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अक्सर कुछ बच्चे, जो बुरी आदतों के शिकार हो जाते हैं। वो न किसी कि बात सुनते हैं न ही सही व्यवहार करते हैं। लेकिन बच्चे तो बच्चे ही होते हैं। जरूरत है तो उनकी मानसिकता को समझने कि और उसी अनुसार उन्हें सही राह पर लाने की। शायद इसीलिए हमारे बड़े बुजुर्गों ने नैतिक और जातक कहानियाँ बनायीं थीं कि हम बच्चों को सही शिक्षा दे सकें। इसी प्रयास में हम भी आप के लिए लेकर आये हैं गोलू और परी की शिक्षाप्रद कहानी । तो आइये पढ़ते हैं गोलू और परी की शिक्षाप्रद कहानी :-
गोलू और परी की शिक्षाप्रद कहानी
गोलू, एक ऐसा बच्चा जो न पढ़ने में तेज था और न ही उसमें कोई संस्कार थे। गोलू पहली क्लास में पढता था। न वह सुबह समय से उठता न अपना सामान सही स्थान पर रखता और न ही अपना काम समय पर करता था।
उसके घर वाले व् अध्यापक उसे समझा-समझा कर थक गए थे लेकिन उसके कान पर जूं तक नहीं रेगती थी। कई बार तो उसे स्कूल में होमवर्क न करने के लिए सजा भी दी गयी थी। पर ये सजा उसके लिए सजा नहीं बल्कि क्लास से बहार रहने का एक बेहतरीन मौका था।
गोलू कि अपनी दादी के साथ बहुत बनती थी और उसके माँ-बाप का मानना था कि गोलू के बिगड़ने के पीछे उन्हीं का हाथ है। मगर दादी तो गोलू को अच्छी बातें ही सिखाती थी। उसे परियों की कहानियां सुनाती थीं। जिन्हें सुनते ही गोलू मीठी-मीठी नींद में सो जाता था।
एक रात इसी तरह परियों की कहानी सुनते हुए गोलू सो गया। नींद में ही वह तारों के बीच में घूम रहा था कि अचानक उसे एक परी दिखाई दी। वो उड़ते हुए गोलू के पास आई और बोली,”कैसे हो गोलू?” गोलू परी को देख कर बहुत खुश हुआ और बोला,”तुम वही परी हो जिसकी दादी मुझे कहानी सुनाती हैं।”
परी ने जवाब दिया,”हाँ मैं वही हूँ। लेकिन मुझे अब जाना होगा क्योंकि मैं तुम्हारे पास ज्यादा देर नहीं ठहर सकती।”
“क्यों?” गोलू ने उदास होते हुए पूछा। तब परी ने उसे बताया कि उन्हें उन बच्चों के पास रुकने कि इजाजत नहीं है जो सबको परेशान करते हैं और अपना काम सही समय पर नहीं करते। यह सुन गोलू और भी उदास हो गया लेकिन जैसा कि उसकी आदत थी । उसने झूठ बोला कि,” मैं कहाँ किसी को परेशान करता हूँ। मैं तो बहुत अच्छा लड़का हूँ।”
परी को पता था कि गोलू झूठ बोल रहा था। तब परी ने कहा,”आओ गोलू आज मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ।” इतना सुन गोलू ये जान्ने के लिए उत्सुक हो गया कि परी उसे क्या दिखाने वाली है। परी उसे सबसे पहले उसकी टीचर के घर ले गयी। जहाँ पर उसकी टीचर अपने घर वालों से गोलू कि बुराई कर रही थी कि उसकी क्लास में एक लड़का है जो बहुत बुरा है न वो अपना काम समय पर करता है और न ही उसका व्यव्हार सही है।
उसके बाद परी उसे उसके सबसे अच्छे दोस्त चिंटू के घर ले गयी। जहाँ पर चिंटू के माँ-बाप चिंटू को समझा रहे थे कि वह गोलू के साथ न रहे नहीं तो वो भी बुरा लड़का बन जाएगा। दोस्त के बाद परी गोलू को उसके ही घर ले आई जहाँ उसके माता-पिता उसे लेकर चिंतित थे। वे आपस में बात कर रहे थे कि गोलू कि वजह से उन्हें कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
ये सब देख गोलू कि आँख में आंसू आ गए कि उसकी पीठ पीछे लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं। गोलू को देख फिर परी बोली,”तुम झूठ बोल कर खुद को तसल्ली दे सकते हो गोलू लेकिन तुम्हारी हरकतों को कोई दूसरा नजरअंदाज नहीं करेगा। अब शायद तुम समाझ गए होगे कि हमें तुम्हारे पास रुकने कि इजाजत क्यों नहीं है।”
“लेकिन अगर मैं अच्छा लड़का बन जाऊंगा तब तो आप रुकोगी न मेरे पास?” गोलू लज्जा के भाव से बोला।
“हाँ, तुम्हारे साथ रहेंगे भी और तुम्हें परीलोक भी घुमाएंगे। चलो अब सुबह होने वाली है तुम्हें अच्छा बच्चा बनना है न तो आज से ही इसकी शुरुआत कर दो।” इतना कहते ही परियां परीलोक चली गयीं और गोलू उठा गया। आज वह घर में सबसे पहले उठा था। ये देख कर सब हैरान थे।
समय के साथ गोलू ने अपनी आदतें सुधार लीं। जहाँ पहले सब उइसकी बुराई करते थे वहीं अब चारों तरफ उसकी तारीफ़ होने लगी थी। सिर्फ इसी दुनिया में नहीं गोलू परी लोक में भी चर्चा का विषय बन चुका था और अब परियां उसे किये गए वादे के अनुसार परीलोक कि सैर भी करवाती थीं।
तो दोस्तों ‘ गोलू और परी की शिक्षाप्रद कहानी ‘ के जरिये हमने सिर्फ इतना ही समझाने की कोशिश की है कि यदि हम में बुराइयाँ हैं तो कोई भी हमारे पास नहीं आएगा और दूसरों को भी हमसे दूर ही रहने के लिए कहेगा। हम खुद से झूठ बोल कर खुद को तसल्ली तो दे सकते हैं लेकिन अगर सच्चाई को बदलना है तो हमें अपने आप में बदलाव लाना ही होगा।
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धन्यवाद।