कहानियाँ, मनोरंजक कहानियाँ, शिक्षाप्रद कहानियाँ

लालच का फल पर कहानी :- लालच बुरी बला है | Lalach Ka Fal Laghu Katha


लालच का फल पर कहानी – जीवन में हमारे पास जो भी है हमें उसमें ही संतोष करना चाहिए। आगे बढ़ने और ज्यादा हासिल करने के लिए हमें मेहनत ही करनी होगी। ऐसी ही शिक्षा दे रही है यह शिक्षाप्रद लालच का फल पर कहानी “लालच बुरी बला है” :-

लालच का फल पर कहानी

लालच का फल पर कहानी

किसी गाँव में एक बहुत ही गरीब मजदूर “दीनू” रहता था। वह दिन में मजदूरी करता और सुबह शाम भगवान का नाम लेता। उसकी एक अच्छी आदत थी कि यदि उसके पास खाने के लिए रोटी होती और उस से कोई मांग लेता तो वह बिना संकोच अपनी रोटी उसे दे देता था। भले ही बाद में उसके पास खाने के लिए कुछ न बचता हो। बस कभी-कभी उसके मन में यह विचार आ जाता था कि भगवान उस पर दया क्यों नहीं करते? जिससे उसकी गरीबी अमीरी में बदल जाए।

हर दिन की तरह एक दिन वह मजदूरी के लिए गाँव से बाहर जा रहा था। रस्ते में उसे एक बाबा मिले।

“बेटा, बहुत दिनों से भूखा हूँ। कुछ खाने के लिए हो तो दे दो।“

बाबा के इतना कहने की देर थी कि बस दीनू ने झट से अपनी पोटली में बंधी रोटी उन बाबा को दे दी और बिना कुछ कहे सुने आगे बढ़ गया। अगले दिन जब फिर दीनू उसी रास्ते से जा रहा था तब वही बाबा उसे फिर दिखाई दिए।

“बाबा आज कुछ खाने को मिला या नहीं?”

दीनू ने बाबा के पास रुकते हुए कहा।

“अभी तक तो कुछ नहीं मिला बेटा। जब ऊपर वाले की मर्जी होगी वो तभी देगा।”

यह सुन दीनू ने फिर से अपनी रोटी दी और बोला,

“लो बाबा, ऊपर वाला मेरी तो सुनता नहीं लेकिन तुम्हारी सुन ली उपरवाले ने। ये लो रोटी।“

बाबा ने पोटली हाथ में लेते हुए दीनू से कहा,

“बेटा आज के समय में तेरे जैसा इन्सान बहुत मुश्किल से मिलता है। मै तुझसे बहुत खुश हूँ। आज तेरी भी ऊपर वाला सुनेगा। तू कोई भी तीन चीज मांग ले मुझसे। तेरी सारी मनोकामना पूरी होगी।”

दीनू ने मन ही मन सोचा कि शायद बाबा मजाक कर रहे हैं। तो उसने भी उसी तरह जवाब देते हुए कहा,

“बाबा गरीब मजदूर हूँ, टूटा-फूटा घर है। गरीबी इतनी है कि कई बार तो भूखे ही सोना पड़ता है। करना है तो कुछ ऐसा करिए कि मेरा एक सुन्दर सा घर बन जाए और खाने-पीने की कोई कमी न रहे।”

“बेटा तू घर जा, तेरा आज का खाने का इंतजाम हो चुका है और 2 चीज क्या चाहिए बोल।”

अब तो दीनू को पूरा विश्वास हो चुका था कि वह बाबा मजाक ही कर रहें हैं। इसलिए आगे बिना कुछ कहे दीनू आगे बढ़ गया।

शाम को दीनू जब काम से थकहार कर घर लौटा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी। उसके घर की जगह एक बहुत ही सुन्दर ईमारत बन चुकी थी। उसने अपनी पत्नी से इसके बारे में पुछा तो उसने बताया,

“सुबह कुछ देर के लिए मुझे चक्कर आया और मैं बेहोश हो गई। जब होश आया तो देखा कि यहाँ पर हमारे घर की जगह ये नया घर था।”

“बाबा सच बोल रहे थे।”

दीनू माथे पर हाथ रख नीचे बैठते हुए बोला।

“कौन बाबा? क्या बोल रहे थे? क्या बड़बड़ा रहे हो तुम? कुछ बताओगे मुझे भी?”

दीनू ने अपनी पत्नी को सब कुछ बताया। सब सुनते ही दीनू को पत्नी को भी विश्वास न हुआ। उसने भी बाबा की परीक्षा लेने के लिए दीनू को भेजा। उसकी पत्नी ने उसे इस बार उसके लिए गहने मांगने के लिए कहा।

अगले दिन दीनू की पत्नी ने रोटियां बना कर दीं। इस बार यह रोटी सद्भावना के लिए नहीं बल्कि लालचवश बनाई गयी थीं। दीनू बाबा के पास गया और जैसा उसकी पत्नी ने कहा था उसने वैसा ही किया।

“बेटा मैंने तुम्हें 3 चीजें मांगने के लिए कहा था। एक तुम मांग चुके हो। दूसरा तुम अब मांगने आये हो। तीसरी चीज सोच समझ कर मांगना। लालचवश कुछ भी मत मांगना। वही मांगना जिसकी तुम्हें जरूरत हो। बिना दाम के मिला हुआ सामान समस्या को आमंत्रण दे सकता है।”

