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हनुमान चालीसा पाठ हिंदी मै pdf | सम्पूर्ण हनुमान चालीसा डाउनलोड pdf ebook

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

हनुमान चालीसा पाठ हिंदी मै pdf ( Hanuman Chalisa In Hindi Pdf ) ऐसा माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। उन्होंने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएँ रची जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं। उत्तर भारत में हनुमान चालीसा कई हिन्दुओं को कंठस्थ है। इसकी रचना मुग़ल सम्राट अकबर के समय गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। आइये आनंद लेते हैं सम्पूर्ण हनुमान चालीसा पाठ हिंदी मै ( Hanuman Chalisa In Hindi Pdf ) का, इस पोस्ट के नीचे आप पीडीऍफ़ फाइल भी डाउनलोड कर सकते है :-

Hanuman Chalisa In Hindi Pdf
हनुमान चालीसा पाठ हिंदी मै

हनुमान चालीसा पाठ हिंदी मै pdf

॥दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥

॥चौपाई॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ १ ॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥ २ ॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ ३ ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ४ ॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥ ५ ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥ ६ ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ ७ ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ ८ ॥
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ ९ ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥ १० ॥

लाय सँजीवनि लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥ ११ ॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ १२ ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥ १३ ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥ १४ ॥
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते।
कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥ १५ ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥ १६ ॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥ १७ ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ १८ ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ १९ ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ २० ॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ २१ ॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥ २२ ॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥ २३ ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥ २४ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ २५ ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ २६ ॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥ २७ ॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोहि अमित जीवन फल पावै॥ २८ ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ २९ ॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥ ३० ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता॥ ३१ ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥ ३२ ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥ ३३ ॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥ ३४ ॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥ ३५ ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ ३६ ॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ ३७ ॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥ ३८ ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ ३९ ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥ ४० ॥

॥दोहा॥

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥

हनुमानचालीसा PDF फाइल डाउनलोड करें।

पढ़िए कुछ और भक्तिमय रचनाएं :- 

धन्यवाद्।

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13 comments

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Rakesh मई 6, 2019 - 2:25 अपराह्न

Pooree hanuman chalisa ka hindi main translation mil saktaa hai

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pushpa devi मार्च 16, 2018 - 8:03 पूर्वाह्न

जुग जुग जीयो पुत्र भगवान तुझ जैसा कर्मठ बेटा सबको दे
जय श्री राम

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मार्च 16, 2018 - 10:41 पूर्वाह्न

धन्यवाद पुष्प देवी जी।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 9, 2018 - 9:09 अपराह्न

धन्यवाद रजीदा प्रवीन जी।

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Avinash kumar फ़रवरी 4, 2018 - 8:49 अपराह्न

मेरे शंका का सभाधान करने आपका धन्यवाद मेरे दोस्त

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 4, 2018 - 9:27 अपराह्न

अविनाश जी आपका भी धन्यवाद।

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Avinash kumar जनवरी 27, 2018 - 9:18 अपराह्न

आपके इस लेख में हनुमान चलीसा के दोहा के दूसरे पंक्ति मे लिखा है बरनऊँ रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि लेकिन मैंने किसी हनुमान चलीसा के किताब मे उसी पंक्ति लिखा देखा बरनऊँ रघुवर विमल यस जो दायकु फल चारि तो क्या आपका लिखा हुआ और किताब का दोनो सही है या फिर आपसे या किताब के प्रकाशक से लिखने में भुलचुक हूई

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 31, 2018 - 9:28 अपराह्न

अविनाश कुमार जी हम अपने स्तर पर जितना भी देख पाये हमने "जसु" लिखा ही पाया। हो सकता है प्रकाशक से कोई त्रुटी हुयी हो लेकिन हम इस बात की पुष्टि नहीं करते। धन्यवाद।

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avinash kumar जनवरी 26, 2018 - 8:38 अपराह्न

इस लेख के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर

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sonu जनवरी 24, 2018 - 8:33 अपराह्न

very good sir i like it very much

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 27, 2018 - 7:57 पूर्वाह्न

Thank you very much Sonu bro..

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vipin prajapati सितम्बर 14, 2017 - 11:35 अपराह्न

jay shree ram verygood sir

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 15, 2017 - 6:33 पूर्वाह्न

जय श्री राम।

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