सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें पहले अपने मन को तैयार करना पड़ता है। बिना मन के आप कोई भी काम ज्यादा देर तक नहीं कर सकते। मन को अपने लक्ष्य कि तरफ बढ़ाने के लिए हमें निरंतर प्रेरणा की आवश्यकता होती है। उसी प्रेरणा को कविता के रूप में लिखने का प्रयास किया है हरीश चमोली जी ने इस प्रोत्साहित करने वाली कविता में :-
प्रोत्साहित करने वाली कविता
मन मुराद, तू सुन पुकार
किसका तू कायल हुआ
सुन पुकार कर तू संहार
डर से क्यूं घायल हुआ,
आलास को छोड़ स्फूर्ति जगा
योग्यता अपनी जगमग कर
कर तू प्रयास, तू हो सफल
प्रगति पथ पर अब पग धर।
समय है अब हिम्मत कर
होके निडर, हुंकार भर
नई सोच को जन्म दे
न खुद पर तू अहंकार कर,
कर्म की अब चाह ला
लक्ष्य का निर्माण कर
दर दर भटकना छोड़
खुद अब नाम कर।
जीवन को नया मोड़ दे
खुद की तू पहचान बना
गुमराह करें जो भी तुझको
उन सब को तू अनजान बना,
दुनिया की फिक्र छोड़ दे
खुद को अब आगाह कर
मन से सहज ही अर्जुन होजा
अपने लक्ष्य पर निगाह कर।
कर्म से तू अभिमन्यु होजा
सारे चक्रव्यूह को भेद कर
न ठहर, न विश्राम कर
अपनी शिक्षा को वेद कर,
छोड़ विलास, न कर मलाल
खुद को तू अभिराज कर
रुकना नहीं, थकना नहीं
गंतव्य का अब आगाज कर
कर तू प्रयास, तू हो सफल
प्रगति पथ पर अब पग धर।
पढ़िए :-
- प्रगति पर कविता | प्रगति का आधार | Pragati Par Kavita
- इंसान पर कविता | बनाओ मत भगवान उसको | Insan Par Kavita
- प्रेरणादायक कविता ‘मन की ज्वाला’
- ज्ञान की कविता | मूर्खों का अनुसरण | Gyan Ki Hindi Kavita
- शिक्षाप्रद बाल कविता | झूठ के पाँव (पद्य कथा) | हिंदी कविता
मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
‘ प्रोत्साहित करने वाली कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।
धन्यवाद।