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जिंदगी के अलग-अलग रंग । जिंदगी में आने वाले अलग अलग मोड़ में हम कैसे रास्ते चुन के अपनी जिंदगी में कैसे कैसे रंग भरते है, पढ़िए ये कहानी।
जिंदगी के अलग-अलग रंग
हरी और सुन्दर एक दुसरे के पड़ोस गाँव में रहते थे। दोनों के घरेलु हालात और जीवन लगभग एक दुसरे का प्रतिबिम्ब था। दोनों एक ही फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। दोनों की उम्र भी लगभग सामान थी। दोनों के ही दो बच्चे एक बेटे और एक बेटी थी। दोनों की आर्थिक हालात और घर-गृहस्थी भी सामान थी। इन लोगो ने अपने जवानी में ही प्रेम प्रसंग में पड़ कर घर से भाग कर शादी कर ली थी।
इनके भागने से उनके घर वालो को समाज में कलंकित और दण्डित होना पड़ा था। इसके बाद ये लोग यहाँ इस गाँव में आके बस गये थे। चुकी ये लोग घर से भागे हुए थे इसलिए जिस गाँव में आके बसे थे वहाँ के लोग भी इनसे ज्यादा हिल-मिल के नही रहते थे। लोगो का व्यव्हार इन लोगो से स्पष्ट झलकता था। बहुत मुश्किल से हरी ने इस गाँव में अपना घर बनाया था और पास के फैक्ट्री में काम ढूंढ पाया था।
जवानी में जिस प्यार में बड़े-बड़े सपने देखे थे की एक दुसरे के साथ कही दूर चले जायेंगे और जिंदगी को खुशियों से भर देंगे। वो सपने बस सपने ही थे जिंदगी से सामना हुआ तो वो प्यार का पूरा नशा उतर गया।
जिंदगी में आने वाली तकलीफों से अब वो लोग कभी-कभी इस बात का दुःख मानते थे की उन्होंने भाग कर शादी क्यों की, घर वालो के साथ रहते तो निश्चित ही जीवन इतना दुखदायी नही होता। बिलकुल यही कहानी सुन्दर की भी थी।
दोनों के हालात कुछ ठीक-ठाक चलने लगे थे। तभी फैक्ट्री में एक बहुत बड़ा हादसा हो गया। हरी और सुन्दर दोनों की उस हादसे में मौत हो गया। दोनों परिवारों का जो छत्र-छाया था वो अब छिन चुकी थी। इस मुश्किल हालात में हरी और सुन्दर की पत्नी टूट चुकी थी। उसके बच्चे भी कुछ समझ नही पाते की क्या किया जाये। वैसे वो लोग अभी इतने समझदार भी नही हुए थे।
उन्होंने अपने पति के अंतिम संस्कार करने और इस हालात में थोड़ी सहारा पाने के लिए अपने परिवार वालो से संपर्क करना चाहा लेकिन किसी ने भी इनकी मदद नही की। बहुत मुश्किल से और फैक्ट्री से मिले मुआबजे की रकम खर्च करके उनके अंतिम संस्कार का कार्यक्रम हो पाया था। अब उनके घर में कमाने वाला कोई ना था। जो कुछ उन्होंने बचत किया था उन्ही से खर्च चलाना पड़ रहा था।
हरी की पत्नी ने गाँव में मजदूरी करना सुरु कर दिया। सुन्दर की पत्नी ने भी गाँव में काम करना शुरू किया और उसके बेटे गोपाल ने और ज्यादा कठोर काम करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे समय बीतता गया। हरी की पत्नी एक बीमारी के चलते चल बसी।
अब उसका बेटा मोहन पढाई छोड़ के साथ काम ढूंढता था और जो भी काम मिल जाता था उसे करता था। उसने बहुत मेहनत किया ताकि उसकी बहन मधु की पढ़ाई जारी रहे। कभी-कभी उसकी बहन मधु अपने भाई को इतना मेहनत करते हुए देख रो पढ़ती थी। इधर सुन्दर की पत्नी और उसका बेटा भी बहुत मेहनत कर रहे थे पिंकी भी अपने भाई और माँ को मेहनत करते देखती थी।
समय बीते, मोहन ने पास के ही एक जमींदार के यहा उसके सब्जी के खेतो में काम करना शुरू कर दिया था। उसकी मेहनत देख के जमींदार उसे बाकियों से थोड़े ज्यादा पैसे देता था। कुछ सालो में ही वो दुसरे मजदूरो को सँभालने का काम देखने लगा और फिर सब्जी के खेतो का पूरा लेनदेन उसके हांथो में आ गया। मजदूरो से अच्छे व्यव्हार के कारन उसे सब मजदुर पसंद करते थे और खेती से मिलने वाले फायदे में होती बढ़ोतरी से जमींदार भी उससे खुश था।
उसकी घर की स्थिति अब सुधरने लगी थी। उसकी बहन स्नातक की पढाई कर रही थी। गोपाल की माँ और गोपाल ने बहुत मेहनत करके पास के एक शहर में एक किराये से दुकान ले लिया था जिसमे वो उसने लोहार का काम शुरू किया था। पिंकी भी अब कॉलेज में पढाई कर रही थी। गोपाल ने बहुत काम करके रात-दिन एक कर दिया था फलस्वरूप उनके घर की हालात भी अब सुधरने लगी थी। अपनी मेहनत से मोहन और गोपाल ने अपनी हालात बदले थे।
पिंकी और मधु जो की अब कॉलेज जाने लगी थी। वो लोग भी आजकल के नौजवानो की तरह प्यार के चक्कर में पड़ चुके थे। गाँव में ये बाते भी अब फैलने लगी थी। गोपाल और उसकी माँ ने बहुत मेहनत करके गाँव में इज्जत बनाये थे जो की पिंकी और उसके प्यार के चर्चो से फिर से धूमिल होने लगे थे। फिर भी गोपाल को इस बात की खबर नही थी। उसने अपनी बहन को पढ़ाने के लिए अपना जी जान लगा दिया था उसे अपनी बहन पर बहुत ज्यादा भरोसा था इसलिए उसने जहाँ पढ़ना चाह वहा उसे पढ़ाया। एक दिन पिंकी उस लड़के के साथ घर से भाग गयी।
इधर मधु ने खुद अपने भाई को सारी बात बताई और कहा की वो उससे शादी करना चाहते है। मोहन ने कहा की अगर लड़का सही हुआ तो शादी जरुर होगी। लेकिन लड़का अलग जाति के होने के कारन ये गाँव और समाज के लोग इस शादी को स्वीकार नही करेंगे। जैसा हमारे माता पिता के साथ हुआ था हो सकता है वैसा तुम्हारे साथ भी हो। मै नही चाहता की मेरी बहन को लोग बदनाम करे या कुछ भी गलत कहे।
लेकिन मोहन समझदार था। उसने उस लड़के को बुलाया। मधु और उसे समझाया की किस तरह से वो लोग शादी भी कर पाएंगे और समाज में इज्जत से भी रह पाएंगे। उस दिन के बाद से मधु और उस लड़के ने मोहन के बताये तरीके को पूरा करने में जी जान से जूट गये।
इधर बेटी के घर से भाग जाने से गोपाल की माँ तो अधमरी सी हो गयी थी। गोपाल भी बहुत रोया था अन्दर ही अन्दर। वो बहन जिसके लिए उसने दिन-रात एक करके मेहनत करके उसे कभी तकलीफ ना पहुचने दिया एक दिन वही उनको ऐसे छोड़ के चल देगी इसकी कल्पना भी उसने नही किया था।
उसकी माँ को आज इस बात का अहसाह होने लगा था की जब वो घर से भागी थी तो उसके माँ बाप पर क्या बीती होगी। बहुत ढूंढने के बाद भी ना मिला, जो थोड़ी बहुत इज्जत बनायीं थी वो भी जाती रही। कुछ दिन बहुत ही दुःख और तनाव में जीके गोपाल ने फांसी लगा ली। उसकी माँ बहुत दिन तक दुःख और सदमे में रही।
इधर बहुत मेहनत और पढाई करके मधु ने कलेक्टर बनने का अपना और अपने भाई का सपना पूरा कर लिया था। वो लड़का जिससे वो प्यार करती थी वो शहर के एक स्कूल में हेडमॉस्टर बन गया था। यही बात मोहन ने इन लोगो को समझाया था की समाज हमेशा छोटे लोगो पर लगाम कसता है।
अगर उस लड़के से शादी करना चाहती हो जिससे तुम प्यार करती हो लेकिन सामने सामाजिक बंधन दिखे तो फिर अपने आप को उस मुकाम में ले जाओ जहाँ समाज तुमपे ऊँगली ना उठा सके।
जब समाज में कद बड़ा हो जाता है तब सामाजिक बधन बाँध नही पाती। और तुम वो कर पाओगी जो करना चाहती हो। इसलिए पहले खुद को साबित करो, पैसे कमाओ, और ऊँचे पद में जाओ। चूँकि अब दोनों इज्जतदार, ऊँचे पद वाले और पैसे वाले हो चुके थे इसलिए उन दोनों ने शादी करली और वो भी धूमधाम से।
वो लड़का जिसके साथ पिंकी भागी थी अब वो प्यार का नशा धीरे धीरे कम हो चूका था। अब एक दुसरे से उब से चुके थे। कभी कभी छोटी छोटी बातो पे तकरार हों जाता था। जिस प्यार के सपने देख के उन्होंने घर छोड़ा था जिंदगी के संघर्षो में वो गुम हो गया था। एक दिन वो लड़का जिसके साथ पिंकी भागी थी, वो किसी और लडकी के साथ भाग गया। अंत में पिंकी वापस अपने घर आई जहा उसकी बूढी हो चुकी माँ भीख मांग के गुजरा करती थी। जब उसे पता चला की उसके भागने से उसके माँ और भाई का क्या हुआ तो वो फूट फूट के रोने लगी और अपनी माँ के पैरो में गिर पड़ी….
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