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हम में से कई लोग अकसर ये सोचते रहते हैं कि उनके जीवन में कोई आएगा और उनके जीवन को बदल देगा। कुछ लोग खुद ही अपने जीवन को बदलने का प्रयास करते हैं। लेकिन उनकी कुछ कमजोरियां उन्हें आगे बढ़ने नहीं देती। वो उस कमी को जानते हैं लेकिन वो भी सोचते हैं कि कोई चमत्कार हही उनकी इस कमी को दूर कर सकता है। इसी विषय पर आधारित है यह आत्मविश्वास पर कहानी । आइये पढ़ते हैं आत्मविश्वास पर कहानी ” जादुई तलवार ” :-
आत्मविश्वास पर कहानी
आश्रम में आज फिर से तलवारबाजी सिखाई जा रही थी और रोज ही की तरह धीरेन्द्र अपने अंदर के डर के कारण तलवार नहीं चला पा रहा था। गुरु जी ने उसे बहुत बार समझाया कि जब तक वह अपने अन्दर के डर को बहार नहीं निकाल देता। तब तक वह तलवारबाजी नहीं कर सकता।
लेकिन क्या स्वाभाव बदलना इतना ही आसान होता है ?
ऐसा नहीं था कि वह तलवारबाजी जानता नहीं था। गुरूजी ने उसे खुद देखा था जब वो अकेले में अभ्यास कर रहा था। बहुत ही बढ़िया ढंग से तलवार चला रहा था। लेकिन जैसे ही किसी से मुकाबला करवाया जाता वह तलवार न चला पाता।
धीरेन्द्र अपने गुरु का बहुत प्यारा शिष्य था। इसका कारण यह था कि वह हर काम में आगे था। बस अगर उसमें कोई कमी थी तो वो ये की वह अब तक मुकाबले में तलवार चलानी नहीं सीख पाया था।
जब भी वह तलवार चलानी सीखने जाता तब-तब सामने वाले के हाथों में तलवार देख कर उसके पसीने छूट जाते। उसके हाथ कांपने लगते।
एक दिन गुरु जी ने धीरेन्द्र को अकेले में अपनी कुटिया में बुलाया और बोले,
“मैंने बहुत प्रयास किया कि तुम तलवार चलानी सीख लो। लेकिन तुम अपने भय को अपने अंदर से निकाल नहीं पा रहे हो।“
“गुरुदेव मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूँ कि ऐसा क्यों होता है। सामने वाले के हाथों में तलवार देख मुझे ऐसा लगता है जैसे वो अभी मेरा सर धड़ से अलग कर देगा।”
धीरेन्द्र ने अपनी समस्या बताते हुए गुरु जी से कहा।
“मुझे पता है धीरेन्द्र। इसीलिए आज मैंने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है।”
इतना कहते हुए उन्होंने एक तलवार उठायी और धीरेन्द्र को दिखाते हुए बोले,
“ये जादुई तलवार है जो मुझे मेरे गुरुदेव ने दी थी। इस तलवार को चलाने वाला कभी भी हारता नहीं है। तुम मेरे प्रिय शिष्य हो इसलिए आज मैं यह तलवार तुम्हें सौंप रहा हूँ। आशा करता हूँ ये तुम्हारे काम आएगी।”
गुरु जी धीरेन्द्र को तलवार दे देते हैं और यह बात पूरे आश्रम में फ़ैल जाती है कि गुरु देव ने धीरेन्द्र को जादुई तलवार दी है।
अगले दिन जब धीरेन्द्र वह जादुई तलवार लेकर अभ्यास करने जाता है तो सब देख कर हैरान रह जाते हैं।
यह धीरेन्द्र पुराना धीरेन्द्र नहीं था। उसके अन्दर आज एक अलग ही जोश था। ऐसा लग रहा था मानो कोई नौसिखिया नहीं बल्कि कोई हुनरबाज़ तलवार चला रहा हो।
कारण सब जानते थे। आज धीरेन्द्र के पास जादुई तलवार जो थी। धीरेन्द्र एक पल के लिए घबराया जरूर था लेकिन उसे गुरु की बात याद आ गयी की इस तलवार को चलने वाला कभी हरता नहीं।
अभ्यास समाप्त हुआ फिर भी सब शांत ही खड़े थे।
“आज तुम्हारी मेहनत रंग लायी।” सबसे आगे खड़े गुरु जी ने धीरेन्द्र की प्रशंसा करते हुए कहा।
“लेकिन गुरुदेव कमाल तो जादुई तलवार का था जो आपने धीरेन्द्र को दी है।”
गुरु जी को रोकते हुए वहां खड़े शिष्यों में से एक ने कहा।
– जादुई तलवार? कौन सी जादुई तलवार? ये कोई जादुई तलवार नहीं है। हाँ ये मैंने दी जरूर है लेकिन इसमें कोई जादू नहीं हैं। अगर आज कोई जादू हुआ है तो वो है धीरेन्द्र के अन्दर से डर का छू मंतर होना।
“क्या मतलब?”
– मतलब ये कि ये तलवार प्राप्त कर धीरेन्द्र को यह लगने लगा कि यह जादुई तलवार है। लेकिन ऐसा कुछ था ही नहीं। धीरेन्द्र ने बस मेरे बोले गए शब्दों पर विश्वास किया। और अगर सच्चाई देखी जाए तो जादू तलवार में नहीं मेरे शब्दों में था जिसने धीरेन्द्र को भयमुक्त बना दिया।
अब असली बात सब को समझ आ गयी थी।
तो दोस्तों इसी तरह हमारे जीवन में भी अगर कोई जादू होता है तो हमारे अन्दर ही होता है। हमारे शब्दों में होता है। कई बार हमारे शब्द ही किसी का जीवन बदल देते हैं। हमारे शब्द किसी निराश व्यक्ति में जीने का एक नया विश्वास भर सकते हैं।
यदि आज जरूरत है तो बस दूसरों को वो जादुई तलवार थमाने की जिस से वो अपनी समस्याओं को दूर कर जीवन में आगे बढ़ सकें। वो जादुई तलवार और कुछ नहीं बल्कि आपके शब्द ही हैं। जो किसी का आत्मविश्वास बढ़ा कर उस से वो भी करवा सकते हैं जो लोगों ओ असंभव लगता है।
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