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अनुशासन का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हम में से कुछ लोग अनुशासन को पसंद नहीं करते। उन्हें लगता है कि यह स्कूल में सिखाया जाने वाला बस एक नियम है जिसकी वास्तविक दुनिया में कोई जरूरत नहीं है। परन्तु अनुशासन कितना जरूरी है उन्हें इसका आभास तब होता है जब उनके साथ अनुशासनहीनता के कारन कोई बुरी घटना घटती है। कैसे? आइये पढ़ते हैं इस “ अनुशासन का महत्व पर कहानी ” में :-
अनुशासन का महत्व पर कहानी
मोहन एक ऐसा शख्स जिसके अनुशासन की सभी मिसाल देते थे। स्कूल में उसे अनुशासन के लिए बहुत बार सम्मानित भी किया जा चुका। लेकिन जैसे ही मोहन पढ़ाई ख़त्म कर काम-धंधे की तलाश में निकला तभी उसे जीवन की असली सच्चाई का ज्ञान हुआ। अनुशासन में रहने के चलते मोहन को कई नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। किसी समय जिस अनुशासन के लिए उसे स्कूल सम्मानित किया जाता था आज उसका यही अनुशासन उसके लिए परेशानी का सबब बन चुका था।
इस समय मोहन ड्राईवर की नौकरी कर रहा था। अभी नौकरी करते हुए महीने भर ही बीता था कि उसके मालिक ने नए ड्राईवर की तलाश शुरू कर दी थी। इसका कारन भी मोहन का अनुशासन ही था। अपने अनुशासन के चलते मोहन सिग्नल पर लाल बत्ती होने के कारन गाड़ी रोक देता था। जिस से उसका मालिक कई बार मीटिंग के लिए लेट हो गया। मोहन समझता था कि अगर समय पर पहुंचना है तो उसके मालिक को घर से जल्दी निकलना चाहिए। मगर मालिक से जुबान कौन लड़ाए।
मोहन की नौकरी एक बार फिर खतरे में थी। मगर मोहन को इसका कोई अफ़सोस न था।
नौकरी के आखिरी दिन चल रहे थे। एक दिन मोहन अपने मालिक को लेकर एक मीटिंग के लिए निकला। सड़क पर चौराहे में लगे सिग्नल पर लाल बत्ती जलते ही मोहन ने कार रोक दी।
“मोहन मैं मीटिंग के लिए लेट हो जाऊंगा। गाड़ी चलाओ।“
मोहन के मालिक ने घड़ी देखते हुए मोहन से कहा।
“लेकिन सर अभी रेड लाइट है।“
“रेड लाइट है तो क्या हुआ……..”
अभी मोहन के मालिक ने इतना ही कहा कि उनके बगल से निकली हुई कार जैसे ही लाल बत्ती के उस पार गयी। बगल से आते ट्रक से उसकी जोरदार भिड़ंत हो गयी। अगर मोहन ने गाडी आगे बढ़ाई होती तो उस ट्रक के चपेट में उनकी ही कार आती। यूँ तो मोहन के मालिक ने ऐसी कई ख़बरें अखबार में पढ़ी थीं और टीवी में देखी थी। लेकिन अपनी आँखों के सामने ये घटना देख उन्हें सदमा सा लगा।
उसके बाद पूरे सफ़र में मोहन ने कहाँ गाड़ी रोकी कैसे चलायी उसके मालिक ने कुछ नहीं कहा। शायद अब उन्हें अनुशासन का महत्व समझ आ गया था।
“मोहन आज तुम्हारे अनुशासन की वजह से ही हमारी जान बची है। आज के बाद तुम कहीं नहीं जाओगे हमेशा मेरे ही साथ रहोगे।“
कार से उतारते हुए मोहन के मालिक ने मोहन का आभार व्यक्त करते हुए कहा। मोहन आज फिर वैसा ही सम्मानित महसूस कर रहा था जैसा वह स्कूल में अनुशासन के लिए सम्मानित होते हुए महसूस करता था।
दोस्तों हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति ही सफलता प्राप्त करता है। यदि आप अनुशासन में नहीं रहते तो एक न एक दिन आपको इसका बुरा नतीजा देखने को मिलता है। इस से पहले की जीवन गलत दिशा में चला जाए हमें अनुसह्सन में रहते हुए अपने जीवन को एक सही दिशा देनी चाहिए।
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धन्यवाद।