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बंडलबाज गधा – एक आवारा गधे की मजेदार कहानी | BandalBaz Gadha

by Chandan Bais
13 minutes read

पढ़िए एक आवारा गधे की मजेदार कहानी – बंडलबाज गधा ।

बंडलबाज गधा

बंडलबाज गधा - एक आवारा गधे की मजेदार कहानी

“वाह! लाइफ हो तो ऐसी। ना कोई काम करने की तकलीफ ना ही किसी बात की फिकर”
अपने शयनस्थल में बैठा बंडलबाज गधा मन ही मन सोच के मुस्कुरा रहा था। हरी मैदान के ताजा स्वादिष्ट हरी हरी घास खा के, और कस के पानी पी के गधा गर्मी के इस दिन में दोपहरी को सुस्ताने बैठा था।

उसकी नींद लग ही गई होती, अगर झाड़ियो के पीछे से आती किसी के फुसफुसाहट की आवाज, उसके कानो तक ना पहुचती। पहले तो उसने अपने आरामपरस्त स्तिथि में कोई भी जहमत न करने की सोची। और ये सोच के बात को ख़ारिज करने लगा की कोई राहगीर अपने काम की हिसाब लगाते  राह चल रहा होगा। पर शायद ही दुनिया में ऐसा कोई प्राणी होगा जो किसी दुसरे के गुप्त बात को जानने को लालायित ना हो।  इसी नियम से प्रेरित होकर गधा ना चाहते हुए भी उठ खड़ा हुआ और उन झाड़ियो की ओर बढ़ गया जहा से फुसफुसाहट की आवाजे आ रही थी।

नजदीक आने पे पता चला की जो आवाजे आ रही थी वो कालू लोमड़ी और छोटू गिलहरी की थी। उनके बीच जरुर कोई काम की बात हो रही होगी, ये सोच कर गधा झाड़ियो के पीछे से कान लगा के सुनने लगा।

“कल शाम को मै और राजा शेरसिंह नदी के किनारे टहलते हुए दूर निकल गये थे।” लोमड़ी बोल रहा था। “तभी हमने देखा की एक सुंदरी हिरनी नदी के किनारे-किनारे हमारी ओर बढ़ी आ रही थी।”
‘सुन्दर हिरनी?’ गिलहरी चौका।
“हाँ हिरनी और इतनी सुन्दर की राजा साहब तो देख के चक्कर ही खाने वाले थे।”
’अच्छा?’
“हां। मैंने उन्हें संभाला।”
“फिर क्या हुआ?”
“फिर पूछने पे पता चला की पड़ोस के जंगल से यहा आई है घुमने के लिए।”
‘क्या अकेली?’ बड़े बाप की बेटी लगती है अकेले ही घुमने फिरने आ गयी।
“अकेली नही उसके साथ उसके कुछ अंगरक्षक भी है। असल बात तो ये है की वो यहाँ अपने लिए एक जीवन-साथी के तलाश में आई है।”
‘जीवन-साथी के तलाश में?’
“हां।” लोमड़ी आवाज हल्की करते हुए बोला “पर राजा साहब नही चाहते की किसी को इस बात की खबर लगे और कोई दूसरा हिरनी को उड़ा ले जाए और राजा साहब देखते रह जाए।”
‘अच्छा’
“हां। राजा साहब तो उसे देखते ही उस पे मर मिटे है। इसीलिए आज शाम को उन्हें राजा साहब विचरण प्रमाण पत्र देंगे जिससे सबको लगे की वो यहा सिर्फ घुमने आई है। और कोई उनकी तरफ ध्यान ना दे।”

झाड़ियो के पीछे से बंडलबाज गधा सारी बातें सुन रहा था। वो मन में हिरनी की सुन्दरता के बारे में सोचने लगा। उसकी बिरादरी के गदहिया तो उसे भाव देती नही। सब के सब उसे नालायक और बंडलबाज गधा समझते थे। ‘तो क्यों ना इस हिरनी पे हाथ आजमाऊ और सबको दिखा दू की मै किसी से कम नही। वैसे भी आजकल अंतरजातीय विवाह का बोलबाला है कोई ये नही कह सकता की तू गधा है तो एक हिरनी से कैसे शादी करेगा। अबतो मुझे अपना जलवा दिखाना ही होगा सबको।’