बाबा दीनू को समझाते हुए बोले। दीनू तो बाबा के चमत्कार के आगे न कुछ सुन पा रहा था न ही कुछ समझ पा रहा था। उसके मन पर लालच का पर्दा पड़ चुका था।

“यहाँ से कुछ दूर एक बरगद का पेड है। उसके नीचे ही एक छोटा पौधा उग रहा है। तुम उस पौधे के नीचे खोदोगे तो तुम्हें सोने के गहने मिल जाएँगे।”

बाबा के यह बताने पर दीनू रोटियां देकर वहां चला गया। वहां से गहने लेकर वह घर चला गया।

2 ही दिन में दीनू का रहन-सहन बदल गया था। फटे-पुराने कपड़ों की जगह अब वह महंगे कपड़े पहने हुए था। अब न ही वो मजदूरी कर रहा था और न ही भगवान को याद कर रहा था। अहंकार उसके सिर चढ़ चुका था। इसकी खबर आस-पास के गाँव में जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी थी। लोग दूर-दूर से उसे देखने आने लगे कि कैसे एक मजदूर ने रातों-रात घर बनाया और इतना अमीर हो गया। कुछ लोगों को तो लगा कि शायद उसे कोई गड़ा हुआ खज़ाना मिला होगा। लेकिन मुख्य सवाल यह था कि रातों-रात उसका घर कैसे बन गया।

खबर पहुँचती-पहुँचती उस राज्य के राजा के पास पहुंची। राजा ने उस मजदूर को अपने दरबार में बुलाया। जब उन्होंने दीनू से पूछा कि उसे ये पैसा कैसे मिला और उसने घर कैसे बना लिया। तब दीनू ने अपनी सारी आप-बीती बताई। राजा को उसकी बात पर विश्वास न हुआ।

राजा के दरबार में दीनू पर चोरी का इल्जाम लगा। उस पर ये आरोप भी लगा कि उसके पास कोई जादुई शक्ति है जिसका वह गलत इस्तेमाल कर रहा है। यह शक्ति राज्य के लिए खतरनाक वही हो सकती है। इस लिए दीनू को जल्दी ही मौत की सजा दे देनी चाहिए।

दीनू उस वक़्त रोने और गिड़गिड़ाने लगा।

“महाराज मैं सच बोल रहा हूँ। मैंने कुछ नहीं किया। ये सब उन बाबा का चमत्कार है। कृपया मुझे अपने आप को बेगुनाह साबित करने का एक मौका दीजिये।“

दीनू के बार-बार मिन्नतें करने पर राजा ने उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए एक दिन की मोहलत दी और उसके साथ अपने 2 सैनिक भेजे।

दीनू सैनिकों के साथ उस बाबा के पास गया और जाते ही उनके पैरों में गिर पड़ा।

“बाबा, मुझे बचा लीजिये बाबा। राजा ने मुझे मौत की सजा दे दी है। मेरी जान बचा लीजिये।“

“उठो दीनू, कुछ नहीं हुआ है तुम ऊपर उठो।“

दीनू ने जैसे ही अपना सिर उठाया। वह पहले की साधारण कपड़ों में था। सामने उसे बस एक रौशनी ही दिखाई दे रही थी। फिर उस रौशनी से अवाज आने लगी।

“दीनू, यह सब तुम्हारे लालच का फल था। यदि तुमने लालच न किया होता तो आज तुम्हारी यह हालत नहीं होती। इसी लालच की वजह से तुमने मुझे भी याद करना छोड़ दिया।”

दीनू समझ चुका था कि वह बाबा और कोई नहीं स्वयं भगवान् थे। आवाज फिर से बोलने लगी।

“जीवन में एक बाद याद रखना दीनू, संतोष ही सबसे बड़ा धन है। यदि तुम्हारे पास जो कुछ है तुम उस से संतुष्ट हो तो तुम्हें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। किसी भी प्रकार का लालच समस्याओं को जन्म देता है। तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वह तुम्हारे लिए एक शिक्षा है।”

“वो सब तो ठीक है प्रभु, लेकिन अब मैं इस समस्या से बचूंगा कैसे?”

“कैसी समस्या दीनू? ये सब तो एक मायाजाल था। अपने आस-पास देखो कोई नहीं है। ये सब बस तुम्हें यह समझाने के लिए किया गया था कि लालच सच में बुरी बला है।”

इतना कहकर वह रौशनी गायब हो गयी। आस-पास सैनिकों को न देख कर दीनू की सांस में सांस आई। फिर वह दौड़ता हुआ सीधा अपने घर पहुंचा और देखा वहां सब कुछ पहले जैसा था। किसी को कुछ भी याद नहीं था।

तो दोस्तों इसी तरह इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो हर पल भगवान को कोसते रहते हैं कि भगवान हमारी सुनते नहीं। सच्चाई तो यह है कि वह सुनते सब हैं लेकिन करते वही हैं जो हमारे लिए सही है। हमें कोई वस्तु तभी प्राप्त होती है जब हम उसके लायक होते हैं। इसलिए भगवन भरोसे न बैठ कर अपने आप को लायक बनाइये और जीवन में सफलता प्राप्त करिए।

लालच का फल पर कहानी के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की यह प्रेरक लघु कथाएँ :-

धन्यवाद।

3 Comments

  1. बेहतरीन, मनोरंजक और सीख देने वाली कहानियाँ हैं ये सब।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *