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भारत को आज़ादी दिलाने के लिए कई वीर जवानों ने अपनी जान की बाजी तक लगा दी। ऐसे ही एक वीर जवान थे भगत सिंह। जो आज भी हर भारतीय के दिल में जिन्दा हैं। भगत सिंह का जन्म २७ सितंबर १९०७ में गाँव बावली, जिला लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
आपने आज़ादी के लिए बहुत संघर्ष किया। आपने अंग्रेजों के खिलाफ इस तरह मोर्चा खोला कि उन्होंने 23 मार्च 1931 को आपको फांसी दे दी। भगत सिंह ने अपनी सारी जिंदगी देश के नाम कर दी। वो एक बहुत ही उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे। आइये जानते है ऐसे ही महान देशभक्त्त शहीद भगत सिंह के विचार :-
शहीद भगत सिंह के विचार
1. मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
2. मेरा एक ही धर्म है देश की सेवा करना।
3. क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।
4. व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
5. किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और नया आन्दोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरम्भ की हम चेतावनी दे चुके हैं वो गुरु गोबिंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान , वाशिंगटन और गैरीबाल्डी , लाफायेतटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।
6. क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
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7. इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसा कि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे।
8. अहिंसा को आत्म-बल के सिद्धांत का समर्थन प्राप्त है जिसमें अंतत: प्रतिद्वंदी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है। लेकिन तब क्या हो जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाएं ? तभी हमें आत्म -बल को शारीरिक बल से जोड़ने की ज़रुरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर ना निर्भर करें।
9. ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है … दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।
10. मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है।
11. बुराई इसलिए नहीं बढ़ती की बुरे लोग बढ़ गए है बल्कि बुराई इसलिए बढ़ती है क्योंकि बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गये है।
12. आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है।
13. ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।
14. यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये।
15. किसी को “क्रांति ” शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है।
16. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है।
17. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।
18. जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी , उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी।
19. प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
20. मेरी कलम मेरी भावनावो से इस कदर रूबरू है कि मैं जब भी इश्क लिखना चाहूं तो हमेशा इन्कलाब लिखा जाता है।
शहीद भगत सिंह के विचारो का ये संग्रह अगर आपको क्रन्तिकारी लगा तो इसे दूसरों तक भी शेयर करें। और अपने विचार हमें कमेंट के माध्यम से बताये, ताकि हमें ऐसे ही लेख आप तक लाते रहे।
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धन्यवाद।
3 comments
दिनांक 23/03/2017 को…
आप की रचना का लिंक होगा…
पांच लिंकों का आनंद https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर…
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं…
आप की प्रतीक्षा रहेगी…
भगत सिंह के विचारों का हिंदी अनुवाद बहुत काम चलाऊ है। इसे अधिक प्रभावशाली तथा सटीक बनाया जा सकता है।
दिनेश बैस जी हमने यह प्रयास किया है कि भगत सिंह के विचार यथारूप पाठकों तक पहुंचा सकें। जिस से उनके विचारों के अर्थ का अनर्थ न हो। किसी महान शख्सियत के वचनों में फेर बदल पाठकों के साथ धोखा होगा। अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।