की देते हैं,
इसी आजादी की खातिर ही
दी है जान देश के हीरों ने
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने,
कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर
कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

आजादी पर कविता के बारे में अपने विचार हम तक व हमारे पाठकों तक अवश्य पहुंचाएं।

पढ़िए आज़ादी दिवस पर यह देश भक्ति रचनाएं :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

3 comments

Avatar
Aditya अक्टूबर 30, 2019 - 12:11 अपराह्न

Nice

Reply
Avatar
Ahmad सितम्बर 12, 2019 - 6:01 अपराह्न

Very nice????????
Can you make a one more kavita for I will give you money for that

Reply
ApratimGroup
ApratimGroup सितम्बर 13, 2019 - 9:00 पूर्वाह्न

जरुर.!

Reply

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.