Home » कहानियाँ » लघु कहानियाँ » दो सहेलियाँ – सच्ची दोस्ती की कहानी | मित्रता पर प्रेरक लघु कहानी

दो सहेलियाँ – सच्ची दोस्ती की कहानी | मित्रता पर प्रेरक लघु कहानी

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

दो सहेलियाँये मित्रता पर प्रेरक प्रसंग लघु कथा / कहानी पंजाब के अमृतसर जिले के जंडियाला से Virjaskaran Bir Rashwan जो कि अभी मात्र एक छात्र हैं ने लिख कर भेजी है। जो कि दोस्ती की एक अद्भुत मिसाल पेश करती हुयी दो सहेलियाँ और उनकी दोस्ती की कहानी है।

दो सहेलियाँ – सच्ची दोस्ती की कहानी

दो सहेलियाँ - सच्ची दोस्ती की कहानी

राखी और संगीता दो सहेलियाँ थीं। एक दूसरे के प्रति उनमें बहुत प्यार और लगाव था। दोनों बचपन से एक दूसरे के साथ बड़ी हुयी थीं। उनके बीच दोस्ती इतनी गहरी थी की लोग उनकी दोस्ती की मिसालें दिया करते थे। वे एक साथ पढ़ती थीं और एक साथ ही कॉलेज जाती थीं।

लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया जिसने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी। किसी ने उनके बीच ग़लतफ़हमी की ऐसी दीवार खड़ी कर दी कि उन दोनों ने बिना एक दूसरे से बात किये खुद को एक दूसरे से अलग कर लिया।

वो एक दूसरे के सामने कई बार आयीं लेकिन फिर भी उन्होंने ने कभी भी एक दूसरे से बात नहीं की। उनके दिल में अभी भी एक दूसरे के लिए उतना ही प्यार था। वो एक साथ नहीं थीं लेकिन एक दूसरे की यादें हमेशा उनके साथ रहती। उन्हें हमेशा ऐसा लगता जैसे वो एक दूसरे के साथ ही हैं। वो चाहे एक दूसरे से दूर थे लेकिन अभी भी एक दूसरे के दिल में थे।

समय बीतता गया, दोनों ने अपना कैरियर बना लिया और उनकी जिंदगी बड़े आराम से चल रही थी। लेकिन उनके दिल में अभी भी एक दूसरे से मिलने की चाहत थी और उन्हें एक उम्मीद थी कि वो एक दिन जरूर मिलेंगे।

एक दिन अचानक, राखी की तबीयत ख़राब हो गयी। वो इतनी बीमार हुयी कि उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ा। ये किस्मत ही थी की संगीता उसी हॉस्पिटल में डॉक्टर थी। संगीता को पता चला कि राखी एक बीमारी से जूझ रही थी। उसके दिल में छेद था जिस कारण वह मौत के बिलकुल नजदीक थी। अगर इस समय वो कुछ कर सकती थी तो बस एक ही इलाज से और वो इलाज था हृदय प्रत्यारोपण (heart transplant)। उसके लिये राखी को एक दिल की जरूरत थी। लेकिन कहीं भी दिल का इंतजाम न हो सका।

सब उम्मीद छोड़ चुके थे। कोई मदद के लिए आगे आने को तैयार नहीं था। उसका मरना अब पक्का था। पर शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था। एक करिश्मा हुआ और डॉक्टरों ने राखी को बचा लिया। किसी ने उसे अपना दिल दे दिया था। ये और कोई नहीं संगीता ही थी। जिसने राखी को अपना दिल देकर नई जिंदगी दी।

ये दोस्ती की एक महान मिसाल थी। संगीता ने ये साबित कर दिया था की एक सच्चा दोस्त वही होता है जो लाख मुसीबतों के बावजूद दोस्ती के रास्ते पर ईमानदारी से चलता है।

क्लिक करें और पढ़ें दोस्ती से संबंधित रचनाएँ :-

दोस्तों आप लोगों को ” दो सहेलियाँ ” कहानी कैसी लगी? अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

धन्यवाद।

(नोट :- लोगों द्वारा भेजी गयी कहानियों के copyright की हम पुष्टि नहीं करते। इसलिए अगर किसी को कोई शिकायत या कोई अन्य समस्या हो तो कृपया पहले ADMIN से संपर्क करें।)

आपके लिए खास:

5 comments

Avatar
प्रेमलता ललवाणी जैन मई 20, 2022 - 3:08 अपराह्न

सबसे पहले आपको धन्यवाद. इस ब्लॉग पर बहुत रोचक रचनाएँ आती है. मैं हिंदी में पी एच डी हूँ. कविता लिखना मुझे अच्छा लगता है.. कैसे प्रकाशित करवाऐं.. सजेशन दिजिए..

Reply
Avatar
चन्दन नवम्बर 26, 2018 - 7:55 पूर्वाह्न

बहुत हीं अच्छी कहानी है, पढ़ कर मन को बड़ा शांति मिली है।

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 2, 2018 - 10:20 अपराह्न

धन्यवाद चन्दन जी…..

Reply
Avatar
पं़विश्वनाथ भार्गव अगस्त 11, 2018 - 5:25 अपराह्न

कहानी वहुत ही अच्छी है! जे न मित्र दु:ख होय दुखारी!तिंनहें विलोकत पातक भारी!! मैं भी चाहती हूं कहानियॉ तथा विनोद प्रसंग मगर मुझे क्या दिया जायेगा ! मैं चाहता हूं कि आर्थिक स्थिति सामान्य होने से कहानियॉ आदि से कुछ आर्थिक सहयोग मिल सके तो आपकी महती कृपा होगी!

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 12, 2018 - 11:06 पूर्वाह्न

पं० विश्वनाथ भार्गव जी आप हमें bloagapratim@gmail.com पर ईमेल करिए। वहीं से आपको सारी जानकारी प्राप्त होगी। धन्यवाद।

Reply

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.