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हिंदी प्रेरणादायक आध्यात्मिक कविता :- स्वस्तित्व आभास करा दो

by Praveen
2 minutes read

इस दुनिया में हमारा कोई सच्चा साथी है तो वह भगवान् ही हैं। जो व्यक्ति उन पर विश्वास रखता है  उसे दुनिया की  कोई भी ताकत झुका नहीं सकती। एक हारा हुआ इन्सान जब उस भगवान् के दर पर जाता है तो जीत खुद-ब-खुद उसके पीछे चली आती है। इन्हीं सब के सन्दर्भ में रची गयी है यह रचना जिसमें रचनाकार अपने इष्टदेव से अपने स्वतित्व का आभास करवाने की प्रार्थना कर रहा है। आइये पढ़ते हैं ” हिंदी प्रेरणादायक आध्यात्मिक कविता ”

हिंदी प्रेरणादायक आध्यात्मिक कविता

हिंदी प्रेरणादायक आध्यात्मिक कविता

हे इष्टदेव विश्वास करा दो
स्वस्तित्व आभास करा दो,
मैं गलत, मेरी राह गलत
नयनों से बहता नीर गलत,
हर पग काँटे हर पग ठोकर
कहाँ न ढुंढा सुध-बुध खोकर,
मुरली वाले श्याम मनोहर
बंसी बजा के मन बहला दो,
हे इष्टदेव विश्वास करा दो
स्वस्तित्व आभास करा दो।

वन उपवन तपता जलता हुँ
सांझ ढ़ले तुझ में रमता हुँ,
कभी राम तो कभी कृष्ण
नाम तेरा रटता रहता हुँ,
कहीं श्वेत कहीं श्याम अलग
गीता-रामायण धाम अलग,
उपदेशों में भेद नहीं है
दिव्य दृष्टी का बोध करा दो,
हे इष्टदेव विश्वास करा दो
स्वस्तित्व आभास करा दो।

हिम-हिमालय घने मिले
सतयुग से द्वापर युग तक,
भक्तिरस का भाव सींचने
अखंड चला हूँ कलयुग तक,
मन मछली बन गोत लगाता
पर तेरा मैं पार ना पाता,
हे राधेमन नादाँ हुँ मैं
मुख मंडल के दर्श करा दो,
हे इष्टदेव विश्वास करा दो
स्वस्तित्व आभास करा दो।

कब तक भटकूं कृष्ण कन्हैया
काल चक्र के पथ पर,
काले स्याह बादल घिर आये
भावों के अध्यात्म रथ पर,
छा गया चहुँ ओर अंधेरा
अर्जुन सा पथ दर्शा दो,
रिक्त पड़ी मन की भुमि पर
हे सुचित! गीता ज्ञान बरसा दो,
हे इष्टदेव विश्वास करा दो
स्वस्तित्व आभास करा दो।

पढ़िए :- ईश्वर भक्ति पर कविता “प्रभु हमको दो ऐसा ज्ञान”


Praveen kucheriaमेरा नाम प्रवीण हैं। मैं हैदराबाद में रहता हूँ। मुझे बचपन से ही लिखने का शौक है ,मैं अपनी माँ की याद में अक्सर कुछ ना कुछ लिखता रहता हूँ ,मैं चाहूंगा कि मेरी रचनाएं सभी पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनें।

‘ हिंदी प्रेरणादायक आध्यात्मिक कविता ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

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2 comments

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Akash Rajput दिसम्बर 29, 2022 - 12:30 अपराह्न

अत्यधिक प्रेरक शब्दों के असीम सागर के सरूप को दर्शाने वाली है ये कविता

Reply
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शर्मिला फ़रवरी 6, 2022 - 7:24 पूर्वाह्न

बहुत ज्यादा अच्छी है भाई

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