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लोमड़ी की कहानी ” अंगूर खट्टे हैं ” का अर्थ बताते मेरे निजी विचार :-
अंगूर खट्टे हैं
आप सबने लोमड़ी की वो कहानी तो पढ़ी ही होगी जिसमें वह भूखी जंगल में भटक रही थी। फिर उसे अचानक से एक जगह अंगूरों का गुच्छा दिखाई पड़ा। गुच्छा कुछ ऊँचाई पर था। इसलिए उसे अंगूर पाने के लिए कई बार कूदना पड़ा। मगर कई बार उछलने के बाद भी वह अंगूरों तक न पहुँच पायी।
असफल होने पर अंत में वहां से यह कहती हुयी चली गयी कि अंगूर खट्टे हैं।
इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि इन्सान जिस चीज को प्राप्त नहीं कर पाता उसे बुरा बोलता है।
लेकिन क्यों?
आखिर जो चीज उसे मिली ही नहीं उसे वो सबकी नजर में गलत क्यों साबित करना चाहता है?
शायद ही किसी ने कहानी के इस पहलु के बारे में सोचा हो। अगर लोगों से पूछा भी जाए कि लोमड़ी ने ऐसा क्यों कहा। तो सबका जवाब यही होगा कि उसे अंगूर नहीं मिला इसलिए उसने उसकी बुराई की। लेकिन अंगूर न मिलने पर उसने उसे खट्टा क्यों कहा?
इसका जवाब मैं अपने अनुभव से जाना वो मैं आप सबके साथ साझा करना चाहूँगा।
हो सकता है कई लोग मेरी बात से इत्तेफाक न रखते हों। क्योंकि उनका अनुभव कुछ और हो।
तो सवाल है अंगूर खट्टे क्यों हुए?
ये मानव का स्वाभाव है कि वह सबसे उत्तम बनना चाहता है और चाहता है उसे हर सुख सहूलियत प्राप्त हो। लेकिन ज्यादातर लोगों को ये सहूलियत इसलिए नहीं चाहिए कि उन्हें इसकी जरूरत है। बल्कि इसलिए चाहिए कि वो खुद को दूसरों से बेहतर दिखा सकें। वो दिखा सकें कि उन्होंने कुछ ऐसा प्राप्त किया है जो बहुत का लोग प्राप्त कर पाते हैं। इस से तो यही पता चलता है कि आज अगर
इन्सान सफल होना भी चाहता है तो प्रतियोगिता की भावना से।
जब वह ऐसा नहीं कर पाते तो उन चीजों की निंदा करनी शुरू कर देते हैं जो वो हासिल नहीं कर सके। दूसरे लोगों को उस चीज की कमियां गिनने लगते हैं अपनी कमियां छिपाने के लिए। और बात बस यहाँ ही ख़तम नहीं होती वो उन लोगों की भी निंदा करनी शुरू कर देते हैं जिन लोगों के पास वो चीजें है जो उनके पास नहीं हैं।
ऐसे में अंगूर खट्टे हो जाते हैं।
फिर वो अपने से ज्यादा सफल लोगों में भी कमियां निकालनी शुरू कर देते हैं। क्योंकि उनके पास और कोई काम नहीं है जिस पर वह ध्यान दे सकें। ऐसे में वे ऊपर उठने की कोशिश में नैतिकता के स्तर पर नीचे गिरने लगते हैं। खास बनने की चाह में वे अपनी सारी उम्र एक आम इन्सान के रूप में ही बिता देते हैं।
और फिर उनके लिए अंगूर और भी ज्यादा खट्टे हो जाते हैं।
वहीं जो लोग अंगूर को खट्टा कहने की बजाय उसे प्राप्त करने की कोशिश करते रहते हैं वे एक दिन उस अंगूर का स्वाद जरूर प्राप्त कर लेते हैं। या यूँ कहें कि किसी की बातों में न आकर वे अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं।
इसलिए यदि आप भी कहते हैं कि अंगूर खट्टे हैं तो ऐसा कहना बंद करिए और उस अंगूर को हासिल करने की कोशिश कीजिये।
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धन्यवाद।