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चिंताएं जो मनुष्य की हंसती-खेलती ज़िन्दगी को बर्बाद कर देती हैं। उसके जीवन को ऐसा नर्क बना देती हैं कि फिर वो उस से बाहर निकल ही नहीं पाता। वह ज़िन्दगी की उस खूबसूरती का आनंद ही नहीं उठा पाता जिसके लिए उसने जन्म लिया है। चिंता कभी जीवन आसान नहीं करती बल्कि और मुश्किल कर देती है। हमें अपनी ज़िन्दगी की कीमत समझनी चाहिए। ऐसे ही विषय को प्रस्तुत कर रही है यह प्रेरणादायक कहानी ज़िंदगी खूबसूरत है :-
प्रेरणादायक कहानी ज़िंदगी खूबसूरत है
“ ज़िन्दगी जीने में हैं और समय के हर पल का आनंद लेने में हैं ” यह जानने से पहले अमेरिका के डेट्रॉइट शहर में रहने वाले एडवर्ड इवांस ने चिंता में पड़कर लगभग खुद को मार ही दिया था।
गरीबी में पले एडवर्ड ने अपने जीवन की पहली कमाई अखबार बेच कर की थी। इसके बाद राशन की दुकान पर क्लर्क का काम किया। उनके कन्धों पर घर के 7 सदस्यों की जिम्मेदारी थी। इसलिए बाद में उन्होंने सहायक लाइब्रेरियन का काम भी किया। सैलरी कम मिलती थी, लेकिन वो इस डर से नौकरी नहीं छोड़ पाते थे कि अगर उन्हें दूसरा काम न मिला तो उनका क्या होगा।
इसी तरह आठ साल बीत गए। इतने समय बाद एडवर्ड ने हिम्मत जुटा कर अपने दोस्तों से पच्चीस डॉलर उधार लेकर अपना बिज़नस शुरू किया। बिज़नस शुरू करने के एक साल के अन्दर ही उस पच्चीस डॉलर से उसने बीस हजार डॉलर कमा लिए।
सब सही चल रहा था कि अचानक उनका एक दोस्त दिवालिया हो गया जिसे उसने काफी बड़ी रकम उधार दी थी। ठीक उसी समय वह बैंक भी घाटे में चला गया जिसमें उन्होंने अपनी कमाई जमा कर रखी थी। अब हालात यह हो गए कि एडवर्ड 16 हजार डॉलर के कर्जे में डूब गए।
इन सब घटनाओं को वह सहन न कर सके और बीमार पड़ गए। इसके बारे में एडवर्ड का कहना था कि उनके बीमार होने का कारण कुछ और नहीं बल्कि चिंता ही थी।
बीमार होने के कारण बिस्तर पर लेटे-लेटे उसके शरीर पर फोड़े निकल आये। शरीर के अन्दर भी उन फोड़ों का प्रभाव बढ़ने लगा। तबियत इस कदर ख़राब हो गयी थी कि डॉक्टर ने एडवर्ड से साफ़ शब्दों में कह दिया कि अब वे बस ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह के मेहमान हैं। यह सुन कर एडवर्ड को बहुत धक्का लगा। इसके बाद उन्होंने अपनी वसीयत लिखी और अपनी मौत का इन्तजार करने लगे।
अब उनको यह समझ आ गया कि चिंता करने से कोई फायदा नहीं होने वाला। कुछ ही दिनों में सब ख़त्म हो जाएगा। अब तक कई रातें बेचैनी में काटने के बाद उस दिन पहली बार वो चैन की नींद सोये। उस दिन के बाद उनकी भूख भी बढ़ गयी और उनका वजन भी। उनकी बीमारी में भी सुधार होने लगा। धीरे-धीरे वे चलने फिरने लगे।
6 सप्ताह बाद वे काम पर वापस लौटे लेकिन इस बार ये काम किसी और का था और वे वहां नौकरी करते थे। बीस हजार डॉलर हर साल कमाने वाले एडवर्ड्स अब हर सप्ताह 30 डॉलर कमा रहे थे। लेकिन इस बार वो अपने काम का आनंद ले रहे थे। यही कमाल था कि कुछ ही सालों में एडवर्ड जिस कंपनी में काम करते थे अब वो उसी कंपनी के हेड थे। उनकी इवांस प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने कई साल तक न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की सूची में अपना स्थान बनाकर रखा।
सन 1945 में जब एडवर्ड इवांस की मृत्यु हुयी उस समय वे अमेरिका के एक मुख्य बिजनेसमैन थे। उनको सम्मान देने के लिए ग्रीनलैंड में उनके नाम पर एक विमान स्थल का नामकरण किया गया।
तो इस कहानी से हमें शिक्षा क्या मिलती है? शिक्षा यह मिलती है कि ज़िन्दगी खूबसूरत है। हमें व्यर्थ की चिंताओं में इसकी खूबसूरती को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।यह ज़िन्दगी तो ऐसे ही चलती रहेगी। अगर हम यूँ ही चिंताओं से घिरे रहे तो हम अपने जीवन का, अपने काम का और अपने रिश्तों का आनंद कभी नहीं उठा पाएँगे।
जब हम चिंता की बीमारी से मुक्ति पा लेंगे तो हमारे लिए सफलता के नए दरवाजे खुल जाएँगे। चिंता हमारे काम बनाती नहीं बल्कि हमारी सोचने की शक्ति को ख़त्म कर देती है। कोई भी काम एक प्रक्रिया के अनुसार होता है। चिंता करने से उस प्रक्रिया को तोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए अपने हालातों को स्वीकार कर हमें उन्हें बदलने का प्रयास करना चाहिए।
जब हम ऐसा करना सीख लेंगे तो जिंदगी हमें बोझ नहीं लगेगी और हम अपनी ज़िन्दगी की खूबसूरती का आनंद उठा पाएँगे।
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