सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
हर सुबह कुछ कहती है। लेकिन हम कभी सोचने की कोशिश ही नहीं करते कि आखिर ये सुबह कहना क्या चाहती है? एक अँधेरी रात हर इंसान के जीवन में आती है इसी तरह परेशानियां भी सबके जीवन में आती हैं। लेकिन जिस तरह अँधेरी रात के बाद एक चमकदार सुबह आती है उसी तरह इन परेशानियों का हल करने के बाद खुशियाँ भी आती हैं। अगर किसी चीज की जरूरत होती है तो हर सुबह को जीवन की एक नई शुरुआत मान ने की और हर रोज एक नई उर्जा के साथ अपने नए दिन की शुरुआत करने की। आइये पढ़ते हैं ऐसी ही सुबह की प्रेरणादायक कविता :- हर सुबह नयी शुरुआत है।
सुबह की प्रेरणादायक कविता
मत डर जो अँधेरी रात है
होने वाली अब प्रभात है,
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।
है अन्धकार अब लुप्त हुआ
हर ओर प्रकाश अब होना है
उठ कर बढ़ना है आगे हमें,
न देर तलक अब सोना है,
तेज चमकना है हमको
सूरज की किरन है बता रही
पंछी की देखो मधुर ध्वनी
जग में है सबको जगा रही,
नयी सुबह है नया है मौका
आगे बढ़ने के जज़्बात हैं
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।
कभी बादल होंगे धूप कभी
कभी शीत लहर कभी ताप
हिम्मत रखना तू संग सदा
करना न कभी संताप,
आगे बढ़ने को जीवन में
तू करता रह प्रयास
मेहनत तेरी रंग लाएगी
होगी पूरी हर आस,
कर खुद को तू मजबूत
कि सहने पड़ते बहुत अघात हैं
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।
मंजिल मिलनी तो निश्चित है,
बस शर्त ये है तू बढ़ता जा,
मत रुकना कभी भी राहों में
सफलता की सीढ़ी चढ़ता जा,
व्यर्थ न होते प्रयत्न कभी ,
इस बात से न अनजान तू बन,
रच दे तू इक इतिहास नया,
इस विश्व में इक पहचान तू बन,
कष्ट के बाद ही सुख है मिलता,
जीवन का यही सिद्धांत है,
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।
पढ़िए :- वसंत की सुबह की खूबसूरती बयां करती कविता
आपको यह ” सुबह की प्रेरणादायक कविता ” ‘ कैसी लगी हमें अपनी प्रतिक्रियाएं देना ना भूलें। आपके विचार हमारे लिए अनमोल हैं।
पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की और भी प्रेरणादायक रचनाएं :-
- सफलता शायरी | सफलता प्राप्ति के लिए प्रेरणादायक शायरी
- वास्तविक जीवन के लिए प्रेरणा देती हिंदी फिल्मों के 25 प्रेरणादायक डायलॉग
- जीत की शायरी ( दोहा मुक्तक ) | जीत के लिए प्रेरित करती प्रेरणादायक शायरी
धन्यवाद।
15 comments
बहुत खूब,, नई सुबह शुरुआत है।।
????????????
धन्यवाद डॉक्टर सुधा जी….
बहुत ही अच्छा लगा किन नकलची बंदर शब्द का प्रयोग करना चाहिए या नहीं इस पर इस ब्लॉग पर बहस हो रही है। इसी से पता चलता है कि कितने सकारात्मक लोग आपका ब्लॉग पढ़ते हैं। एक छोटा सा सुझाव है अगर आप अपनी हर कविता के नीचे अपना नाम लिख देते तो यह समझने में आसानी रहती की यह कविता किसने लिखी हुई है। धन्यवाद
श्रीमान जो यहां पढ़ेगा उसको ही पता चलेगा। दूसरे पटलों पर अपना नाम कैसे बताएंगे ? और हमें हर बार कैसे पता चलेगा कि रचना किसने चोरी की है? रही सकारत्मकता की बात तो यह एक ऐसा पटल है जहां लोग खुद आते हैं अब वो क्या सोच रखते हैं ये तो उन्हीं को पता होगा।
दुनिया है तो अच्छे और बुरे इंसान दोनों हैं। शायद ही कोई बुरे को अच्छा कहेगा।
sir 'मत डर जो अंधेरी रात है' poetry ka poet koun hai?
पूजा जी ये कविता मैंने ही लिखी है।
Bahut hi acha h
Mai bhi likhta hu
Plz visit on my website
Kavisindhu.online
“नकलची बन्दरों ने….”
एक शिक्षक होकर ऐसी भाषा का प्रयोग….
माफ़ कीजियेगा संगीता जी ऐसी भाषा का प्रयोग मजबूरन करना पड़ा मुझे। लेकिन ये आप ही बताएं जब आप मेहनत करें और कोई और उस मेहनत का फल चुराए तो उसके लिए कैसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए?
अच्छी कविता है लेकिन शब्दों का मेल थोडा कुछ अलग ढंग से है-!
धन्यवाद
अच्छा या बुरा है अगर बता देते तो शायद मैं गलती सुधार लेता।
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद कमलेश जी।
Poem is not a complete Meaning.
जरूरी तो नहीं एक बात सब के लिए मायने रखती हो। किसी के लिए वो खास और किसी के लिए आम हो सकती है। इसलिए अपने विचार देने के लिए धन्यवाद।