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बाज़ की कहानी – बाज़ का पुनर्जन्म | शिक्षाप्रद हिंदी लघु कथा


बाज़ की कहानीहमारी जिंदगी कई ऐसे पल आते हैं जब हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई लोग तो जीवन में संघर्ष कर आगे निकल जाते हैं और कई अपने हालातों से हार मान कर खुद को जिंदगी के हवाले कर देते हैं। ऐसे में हमारी जिंदगी और हमारा खुद का कोई वजूद नहीं रहता। दुनिया उसी को सलाम करती है जो अपने कलाम खुद लिखते हैं। सिर्फ इंसान ही नहीं प्रकृति में हर प्राणी के साथ ऐसा होता है। पढ़िए ये बाज़ की कहानी ।

शिक्षाप्रद बाज़ की कहानी – बाज़ का पुनर्जन्म

बाज़ की कहानी - बाज़ का पुनर्जन्म

आप लोगों ने अकसर बाज के बारे में सुना होगा। बाज एक ऐसा पक्षी है जो अपनी नजर व हौसले के लिए जगत प्रसिद्ध है। लेकिन अगर उसकी जिंदगी को देखा जाए तो उसके जीवन में भी एक ऐसा पड़ाव आता है जब उसे अपने जीवन को जीने के लिए कई कठोर फैसले लेने पड़ते हैं।

बाज की उम्र 70 साल की होती है, लेकिन जिंदगी के इस मुकाम को तय करने के लिये उसे एक मुश्किल फैसला लेना पड़ता है। इसके पंजे 40वर्ष तक सही ढंग से काम करते हैं। 40साल के बाद ये पंजे मुड़ने के कारन कमजोर हो जाते हैं और शिकार नहीं पकड़ पाते।

इसकी लंबी और तीखी चोंच भी आगे से मुड़ जाती है। पंख मोटे हो जाने से भारी हो जाते हैं और उसकी छाती से चिपक जाते हैं। इससे उसे उड़ने में बहुत दिक्कत होती है। ऐसे समय में बाज के पास दो ही रास्ते रह जाते हैं- या तो जीवन त्याग दे या फिर बदलाव के लिए एक दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरे जिसका समय 5महीने होता है।

फिर नया जीवन प्राप्त करने के लिए बाज उड़कर एक ऊँची चट्टान पर जाता है और वहाँ घोंसला बना कर वहाँ रहना शुरू कर देता है।

बदलाव की प्रक्रिया के अंतर्गत बाज चट्टान में अपनी चोंच मार-मार कर दर्द की परवाह ना करते हुए तोड़ देता है। उसके बाद अपने पंजों को तोड़ता है। अंत में अपने भारी हो चुके पंखों को भी नोच कर फेंक देता है। अब इस दर्द भरी विधि को पूरा करने के बाद बाज को पुरानी अवस्था में आने के लिए 5 महीने का इंतज़ार करना पड़ता है।

इसके बाद बाज का नया जन्म होता है। जिसके बाद वो एक बार फिर से शिकार कार सकता है, उड़ सकता है और मनचाहा आनंद ले सकता है। आगे के 30 साल उसे इन कष्टों के बाद ही मिलता हैं।

इसी तरह एक सफल इंसान भी एक बदलाव से ही आगे बढ़ता है। उस बदलाव के कारण उसकी आलोचना होती है, उसे गलत कहा जाता है। लेकिन वो इंसान अपनी मंजिल की और बढ़ जाता है। जिस तरह बाज एकांत में खुद को बदलता है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता की कोई क्या कहेगा। उसी प्रकार हमें भी एकचित्त होकर ईमानदारी से मेहनत करनी चाहिए और नकारात्मक चीजों से सदा दूर रहना चाहिए।

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32 Comments

  1. सच में बाज की ये कहानी दिल को छू लिया | रौंगटे खड़े होगे यह पोस्ट पढ़कर | आप एक और ऐसी ही पोस्ट शेयर करें | ताकि हमारी <a href="http://lifecare9x.blogspot.com/">लाइफ</a> में अच्छी जीवन दौड़ शुरू हो |

  2. @पॉज़िटिव बाते:-

    सही अर्थों में कहानी से हरेक उस बन्दे को हौसला,ताकत,उम्मीद। किकिरण दिखाई देगी, जो किसी भी कारणवश negativity, depression, और मेरी उमर जायदा है ,अब मै कुछ नहीं कर सकता. असेबउन सभी लोगो को हिम्मत देने वाली कहानी है।
    आप सभी एक
    *बात सुनी होगी कि बाज के बच्चे मुडर (घर की छत के आस पास) पर उड़ा नहीं करते.
    दूसरी बात
    # जब आसमान मै बारिश होती है तो कहीं पेड़ पर नहीं बैठता, बाज बदलो से उपर चला जाता है बारिश मै भीगने बच जाता है।
    ठीक इसी प्रकार
    #मनुष्य को भी जिंदगी में कठिनाई ने पर उस दुख,तकलीफ से उपर उठकर देखना चाहिए।
    * और अपने बच्चों की भी ड्रोन parenting Nahi Karni चाहिए और उन्हें हमेशा appreciate Karna चाहिए और पर नजर भी रखनी चाहिए।
    धन्यवाद
    @positivebate

    1. बहुत सही बातें कही हैं अपने हर माता-पिता को इस बात पर ध्यान देना चाहिए। परवरिश में आज एक बदलाक की आवश्यकता है। जैसा अपना बताया बस उसी की जरूरत है।

  3. आपकी इस सत्य कथा से हमको भी जीवन में कष्टों से न डरने की प्रेरणा मिलती है

  4. अद्भुत …हौसला अफज़ाई करने वाला पोस्ट … ऐसी ही रोचक और उत्साह वर्धक कथाये शेयर करते रहिये

  5. ईमानदारी se ki huee मेहनत kabhi व्यर्थ nahi jaati
    नकारात्मक चीजों से सदा दूर रहना चाहिए।

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