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दोस्ती पर दोहे – जीवन में परिवार के बाद यदि किसी का सबसे ज्यादा महत्त्व होता है तो वह होता है हमारे मित्र, सखा या दोस्त का। जिसके साथ हम अपने दिल की बातें कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि मित्र परिवार के बहार ही होते हैं। पारिवारिक सदस्य भी जब हमें अच्छी तरह से समझने लगते हैं तो वो भी हमारे दोस्त जैसे हो जाते हैं। संसार में दोस्ती की कई मिसालें हैं। जैसे कृष्ण-सुदामा, कर्ण-दुर्योधन आदि। आइये पढ़ते हैं मित्रता को समर्पित ” दोस्ती पर दोहे “
दोस्ती पर दोहे
रखिये ऐसा दोस्त जो,
नीम की भांति होय ।
कड़वा-कड़वा बोल के,
सद्गुण तुझ में बोय ।।
दोस्त भले कम ही रखें,
पर हो सच्चा यार ।
जब तुम संकट में पड़ो,
तुझको लेय उबार ।।
कृष्ण गर तुम बने कभी,
नहीं सुदामा भूल ।
दोस्त मुश्किल से मिलते,
करिये बात कबूल ।।
अवगुण अपने दोस्त के,
मुख पर बोलो यार ।
पीठ बड़ाई तुम करो,
उत्तम यही विचार ।।
जो भी तेरे राज हैं,
मन में रक्खे गोय ।
जो आपसे नहीं जले,
दोस्त असल में होय ।।
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रचनाकार का परिचय
यह रचना हमें भेजी है आदरणीय विनय कुमार जी ने जो की अभी रेलवे में कनिष्ठ व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैं।
रचनाएं व अवार्ड: इनकी रचनाएं देश के 50 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। जिस के फलस्वरूप आप कई बार सम्मानित हो चुके हैं। गत वर्ष 2018 का रेलमंत्री राष्ट्रीय अवार्ड भी रेल मंत्री ने दिया था।
लेखन विद्या: गीत, ग़ज़ल, दोहा, कुण्डलिया छन्द, मुक्तक के अलावा गद्य में निबंध, रिपोर्ट, लघुकथा इत्यादि। तकनीकी विषय मे हिंदी में लेखन।
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धन्यवाद।