कहानियाँ, मोटिवेशनल कहानियाँ, लघु कहानियाँ, शिक्षाप्रद कहानियाँ

सकारात्मक सोच पर कहानी :- इंसान की सोच ही जीवन का आधार है


सकारात्मक सोच पर कहानी प्रेरित करती है गलत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने और उसके प्रभाव में न आकर सफल होने के बारे में। दुनिया में लोग अकसर अपने हालातों को अपनी दुःख भरी जिंदगी का कारन मानते हैं। लेकिन हमारी जिंदगी कैसी होगी ये हमारी सोच पर निर्भर करता है। इंसान के जीवन में सकारात्मक सोच की शक्ति ही उसके जीवन को बदल सकती है। सकारात्मक सोच के महत्त्व पर ही आधारित है यह शिक्षाप्रद व प्रेरणादायक कहानी ” सकारात्मक सोच पर कहानी ” :-

सकारात्मक सोच पर कहानी

सकारात्मक सोच पर कहानी

एक शहर में दो सगे भाई रहा करते थे। उनमें से एक नशे का आदी था। दिन भर नशे में धुत्त रहता था। अकसर शराब पी कर अपने घर वालों को पीटता रहता था। समाज में उसकी कोई इज्ज़त न थी।

वहीं दूसरा भाई शहर का एक सफल बिजनेसमैन था। जो एक सभी समाज में रहता था। सब उसकी इज्ज़त करते थे।  उसके परिवार के सभी लोग मिलजुल कर प्यार से रहते थे।

एक ही पिता की दो संतानों में इतना अंतर देख एक बार लोगों ने सोचा क्यों न इस बात का पता लगा जाए कि एक ही पिता के दो बेटे, एक से माहौल में पल कर बड़े हुए। फिर भी उन दोनों में इतना अंतर क्यों है।

लोग पहले नशेड़ी भाई के पास पहुंचे। उससे ये पूछा गया,

“तुम जो करते हो वो क्यों करते हो? तुम्हारे नशा करने, शराब पीने और परिवार से लड़ने का क्या कारन है? तुम्हें इस सब के लिए कौन प्रेरित करता है?”

जवाब मिला, “मेरे पिता..”

लोगों ने पूछा, “तुम्हारे पिता कैसे?”

नशेड़ी भाई ने जवाब दिया, “मेरे पिता भी नशा किया करते थे। वो अकसर नशे में घर आते और साब से मार-पीट करते। ऐसे हालातों में आप लोग मुझसे क्या उम्मीद रख सकते हैं?  मैं इसीलिए इस हालत में हूँ।“

अब जबकि उन्हें एक भाई का जवाब मिल चुका था। सब उसका जवाब सुन कर सब लोग दूसरे भाई के पास गए। उससे भी वही सवाल पूछा गया,

“तुम इस शहर के एक सफल बिजनेसमैन हो।  इसके पीछे का राज क्या है? तुम्हारी सफलता के पीछे की प्रेरणा क्या है?”

सोचिये क्या जवाब दिया होगा उसने?

उसने जवाब दिया, “मेरे पिता….”

जवाब सुन कर सब हैरान थे कि आखिर एक नशेड़ी पिता अपने बेटे को सही राह पर चलने के लिए कैसे प्रेरित कर सकता है। उन्होंने कहा,

“लेकिन वो तो नशा करते थे। घर वालों के साथ मार-पीट भी करते थे। फिर उन्होंने ने आपको कैसे प्रेरित किया?”

तब उस भाई ने जवाब दिया,

“जब मैं बच्चा था तब मैंने देखा कि मेरे पिता किस तरह शराब पी कर बुरी हालत में घर आते थे। उसके बाद वे सबको मारते थे। बस तभी मैंने ये सोच लिया था कि मुझे अपने पिता जैसा नहीं बनना।”

उसका जवाब सुन का सब लोग बहुत खुश हुए। उन्हें समझ आ गया था कि हमारी सफलता हालातों पर नहीं बल्कि हमारी सोच पर निर्भर करती है।

दोस्तों यही वक्त है कि हम हमारी सोच को बदल कर अपनी जिंदगी बदलने की कोशिश करें। इंसान की सोच ही जीवन का आधार है।  इस कहानी से भी हमें यही शिक्षा मिलती है कि हम जो सोचते हैं वही बनते हैं। इसलिए जरूरत है अपनी सोच बदलने की। अगर सोच बदल गयी तो जिंदगी अपने आप बदल जाएगी।

“ सकारात्मक सोच पर कहानी ” आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेंट बॉक्स के जरिये हम तक जरूर पहुंचाएं।

धन्यवाद।

3 Comments

  1. Mai negative vicharo me ulajh gya tha lekin Aaj subah se positive soch wali kaahniya padh Raha hu jisme se ek kahani ye bhi hai ab Bahut achha lag raha hai kahani padh kar
    Thank you aap kahaniyan continue rakhiye

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *