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कुदरत का इंसाफ :- दहेज के लाभियों के अंजाम की कहानी


कुदरत बहुत ताकतवर होती है। ये इन्सान को इस तरह से सबक सिखाती है कि वो कभी सोच भी नहीं सकता कि ऐसा भी हो सकता है। इसीलिए कई दफा इन्सान ने जैसा सोचा है वैसा नहीं होता बल्कि वैसा होता है जैसा कुदरत चाहती है। कुदरत का इंसाफ कुदरत अपने ही तरीके से करती है। आइये पढ़ते हैं ऐसी ही एक कहानी जिसमे कुदरत अपना रंग दिखाती है और दहेज़ के लोभियों को सबक सिखाती है। आइये पढ़ते हैं कहानी कुदरत का इंसाफ –

कुदरत का इंसाफ

 

कुदरत का इंसाफ

किचन में आग जल रही थी और अन्दर से आवाज आ रही थी,”बचाओ….बचाओ…….” मगर सब ये आवाज सुन कर भी उस घर का हर सदस्य बहरा बना हुआ था।

अभी कुछ ही महीने तो हुए थे रिया और अमित की शादी को। मगर इस कलमुहे दहेज़ ने रिश्ते की नींव हिला कर रख दी। सास-ससुर, ननद और यहाँ तक कि उसका अपना पति भी उसे दहेज़ के ताने मारता था। मगर रिया हर ताने को जहर के घूँट की तरह पी जाती। ससुराल वालों के जुल्म अपनी हर इन्तेहाँ पार कर रहे थे। कभी-कभी तो रिया सोचती कि ऐसी जिंदगी से तो अच्छा है मौत को गले लगा लिया जाए। फिर उसे अपने माता-पिता का ख्याल आता है कि उन पर क्या बीतेगी। बस यही चीज उसे कोई भी गलत कदम उठाने से रोक लेती थी।



इसी तरह एक-एक कर सभी दिन बीतते जा रहे थे। उसके ससुराल वाले न जाने कहाँ से उसे तंग करने के लिए रोज कोई बहाना खोज लेते थे। कभी उसके बनाये खाने में कमी निकालते। कभी उस से इतना काम करवाते कि वो ठीक से आराम भी न कर पाती। न जाने उसे कब इस अत्याचार से मुक्ति मिलती और उसके साथ हो रहे अन्याय के लिए उसे इन्साफ मिलता। लेकिन अमित और उसके माता-पिता शायद इस रोज-रोज के खेल से तंग आ चुके थे और चाहते थे कि ये सब एक दम से ख़त्म कर दिया जाए।

ये सब ख़तम करने के लिए उन्होंने रिया को ही ख़त्म करने का फैसला किया गया और अमित के साथ उसके माता पिता ने मिल कर ये प्लान बनाया कि रात को किचन में गैस खुली छोड़ दी जाएगी। रिया हर रोज सभी काम निपटा कर किचन में पानी पीने जाती थी। तो उनके प्लान के अनुसार रोज की तरह रिया रात को किचन में जरूर जाती और उसके बाद जैसे ही वो बल्ब का स्विच ऑन करती। इसके साथ ही सब हमेशा के लिए ख़त्म हो जाता।

रात हो चुकी थी सभी सोने के लिए लेट चुके थे। रिया अभी भी अपने काम में जुटी हुयी थी। हालाँकि उसके पति ने उसकी कभी कदर नहीं की लेकिन वो पत्नी होने का हर फर्ज पूरी ईमानदारी से निभाती थी। रात को अपनी सास के पैर दबाने के बाद रिया उनके कमरे से निकली और किचन की तरफ चली गयी। अमित अपने कमरे में लेटा हुआ था। आम तौर पर वो रिया के जाने से पहले सो जाता था। मगर आज तो उसे नींद आ ही नहीं रही थी। शायद वो खुश था कि उसके रचे चक्रव्यूह से आज उसे रिया से हमेशा-हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाएगी।

रिया किचन की तरफ बढ़ रही थी। किचन का दरवाजा खुला और जैसे ही बल्ब जलाया गया तुरंत ही आग ने पूरा किचन घेर लिया। ऐसे लग रहा था मानो जैसे कहीं चुपके से बैठा हुआ शेर अचानक ही अपने शिकार पर आ झपटा हो। बस कुछ ही देर में किचन से आवाजें आने लगीं,

“बचाओ….बचाओ…….”

अमित और अमित के माता-पिता सब कुछ सुनते हुए भी बहरे बने हुए थे। वो जाते भी क्यों उन्होंने ही तो ये प्लान बनाया था। जब दो मिनट बीत गए तो वो लोग उठ कर किचन की तरफ गए। अभी किचन तक पहुंचे ही थे कि वहाँ का दृश्य देख उनके होश उड़ गए। कुदरत का इंसाफ हो चुका था। उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उन्होंने देखा उनकी बहु सामने खड़ी थी। तभी एक आवाज आई,”मुझे बचा लो भाभी……मैं……मैं मरना नहीं चाहती…..”

ये आवाज थी अमित की बहन शीतल की। जिसे रिया अपनी जान पर खेल कर आग से बचा कर लायी थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ये सब कैसे हुआ।

कुदरत भी क्या चीज है नहीं। अक्सर बड़े-बुजुर्गों से सुनते आये हैं कि जो दूसरों के लिए खड्डा खोदता है वो खुद ही उस खड्डे में गिरता है। लेकिन यहाँ खड्डा खोदने वाला ही नहीं उसके अपने भी उसी खड्डे में गिर चुके थे।

हुआ ये था कि जब रिया अपनी सास के पैर दबा कर कमरे से बहार निकली तो उसे चक्कर आ गए और वो कमरे के बहार ही जमीन पर बैठ गयी। इतनी ही देर में शीतल किचन में पहुँच गयी और ये सब हो गया। शायद ये रिया की नेक नियत का ही नतीजा था जो वो बच गयी। इतनी ही देर में शीतल किचन में पहुँच गयी और ये सब हो गया।

ये तो शुक्र था जो रिया समय रहते किचन में पहुँच गयी और शीतल जो कि अमित की बहन थी, को किचन से जली हुयी हालत में बाहर ले आई। अमित और उसके माता-पिता को समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा था। जिस बहु को उन्होंने मारने की कोशिश की उसी ने उनकी औलाद की जिंदगी बचायी। वो शर्मिंदा तो थे ही लेकिन इसे महसूस करने में शायद उन्होंने काफी देर कर दी थी।



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धन्यवाद।

Image Source :- Patrika News

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