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नमस्ते नमस्कार में अंतर – नमस्कार और नमस्ते, एक जैसे अर्थ वाले दो शब्द। लेकिन अगर इनकी गहराई में जाया जाए तो दोनों में अंतर है। मगर आज किसी के पास समय कहाँ की इतनी गहराई में जाए। खैर, हम आपको यहाँ पढ़ाने तो आये नहीं हैं। लेकिन एक ऐसी कहानी लाये हैं जो हमें हमारे किसी मित्र ने सुनाई थी। उसके बाद बात करेंगे इस विषय पर।
नमस्ते नमस्कार में अंतर
तिवारी जी, उत्तर प्रदेश के एक कसबे के 12वीं तक के स्कूल में रसायन शास्त्र ( इन शोर्ट केमिस्ट्री ) के अध्यापक थे। वे बहुत ही शांत स्वभाव के थे। इतने शांत स्वाभाव के कि अगर कक्षा में पढ़ाते समय कोई बच्चा कुछ शरारत करता या बातचीत करता तो उसे बाहर निकल देते थे। मारते कभी नहीं थे।
कक्षा समाप्त होने के बाद अध्यापक महोदय बाहर और बच्चे अन्दर। मिले हुए खाली समय में भी वे कोई न कोई काम करते रहते थे। कभी कोई शिकायत नहीं आई थी उनकी।
हमेशा की तरह एक दिन वे गलियारे से होते हुए अपनी कक्षा की ओर जा रहे थे।
“गुरु जी नमस्कार।”
गलियारे में अपने साथी के साथ खड़े एक विद्यार्थी ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
तिवारी जी के चलते हुए कदम अचानक रुक गए। उन्होंने उस विद्यार्थी की ओर देखा। तकरीबन 4 कदम की दूरी पर खड़े तिवारी जी ने उसे हाथ से इशारा करते हुए अपने पास आने के लिए कहा।
जैसे ही वह विद्यार्थी तिवारी जी के पास पहुंचा तिवारी जी ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया और अपने रुके हुए कदम कक्षा की तरफ बढ़ा लिए।
तमाचा इतना जोरदार था की गलियारे सहित खेल के मैदान में भी शांति छा गई। किसी चीज की आवाज आ रही थी तो वो बस तिवारी जी के क़दमों की।
ये थप्पड़ क्यों पड़ा?
बस यही प्रश्न उस विद्यार्थी को बेचैन किये जा रहा था। और ये कहानी सुनते हुए मुझे भी कि आखिर उन्होंने थप्पड़ मारा क्यों?
फिर उस विद्यार्थी ने वाही किया जो आप या हम करते।
पहुँच गया प्रधानाध्यापक महोदय के पास। सुना दी अपनी पूरी व्यथा। कि किस तरह अभिवादन करने के बदले उसे थप्पड़ खाना पड़ा।
प्रधानाध्यापक महोदय की तरफ से तिवारी जी को भी बुलाया गया। उनसे पूछा गया कि आखिर आपने अभिवादन करने के बदले में थप्पड़ क्यों मारा?
“ मैं जब गलियारे से जा रहा था तो इस बच्चे ने मुझे नमस्कार बुलाया। ”
तिवारी जी बोल ही रहे थे कि उन्हें काटते हुए प्रधानाध्यापक महोदय गुस्से में उस विद्यार्थी बोलने लगे,
“बस यही तमीज रह गयी है तुम्हें। अध्यापक को नमस्कार बुलाते हो? नमस्कार बुलाया जाता है या नमस्ते?”
अब यही सवाल मेरा आपसे है कि आपको क्या लगता है? क्या नमस्ते और नमस्कार अलग-अलग हैं?
तो जानने वाली बात ये है कि नमस्ते और नमस्कार मे अन्तर क्या है?
नमस्ते हमेशा अपने से बड़ों के लिए प्रयोग किया जाता है। जबकि नमस्कार अपने बराबर या अपने से छोटे व्यक्ति के लिए किया जाता हैं।
वैसे ऐसा भी माना जाता है कि ‘नमः’ का मतलब ‘अभिवादन’ और ‘ते’ का मतलब ‘आपका’ होता है । इसलिए नमस्ते का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आपका अभिवादन’ हुआ या नमः अस्तुते मैं आपकी स्तुति/ अभिनंदन करता हूँ।
दूसरी तरफ नमस्कार का भी एक सांकेतिक मतलब होता है. नमस्कार का शाब्दिक अर्थ अभिवादन स्वीकार करना होता है नमः स्वीकार यानी आपका अभिनंदन स्वीकार करता हूं।
चलिए आशा करते हैं यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आई होगी।
यदि आप जानते हैं नमस्ते और नमस्कार से जुड़ी कोई अन्य जानकारी तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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धन्यवाद।