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लाल बहादुर शास्त्री पर कविता ( Lal Bahadur Shastri Par Kavita ) में 1964 से 1966 तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया है। कच्ची उम्र से ही महात्मा गांधी के अनुयायी रहे लाल बहादुर शास्त्री जी का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। सन् 1965 के भारत – पाक युद्ध के दौरान उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर जहाँ सैनिकों के मन में उत्साह का संचार किया वहीं किसानों का, खाद्यान्न के क्षेत्र में देश कोआत्मनिर्भर बनाने के लिए आह्वान किया। कष्ट और अभावों में पले लाल बहादुर शास्त्री विनम्र होने के साथ ही चट्टान की तरह दृढ़ थे। ताशकंद में उनके असामयिक निधन से पूरा देश स्तब्ध रह गया था। लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी सादगी, ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा और देश के प्रति समर्पण भाव के लिए याद किया जाता है।
लाल बहादुर शास्त्री पर कविता

लाल बहादुर शास्त्री जी थे
भारत माँ के सच्चे लाल,
उनका सीधा – सादा जीवन
था अपने में एक मिसाल।
कर्मठ नेता वह भारत के
सदा दिखावे से थे दूर,
अपने पर विश्वास रहा था
हरदम ही उनको भरपूर।
लड़ी लड़ाई आजादी की
गए जेल कितनी ही बार,
अंग्रेजों की सही यातना
कभी न लेकिन मानी हार।
संकट में जब घिरा देश था
किया इसे नेतृत्त्व प्रदान,
जय – जयकार किया कृषकों का
दिया जवानों को सम्मान।
कर्त्तव्यों के पालन में वे
हुए न तिलभर भी दिग्भ्रान्त,
प्राणों से प्रिय रहे उन्हें थे
नैतिक मूल्यों के सिद्धान्त।
रहे शान्ति के सदा पक्षधर
नहीं किसी से पाला बैर,
युद्ध थोपने वाले की पर
नहीं रखी थोड़ी भी खैर।
ताशकंद में पता न कैसे
हुआ देह का था अवसान,
खबर सुनी तो साथ देश के
सारा विश्व हुआ हैरान।
भले रहे वे कद में छोटे
किन्तु होंसले रहे बुलन्द,
आदर्शों की लौ जीवन में
कभी नहीं दी पड़ने मन्द।
लाल बहादुर रहे जलाए
सत्य न्याय की प्रतिपल जोत,
उनके कार्य विचार आज भी
बने प्रेरणा के हैं स्रोत।
शास्त्री जी का जीवन परिचय
- जन्म : 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय (उत्तर प्रदेश)
- संघर्ष : स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल गए
- योगदान : प्रधानमंत्री के रूप में “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया
- निधन : 11 जनवरी 1966, ताशकंद (रहस्यमयी परिस्थितियों में)
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लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनकी सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजती है। इस कविता और लेख के माध्यम से हम उनके महान आदर्शों को याद करते हुए यही संकल्प ले सकते हैं कि हम भी अपने जीवन में सत्य, न्याय और सेवा के पथ पर चलें।
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