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एडविन सी बार्नेस के जीवन के दिन – जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने की एक महान उदाहरण

by Sandeep Kumar Singh
4 minutes read

ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसने अपने दृढ संकल्प से जिंदगी के मायने ही बदल दिए। जी हाँ, ऐसा ही कुछ किया था इस शख्स ने जिसका नाम था एडविन सी बार्नेस। क्या हुआ? पहले कभी नाम नहीं सुना? तो सुन लो भैया ये थे महान वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के बिज़नस पार्टनर। अच्छा तो आपको सच में नहीं पता था। ठीक है हम आपको बताते हैं की असल में माजरा क्या था। आइये जानते हैं कैसे थे एडविन सी बार्नेस के जीवन के दिन ।

एडविन सी बार्नेस के जीवन के दिन

एडविन सी बार्नेस के जीवन के दिन

एडविन सी बार्नेस, एक आम इन्सान था। लेकिन मन ने एक सपना देखा और उसने उस सपने को पूरा करने की ठान ली। सपना भी कोई छोटा-मोटा न था। सपना था थॉमस एल्वा एडिसन के साथ काम करने का।

जी हाँ उसके लिए नहीं उसके साथ कम करने का। और ये सपना उस आदमी ने तब देखा जब उसकी जेब में इतने पैसे भी नहीं थे की वो थॉमस एल्वा एडिसन के पास ऑरेंज, न्यू जर्सी पहुँच सके। लेकिन मन में तो ठान ली थी ना। फिर क्या निकल पड़ा माल गाड़ी से ही अपने सपने को पूरा करने के लिए।

तो क्या? ऐसे ही कोई थोड़ी न बन जाता है किसी बड़े आदमी का बिज़नस पार्टनर। फिर भी वो सीधा पहुंचा और थॉमस एल्वा एडिसन के सामने अपनी बात रखी। उस महान वैज्ञानिक को न आने क्या ख़ास लगा एडविन सी बार्नेस में की उसे बिज़नस पार्टनर तो न बनाया लेकिन बोलने के अंदाज से प्रभावित होकर उसे काम पर रख लिया।

काम मिला तो ऐसा मिला की थॉमस एल्वा एडिसन का एडविन सी बार्नेस से कुछ लेना देना ही न रहा। दोनों अपना-अपना काम करते थे। बार्नेस ने कई बार कोशिश की कि एडिसन के ऊपर कुछ प्रभाव डाल सके। लेकिन ऐसा कुछ न हुआ। वो दिन भर काम करता और वहीं डटा रहता। मन में विश्वास लिए कि कभी तो कोई मौका मिलेगा।



धीरे-धीरे पांच साल निकल गए। क्या? पांच साल? जी हाँ, पांच साल तक वो वहीं काम करता रहा। अगर आज कोई आपको अपने सपने के बारे में बता कर कहीं 5 साल तक काम करें तो निश्चित ही आप उसका मजाक उड़ना शुरू कर देंगे। हो सकता है उसका भी उस समय मजाक उड़ाया जाता हो।

लेकिन उसने हार न मानी। मन में सोच रखा था बस और कुछ सोचा ही नहीं उसने। वो क्या कहते हैं, हाँ उसके पास कोई प्लान बी नहीं था। बस एक ही प्लान था और उसे वही पूरा करना था।

पांच साल के इन्तजार के बाद उसे पहला मौका मिला। असल में ये मौका मिला नहीं था उसने खुद ही बनाया था क्योंकि उसे पता था उसे क्या करना है। थॉमस एल्वा एडिसन ने डिक्टेटिंग मशीन बनायी जिसे आज-कल एडिफोन कहा जाता है।

जब बात उस मशीन को बेचने की आई तो एडिसन के सभी सेल्समेन ने ये कह कर मना कर दिया कि इस मशीन को वो नहीं बेच सकते क्योंकि इस मशीन को बेचना बहुत मशक्कत का काम है। बस फिर क्या था, बार्नेस पहुँच गया मौके पर चौका मारने।

सीधा जा के बोला कि मैं बेचूंगा ये मशीन। बस फिर क्या था एडिसन तो चाहते ही थे की मशीन बेची जाए। पर मन में एक संशय ये था कि जब सब सेल्समेन ने ये मशीन बेचने से इंकार कर दिया तो बार्नेस कैसे बेच सकता है? उसे तो कोई अनुभव भी नहीं।

इसलिए उसे थोड़ी मशीन ही बेचने के लिए दी गयी। बार्नेस ने सारी मशीनें बेच दीं। सिर्फ बेचीं ही नहीं इतनी सफलतापूर्वक बेचीं कि एडिसन ने पूरे देश में सारी मशीनों को बेचने का ठेका उसे दे दिया। उसके बाद तो एडविन सी बार्नेस ने इतिहास रच दिया।

एक वो समय गया और एक वो समय आया कि बार्नेस एडिसन के साथ 30 साल तक काम करते रहे। सिर्फ काम ही नहीं किया, पैसे भी खूब कमाए। देखा जाए तो पहले क्या था उसके पास। ना पैसा न पढ़ाई और ना ही कोई सिफारिश। बस कुछ था तो एक सपना और उस सपने को पूरा करने की जिद। जिसके कारन उसने वो मुकाम हासिल किया जो वो चाहता था।

दोस्तों, हमें बार्नेस से सीख लेनी चाहिए। सफलता देरी से आ सकती है लेकिन आती जरूर है। अगर कुछ होता है तो वो है निरंतर प्रयास का होना। अब प्रयास बंद तो हो सकता है आप बिलकुल नजदीक पहुँच कर भी अपनी मंजिल से दूर हो जाएँ। इसलिए ओ भी आपका सपना है उसके प्रति इमानदार रहें और अपने  सपने को पूरा करने के लिए पुरजोर मेहनत करें।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग पर कुछ और संघर्ष से सफलता की कहानियां :-

आपने इस कहानी से क्या सीखा और आपको यह कहानी कैसी लगी हमें जरूर बताएं। जिस से दूसरों को भी प्रोत्साहन मिल सके।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

12 comments

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Babita Singh फ़रवरी 21, 2017 - 6:37 पूर्वाह्न

Thanks for sharing such a great story.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 21, 2017 - 8:14 पूर्वाह्न

Thank you Babita Singh ji……

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राकेश/AchhiAdvice फ़रवरी 20, 2017 - 10:01 अपराह्न

Very nice story . thanks for Sharing

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 21, 2017 - 5:12 पूर्वाह्न

Thank you very much राकेश ji…..

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Amul Sharma फ़रवरी 20, 2017 - 5:40 अपराह्न

very nice and impressive article…….

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 20, 2017 - 8:13 अपराह्न

Thank you very much Amul Sharma ji….

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sarvesh bagoria फ़रवरी 20, 2017 - 11:51 पूर्वाह्न

bhut acche nice article kaap visiting

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sarvesh bagoria फ़रवरी 20, 2017 - 11:46 पूर्वाह्न

Bhut hi accha likaha h aap ne kaap visting

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HindIndia फ़रवरी 14, 2017 - 10:32 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. Nice article with awesome explanation ….. Thanks for sharing this!! :) :)

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 14, 2017 - 10:40 अपराह्न

धन्यवाद HindIndia जी…..

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Mandeep फ़रवरी 13, 2017 - 10:43 अपराह्न

Awesome , inspiring and educating story. We all should learn a lot from it.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 13, 2017 - 10:45 अपराह्न

Thank you Mandeep ji…..

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