इन विचारो के साथ गधा फिर से कान लगा के सुनने की कोशिश करने लगा। पर कोई आवाज नही आई। गधा को आश्चर्य हुआ। झाड़ियो की डाल हटा के देखने की कोशिश करने लगा तो पाया की वो दोनों वहा से चले गये थे। गधे ने निश्चय किया की आज शाम को वो पर्यटन कार्यालय में जाएगा और उस सुंदरी को देखेगा जिसपे राजा भी मर मिटा है।

तीसरे पहर से बाबू भालू ये सोच के परेशान था की आज पर्यटन कार्यालय में लोगो की इतनी आवाजाही कैसे हो रही है। जहा बाकि दिनों कार्यालय में भालू के पास मक्खी मारने के अलावा कोई काम न रहता वहा आज काम ही काम था। राजा का भी सन्देश आया था की वो शाम को यहा आने वाले है। कुछ जानवर तो कार्यालय के बाहर ही कही कही बैठ के सुस्ताने लगे थे। शायद सबको इस बात की खबर लग गई थी की आज यहा अति सुंदरी हिरनी आने वाली है।

कुछ ही देर में राजा शेरसिंह वहा पहुंच गये। पहले से ही वहा मौजूद भीड़ देख के राजा के होश उड़ गये। पर वो कर भी तो कुछ नही सकता था। क्योकि ये कार्यालय सरकारी जगह है और यहा आने से किसी को रोका नही सकता। “पर इतने लोग यहा आये किस लिए है? कही सबको हिरनी की बात तो खबर नही लग गई?” शेर मन ही मन सोचने लगा। उसे लगने लगा की उसकी सारी किये कराए पर पानी फिरने वाला है।

धीरे धीरे वहा भीड़ इस कदर बढ़ने लगा मानो वहा मेला लगा हो। हर कोई अपने अपने तरीके से खूब सज-धज के वहा आया था। हर कोई यही चाहता था की सुंदरी हिरनी उसपे ही मोहित हो जाए। हर कोई अपने अपने तरीके से तैयारी कर के आया था। कोई कांटेदार जूते पहन के आया था, कोई विलायती टोपी, कोई  कोई रंगीन शर्ट, कोई झालरदार पतलून, ऐसे ही हर कोई बन-ठन के वहा आया था।

शेर कार्यालय के अन्दर बैठे बाहर का नजारा देख रहा था वो मन ही मन सब जानवरों पे गुस्सा हो रहा था। उसने लोमड़ी को तुरंत हाजिर होने का हुक्म दिया। कुछ समय बाद ही लोमड़ी हाजिर हुआ। शेर गुस्से से उसे डपटते हुआ पूछा “क्यों बे कल्लू, तुझे कहा था किसी को हिरनी वाली बात पता ना चले फिर यहा कैसे मेला लगा हुआ है?”
लोमड़ी डरते हुए धीरे धीरे जबान खोलने लगा “हुजुर मुझे नही पता इन सब लोगो को कैसे पता लगा मैंने तो किसी को भी नही बताया था।”
“तू सच बोलता है?”
“जी हूजुर! मैंने किसी को नही बताया। सिर्फ इस बात का जीकर अपने बीवी से किया था।”
“अगर आज कोई लोचा हुआ और हिरनी किसी और के साथ गई तो ठीक नही होगा। जा बाहर जा के पता लगा हो गया रहा है?”

“आखिर हिरनी को इम्प्रेस कैसे करू मै? कुछ टैलेंट तो है नही मुझमे। ना मेरे पास कोई सरकारी नौकरी है, ना कोई पुरखौती जायजाद। ना अंग्रेजी आती है ना दिखने में कोई टॉम क्रूज लगता हु। फिर हिरनी क्यों मुझपे मरने लगी? पर कुछ तो करना पड़ेगा रे बाबा।” इन्ही उधेड़बुन में उलझा गधा घास मैदान के बीच से होते हुए पर्यटन कार्यालय की ओर जा रहा था। अपने मामा से ली हुई एक काली चश्मा भी उसने साथ रख ली थी।  वो घास मैदान से रास्ते में चढ़ने ही वाला था की उसे दो-तीन लोगो की बात करने की आवाज सुनाई दिया। वो ठिठका और सड़क के बाजू उगे कुछ झाड़ियो में छिप गया।और रास्ते में नजर लगा के देखने लगा।

उसे कुछ अजनबी बन्दर दिखाई दे रहे थे। तीन बन्दर आपस में बात करते हुए चल रहे थे। साथ में एक हिरनी भी थी। अरे ये तो वही सुंदरी हिरनी थी। गधा ने उसे देखते ही पहचान लिया की यही सुंदरी हिरनी है जिसपे उसे कैसे भी इम्प्रेसन ज़माना था। एक बार ये लाइफ में आ जाए तो दुनिया देखते रह जाए। सोच के गधा मुस्कुराया।

हिरनी और बन्दर कुछ कदम आगे निकल गये। गधा झाड़ियो से निकल के चुपचाप उनके पीछे चलने लगा। और उनकी बात सुनने की कोशिश करने लगा। गधा ने महसूस कर लिया की वो लोग रास्ते को लेके असमंजस में थे। गधा ने सोचा यही सही वक्त है हीरो बनाने का।
“कुछ मदद चाहिए मोहतरमा?” पीछे से आने वाली इस आवाज को सुन के हिरनी और तीनो बन्दर ठिठक के रुक गये। हिरानी ने पीछे मुड के देखा। एक मोटा ताजा गधा करीब हिरनी के ही उचाई का बड़े सभ्य ढंग से खड़ा था। उसकी खाल चिकनी थी। चेहरे में मुस्कान ऐसे थी की उसके दांत साफ़ बाहर दिखाई दे रहे थे। और असके आँखों में एक कला चश्मा था। उसकी स्थिति ऐसी थी मानो किसी फोटोग्राफर को पोज दे रहा हो।

‘आप?’
“जी हमने पूछा में आई हेल्प यू?”
एक बन्दर आगे बढ़ा। ‘भैया जी उ हम पिर्यटन किरयालय जा रहे थे, पण रास्ता मालूम नही।’
“ओ इतनी सी बात?”
हिरनी आगे आके बोली “हम इस जंगल में नये आये है?”
“कोई बात नही मोहतरमा। वैसे तो मै इसी जंगल का हूँ पर बहुत दिनों की विदेश यात्रा के बाद आज लौट रहा हु। मै भी पर्यटन कार्यालय जा रहा हू। चलो।”
विदेश यात्रा की बात सुन के हिरनी की आँखे चमकने लगी। उसने अपने दोस्तों से सुना था की विदेशो में भी जानवर रहते है।
‘क्या आप सच में विदेश से आ रहे है?’
“येस! क्या है मोहतरमा मै ठहरा बांका नौजवान, ना मेरा कोई परिवार, न जीवन संगिनी। मै मस्त कुंवारा जवान हू यहा वहा  घूमते रहता हू शौक से।” गधा ने हिरनी पे इम्प्रैशन मारा।

दोनों बात करते चले जा रहे थे। तीनो बन्दर उनके पीछे पीछे चल रहे थे।
‘अरे एक तो यहा इतना भीड़ ऊपर से वो कमबख्त अब तक आई क्यों नही?’ नाराज अंदाज में शेर ने भालू और लोमड़ी की तरफ देख के कहा। ‘बाहर जंगल से पहली बार हमारे जंगल में आई है सर, हो सकता है रास्ता भटक गई हो? भालू ने अंदाजा लगाया। तभी बाहर कुछ हल्ला होने का एहसास हुआ। शेर, लोमड़ी, और भालू तीनो जल्दी से कार्यालय के बाहर निकले।  हिरनी और गधा बतियाते हुए चले आ रहे थे।

जानवरों की इनती भीड़ देख के एक बार गधा को भी आश्चर्य हुआ। उसे नही पता था की इस जंगले में इतने लोग कुंवारे बैठे है।
पर लोगो में अपनी धौस जमाने के इरादे से गधा और तन कर और मुस्कुराते हुए चलने लगा। वो सोचने लगा की इन सब जानवरो के जी जल जायेगा जब ये देखेगा की जिसे वो नालायक और बंडलबाज समझते थे, वो गधा एक बड़े बाप के बेटी अति सुंदरी हिरनी के साथ बात करते चले आ रहा है।

“क्या यहा कोई मेला लगा है?”
‘नही ये लोग शायद मेरे स्वागत के लिए यहा इकट्ठे हुए है।’ गधा डींगे मारते हुए बोला।
‘आप तो बड़े ही खानदानी लगते हो।’
‘जी बिक्लुक। बहुत बड़े बड़े खानदान से रिश्ते आते रहते है मेरे लिए।’ गधा अपनी बड़ाई कर के हिरानी पे इम्प्रैशन जमा रहा था।
भीड़ से गुजरते हुए वे लोग कार्यलय के नजदीक पहुचे। जिनके सामने से भी वो लोग गुजरते सब गधे को मन ही मन कोसने लगते। गधा अकड़ के चल रहा था। कार्यालय के पास पहुचने पे पाया की सामने शेर, लोमड़ी और भालू खड़े है।

गधा ने उन्हें देख के बड़े अदब से कहा “ गुड इवनिंग मिस्टर किंग ।”
शेर ने एक पल तो उनको पैर से सर तक देखा फिर बड़े ही अनमने भाव से उसका अभिवादन स्वीकार किया।
‘स्वागत है आइये मेडम बड़ी देर लगायी आने में? आपके इन्तेजार में आँखे सुख गई।’
‘वो हम रास्ता भूल गये थे।’
“ये बात है! ये बंडलबाज निकम्मा गधा आपके साथ? “
‘जी इन्होने ही हमार्री मदद की यहा तक आने में। वैसे राजा साहब क्या यहा कोई आयोजन हो रहा है?’
“हम आपको देखने आये है सुंदरी जी।” भीड़ में से आवज आई।
गधा और हिरनी भीड़ की तरफ मुड़े।

“हमने सुना है की आप यहा एक जीवनसाथी की तलाश में आये है?”

शेर  गुस्से से लाल  हो रहा था। वो नही चाहता था की जंगल के किसी भी जानवर को ये बात पता चले पर हुआ बिल्कुल उल्टा। एक तो शेर होने के कारण वैसे भी उससे कोई प्यार नही करता था। एक मौका हाथ आया उसमे भी रंग में भंग पड़ रहा था, पर वो कर भी तो कुछ नही सकता था। जंगल में प्रजातंत्र जो लागु था। सुंदरी हरनी अपने लिए इतने भीड़ को देख के मन में गर्वित तो हो रही थी। पर वो सकते में भी थी। उसने नही सोचा था यहा इतने कैंडिडेट मिलेंगे। कुछ बोलने के बजाय वो हक्का-बक्का खडी थी। आखिर उसने मुह खोला। “हां आई तो इसी लिए हूँ। पर यहा आप सब इतने….।”

“हम भी आपसे शादी करने के लिए आये है सुंदरी जी। बताओ हमें क्या करना होगा।” चूहा बोला “मै अपने सारी जमीन आपके नाम कर दू?” ‘मै आपको आसमानों तक पंहुचा दूंगा आप मुझसे शादी कीजिये सुंदरी जी’ एक जिराफ बोला। पीछे में हाथी खड़ा था बोला। “मेरे होते हुए कोई आपको छू भी नही पायेगा। तुम सारे जानवरों को क्या लगता है सुंदरी जी किसी भी आंडू-पांडु से शादी करने यहाँ आई है? चलो फूटो सब यह से..” गधा रोब झाड़ते हुए चिल्लाया।
‘तू कोन सा हीरो है बे गधे.. पास में खड़ा सांड बोला। इस तरह सब अपनी अपनी बातो से बहस करने लगे। हिरनी समझ नही पा रही थी क्या हो रहा है। शेर को गुस्सा आ रहा था चिल्ला के बोला। “मै इस जंगल का राजा हू यहा जो भी होगा मेरे आर्डर से होगा। सुंदरी मुझसे शादी करेगी।”

