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पापा की लाडली बेटीयां :- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर एक गीत

by ApratimGroup
2 minutes read

बेटियाँ जीवन का आधार हैं, बेटियों के बिना तो जीवन बेकार है। बेटियों से ही तो हर रिश्ते नाते हैं, बेटियों से ही तो सब जन्म पाते हैं। लेकिन आज के ज़माने में भी कई लोग इस सच्चाई को समझ नहीं पा रहे। न जाने उन्हें बेटियां बोझ क्यों लगती हैं? इन्हें कौन बताये कि अगर बेटियां न होती तो इस धरती पर मानव जीवन संभव न हो पाता। ऐसा ही कुछ सन्देश देना चाहा है अनुरागी जी ने अपने इस गीत ‘ पापा की लाडली बेटीयां ‘ में :-

पापा की लाडली बेटीयां

पापा की लाडली बेटीयां

पापा की लाडली बेटीयां
मम्मा की दुलारी बेटीयां
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती
है देवी बेटीयां,
पापा की लाडली बेटियाँ
मम्मा की दुलारी बेटीयां।

वो नन्हीं सी गुड़िया जन्में जब घर में
समझो समृद्धि की ऋतु आ गई है
वो प्यारी सी सूरत है रब की वो मुरत
जैसे जमीं पे परी आ गई है,
प्रकृति की रूप बेटीयां
स्नेह की स्वरूप बेटीयां
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती
है देवी बेटीयां,
पापा की लाडली बेटियाँ
मम्मा की दुलारी बेटीयां।

बेटी पढ़ाना और आगे बढ़ाना
इन्हीं से होता है घर संसार सुन्दर
है ताकत इनमें जो अवसर मिले तो
बेटों से भी हो सकती धुरन्धर,
होती नहीं बोझ बेटीयां
मारो नहीं अब बेटीयां
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती
है देवी बेटीयां,
पापा की लाडली बेटियाँ
मम्मा की दुलारी बेटीयां।

पापा की लाडली बेटीयां
मम्मा की दुलारी बेटीयां
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती
है देवी बेटीयां,
पापा की लाडली बेटियाँ
मम्मा की दुलारी बेटीयां।

***********

शब्द संगीत- अनुरागी

पढ़िए कविता बेटी पर ये मार्मिक रचनाएं  :-


Acharya Anuragiमेरा नाम आचार्य अनुरागी है । मैं हरिद्वार में रहता हूँ। मैं एक स्कूल में संगीत का अध्यापन करता हूँ। इसके साथ-साथ मुझे बचपन से ही कहानियां ,कवितायें, लेख , शायरियाँ भी लिखने का शौंक है।

इस गीत के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके।

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

6 comments

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Onkardas Vaishnav CBI New Delhi जून 16, 2019 - 12:40 अपराह्न

माँ पिता की आन बान और शान.हैं ,भैया के घर आँगन की धर्म धव्जा हैं बहना, त्याग ,तपस्या और साहस की प्रतिमुर्ति हैं बेटिया …..कोटि कोटि नमन हैं दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती के साक्षात रूप हैं.बेटिया

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Vishwas Saxena नवम्बर 1, 2018 - 11:15 पूर्वाह्न

Bahut sundar Kavita

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alok kumar दिसम्बर 15, 2017 - 1:52 अपराह्न

बेटियाँ ही अब बुढ़ापे का सहारा बन रही है.हर घर में एक बेटी होनी जरुरी है.

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pushpendra dwivedi अक्टूबर 28, 2017 - 10:37 अपराह्न

हृदयस्पर्शी खूबसूरत पंक्तियाँ

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kalaa shree अक्टूबर 28, 2017 - 9:53 अपराह्न

पापा की लाडली बेटीयां
मम्मा की दुलारी बेटीयां
दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती
है देवी बेटीयां,
पापा की लाडली बेटीयां
मम्मा की दुलारी बेटीयां।

बहुत खूब लिखा आपने.

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Anuragi अक्टूबर 30, 2017 - 1:50 अपराह्न

इसके हकदार है हमारी बेटीयाँ

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