सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
कवि ने कहा है कि ‘पाप का उतरे उसका बोझा राम नाम को जिसने खोजा’ भगवान भक्तों का दुःख दूर करने के लिए इस धरती पर अवतरित होते रहे हैं। उन्हीं में से एक थे मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम चंद्र जी। जिन्होंने पिता का वचन निभाने के लिए वनवास तक भोगा। उन्होंने एक बार भी यह नहीं सोचा कि वनवासी बन कर उन्हें कितने कष्ट झेलने पड़ेंगे और कितनी अपार पीड़ा सहन करनी पड़ेगी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने जीवन कल की हर घटना से हमें जीने की राह दिखाई | आइये पढ़ते हैं की प्रभु श्री राम को समर्पित ये रचना ‘ राम वन गमन कविता ‘ :-
राम वन गमन कविता
रघुकुल में खुशियां आईं,
सबने दी थी बधाई,
लक्ष्मी रूप माँ सीता को,
थी प्रजा देख हर्षायी,
पर कौन बदल सकता था,
विधि के विधान को,
एक ऐसी घड़ी फ़िर आई,
वनवास हुआ श्री राम को।
सारी प्रजा में ही रोष था,
नाजाने किसका दोष था,
वो वक्त बड़ा बलवान था,
अहंकारी भी मदहोश था,
सीता माँ ने तो जाना था,
किसी और ने भी की मनमानी,
मैं साथ जाऊँगा भैया के,
लक्ष्मण जी ने ज़िद ठानी,
किसी होने वाली घटना का,
आभास हुआ श्री राम को,
एक ऐसी घड़ी फ़िर आई,
वनवास हुआ श्री राम को।
वो राम नहीं थे जा रहे,
दशरथ राजन के प्राण थे,
भरत, शत्रुघ्न भक्तो,
श्री राम चन्द्र की जान थे,
दशरथ जी कुछ ना कर सके,
ना आँसू आंख में रह सके,
उनकी साँसें तो राम में थी,
वो दर्द न ऐसा सह सके,
आगे – आगे क्या होना था,
सब ज्ञात हुआ श्री राम को,
एक ऐसी घड़ी फ़िर आई,
वनवास हुआ श्री राम को।
उस प्रजा की भी हालत बुरी,
जिनके राम भगवान थे,
मर्यादा पर्षोतम सबके,
परम पूज्य विद्वान थे,
ये माया थी श्री राम की,
जिसने इतिहास रचाना था,
दुनिया को सीख थी देनी यशु,
वनवास तो एक बहाना था,
रामायण लिखने का भी,
था वचन हुआ श्री राम को,
एक ऐसी घड़ी फ़िर आई,
वनवास हुआ श्री राम को।
यशु जान (9 फरवरी 1994-) एक पंजाबी कवि और अंतर्राष्ट्रीय लेखक हैं। वे जालंधर शहर से हैं। उनका पैतृक गाँव चक साहबू अप्प्रा शहर के पास है। उनके पिता जी का नाम रणजीत राम और माता जसविंदर कौर हैं। उन्हें बचपन से ही कला से प्यार है। उनका शौक गीत, कविता और ग़ज़ल गाना है। वे विभिन्न विषयों पर खोज करना पसंद करते हैं।
उनकी कविताएं और रचनाएं बहुत रोचक और अलग होती हैं। उनकी अधिकतर रचनाएं पंजाबी और हिंदी में हैं और पंजाबी और हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट पर हैं। उनकी एक पुस्तक ‘ उत्तम ग़ज़लें और कविताएं ‘ के नाम से प्रकाशित हो चुकी है। आप जे. आर. डी. एम्. नामक कंपनी में बतौर स्टेट हैड काम कर रहे हैं और एक असाधारण विशेषज्ञ हैं।
उनको अलग बनाता है उनका अजीब शौंक जो है भूत-प्रेत से संबंधित खोजें करना, लोगों को भूत-प्रेतों से बचाना, अदृश्य शक्तियों को खोजना और भी बहुत कुछ। उन्होंने ऐसी ज्ञान साखियों को कविता में पिरोया है जिनके बारे में कभी किसी लेखक ने नहीं सोचा, सूफ़ी फ़क़ीर बाबा शेख़ फ़रीद ( गंजशकर ), राजा जनक,इन महात्माओं के ऊपर उन्होंने कविताएं लिखी हैं।
‘ राम वन गमन कविता ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी बेहतरीन रचनाएँ blogapratim@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
धन्यवाद।