“राजा जी गुस्ताखी माफ़। पर ये तो सरासर तानाशाही है।” चीता बोला।
‘हां ऐसा नही चलेगा। किसी ने बोला और एक बार फिर सबमे बहस छिड़ गई।
पेड़ में बैठा एक बुढा बाज सब देख रहा था। जब उससे रहा नही गया तो उसने खाँसते हुए चिल्ला के सबसे कहा। ‘शांत हो जाओ  सब।’ उसकी आवाज सुन के सब धीरे धीरे शांत हो गये और उसकी तरफ देखने लगे। तुम लोग जंगल के जानवर क्या इंसानों जैसी हरकत कर रहे हो। गधा आगे आते हुए बोला। “मास्टर हम सब इस हिरनी से शादी करना चाहते है? पर शादी तो कोई एक से ही होगा। पर यहा तो सब अपना अपना डंका बजा रहे है।”

बाज बोला ‘शादी हिरनी को करनी है, तो उसे फैसला करने का अधिकार है की वो किस्से शादी करेगी।’ सब हिरनी की तरफ देखने लगे।
‘मै तो यहा किसी को नही जानती कैसे बताऊ की जो मै खोज रही हूँ वो कौन है।’
‘हूँ…’ सोचने के अंदाज में बाज के मुह से निकला। तब तो इस समस्या का एक ही हल है। ‘क्या मास्टर?’ बहुत से जानवरों ने एक साथ पुंछा। “चुनाव” बाज ने अलग ही अंदाज में कहा।
‘चुनाव! ये क्या होता है? लगता है बुड्ढा सेठिया गया है।’
“हां चुनाव! उपयुक्त का चुनाव। सबकी परीक्षा लिया जाएगा। जो सबसे ज्यादा बुद्धिमान और गुणवान होगा, वही हिरनी से शादी करने के लिए चुना जायेगा।”

किसी भी जानवर को कुछ समझ नही आ रहा था सब एक दुसरे के मुह तांक रहे थे। बाज ने फिर बोला। ‘ऐसा ही करते है इन्सान। जब उन्हें किसी पद यह चीज के लिए बहुत से उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनना होता है। पर मुझे ठीक से नही पता की वो ऐसा करते कैसे है?’
‘हां मैंने सुना है, इन्सान बहुत बुद्धिमान होते है।’ किसी ने भीड़ से चिल्लाया। गधा को याद आया की वो २-४ साल इंसानों के बीच रहा है। उसने तुरंत मुह फाड़ा ‘हां मुझे पता है मै इंसानों के साथ रहा हूँ बहुत दिनों तक। पर मुझे भी नही पता चुनाव कैसे होगा।
‘मास्टर अब आप ही बताये हम चुनाव कैसे करे?’ शेर बोला

‘हूँ.. कुछ जानवरों को इंसानों की बस्ती में जाना होगा। और वहा से पूरी जानकारी ले के वापस आना होगा। ताकि यहा चुनाव किया जा सके।’ सब जानवर मास्टर की बाते  सुन रहे थे। हिरनी कुछ समझ नही पा रही थी, क्या हो रहा है। उसके बन्दर बुत बने खड़े थे।
अंत में जानवरों ने ये फैसला लिया की 5 जानवर इंसानों की दुनिया में जाएगा और पूरी जानकारी के साथ वापस आएगा। तब तक हिरनी यहा की शाही मेहमान बन के रहेगी।

क्रमशः.. आगे की कहानी पढ़िए भाग – २

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धन्यवाद।

आपके लिए खास:

6 comments

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Niraj varma जुलाई 25, 2017 - 6:46 अपराह्न

Very nice

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 30, 2017 - 2:42 अपराह्न

धन्यवाद नीरज वर्मा जी…….

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kadamtaal दिसम्बर 18, 2016 - 5:37 अपराह्न

बेहतरीन मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानी है। कहानी प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद।

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Chandan Bais दिसम्बर 18, 2016 - 7:56 अपराह्न

हमें ख़ुशी है की कहानी आपको पसन्द आई, ऐसे ही मजेदार और ज्ञानवर्धक कहानी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए…!

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Khushbuddkn नवम्बर 23, 2016 - 9:18 अपराह्न

Mast

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Chandan Bais नवम्बर 24, 2016 - 7:49 पूर्वाह्न

Thanks for your feedback.. Aage ki kahani ke liye jude rahiye hamare saath..!

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