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Makar Sankranti In Hindi – मध्य जनवरी में, ठंडी-ठंडी सुबह में, हल्की-हल्की सूर्य की किरणे सुहावना मौसम और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार। कितना खुशनुमा माहोल होता है। हम सब जानते है, मकर संक्रांति हर साल जनवरी में आता है। हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाता है। कभी कभी पृथ्वी की गति और स्तिथियो के कारणों ये एक दिन आगे या पीछे हो जाता है। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को है।
मकर संक्रांति की रोचक जानकारी
हिन्दू महीने के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष के सप्तमी को मकर संक्रांति मनाया जाता है। मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष और नेपाल में मुख्य फसल कटाई के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पूर्व 13 जनवरी को ही मनाया जाता है। इस दिन उत्सव के रूप में स्नान, दान किया जाता है। तिल और गुड के पकवान बांटे जाते है। पतंग उड़ाए जाते है। मकर संक्रांति मनाते सब है पर ज्यादातर लोग इस त्यौहार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। इसलिए हम आपके लिए लेकर आये है कुछ रोचक बातें तो आइये जानते है मकर संक्रांति के बारे में रोचक तथ्य।
मकर संक्रांति क्यों कहा जाता है?
मकर संक्रांति पर्व मुख्यतः सूर्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़ के दूसरे में प्रवेश करने की सूर्य की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते है, चूँकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस समय को मकर संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य का उत्तरायण होना –
इस दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जससे दिन की लम्बाई बढ़नी और रात की लम्बाई छोटी होनी शुरू हो जाती है। इसलिए हमारे भारत में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुवात मानी जाती है। और इस कारण से मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति और पतंग महोत्सव –
पहले के समय में सुबह सूर्य उदय के साथ ही पतंग उड़ाना शुरू हो जाता था। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना। ये समय सर्दी के मौसम का होता है और इन मौसम में सुबह के सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्धक और त्वचा और हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। इस दिन गुजरात का पतंग महोत्सव बहुत प्रसिद्द है।
तिल और गुड़ के पकवान –
सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारी जल्दी लगते है। इस लिए इस दिन गुड और तिल से बने मिष्ठान खाए जाते है। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्व के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते है। इसलिए इस दिन खासतौर से तिल और गुड़ के लड्डू खाए जाते है।
स्नान, दान, धर्म पूजा –
माना जाता है की इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से क्रोध छोड़ के उसके घर गए थे। इसलिए इस दिन को सुख और समृद्धि का माना जाता है। और इस दिन किये गये पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि के पुण्य हजार गुना हो जाता है। इसलिए इस दिन गंगा सागर में मेला भी लगता है।
मकर संक्रांति के त्यौहार के विविध रूप –
यह त्यौहार पूरे भारत और नेपाल में फसलों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। खरीफ की फसलें कट चुकी होती है और खेतो में रबी की फसलें लहलहा रही होती है। खेते में सरसों के फूल मनमोहक लगते है। पूरे देश में इस समय ख़ुशी का माहौल होता है। अलग अलग राज्यों में इसे अलग अलग स्थानीय तरीकों से मनाया जाता है। क्षेत्रो में विविधता के कारण इस त्यौहार में भी विविधता है। दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी कहा जाता है। मध्य भारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति से जुड़े अन्य तथ्य
मकर संक्रांति हिन्दुओं के मुख्य त्योहारों में से है। और इस त्यौहार के बारे में पुराणों में भी वर्णन मिलता है। कुछ मुख्य कारण और घटनाये जो पुराणों में इस दिन को इंगित करता है वो इस प्रकार है-
- हिन्दू पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव जो मकर राशि का स्वामी है के घर मिलने जाते है। ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नही है, लेकिन सूर्य खद अपने पुत्र के घर जाते है। इसलिए पुरानो में यह दिन पिता पुत्र के संबंधो में निकटता के रूप में मनाया जाता है।
- ऐसा कहा जाता है की इसी दिन भगवान विष्णु ने मधु कैटभ से युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने मधु के कंधो पर मंदार पर्वत रख कर उसे दबा दिया था। इसलिए भगवन विष्णु इस दिन से मधुसुदन कहलाये।
- गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भागीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजो के आत्मा के शांति के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद ही गंगा समुद्र में जा मिली थी। इसलिए गंगा सागर में मेला लगता है।
- दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए इसी दिन धरती में कदम रखा था।
- पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर स्वेच्छा से शारीर त्याग किया था। क्योंकि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलती है या देवलोक में रहकर पुनः गर्भ में लौटती है।
कुछ ही दिनों पहले जनवरी के शुरुवात में पूरी दुनिया नए वर्ष का स्वागत करती है और इसके बाद साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति आता है। इसलिए इस त्यौहार का महत्व और बढ़ जाता है, और खुशियाँ दुगुनी हो जाती है।
खुशियों के इसी माहौल में आप सब पाठकों को अप्रतिम ब्लॉग की तरफ से मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाये।
- पढ़िए- भारत के रोचक तथ्य
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धन्यवाद।
2 comments
धन्यवाद शुभम राना जी
"खरमास का महीना – <a href=""https://www.dishanirdesh.in"">मकर संक्रांति</a> 15 दिसम्बर 2016 से 14 जनवरी 2017 १५ दिसम्बर २०१६ से धन की संक्रांति हो रही है। यानी सूर्य धनु राशि में होता है। सूर्य एक राशि पर एक महीने रहते हैं। धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होने पर शुभ
"