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रामनवमी पर निबंध | रामनवमी का इतिहास, महत्त्व और कविता

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

रघुकुल नंदन राम, जिनकी महिमा सारा संसार गाता है। तुलसीदास जी उनके बारे में कहते हैं कि यदि कलयुग में जन्म-मरण के चक्कर से मुक्ति चाहिए तो उसका मात्र एक उपाय है। वह है राम नाम का निरंतर जाप करना। प्रभु राम ने तो पत्थर को नारी बना दिया। शबरी के जूठे बेर खाए। रावण का संहार किया। आइये जानते हैं उन्हीं प्रभु राम के जन्मदिवस पर मनाये जाने वाले उत्सव रामनवमी के बारे में ” रामनवमी पर निबंध और कविता में ” :-

रामनवमी पर निबंध

रामनवमी पर निबंध

रामनवमी का इतिहास

रामनवमी भगवान् राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में माया जाता है। यह त्यौहार माँ दुर्गा के नवरात्रों के समापन के बाद जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है।

त्रेतायुग में जब धरती पर रावण व अन्य राक्षसों द्वारा किए जाने वाले पापों में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गयी तब भगवान विष्णु ने उनके संहार के लिए राजा दशरथ और कौशल्या के घर जन्म लिया।

रामायण के अनुसार जब राजा दशरथ के घर किसी संतान का जन्म नहीं हुआ तो उन्होंने कमेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप उनके घर माता कौशल्या ने भगवान राम, माता कैकयी ने भरत और माता सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।

भगवान राम के जन्म का मुख्य उद्देश्य रावण का संहार करना था।

राम नवमी का महत्त्व

रामनवमी का भारत में बहुत महत्त्व है। खासकर हिन्दू धर्म के लोगों में यह त्यौहार बहुत हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग मंदिर जाते हैं और भगवान राम की पूजा अर्चना करते हैं।

रामनगरी अयोध्या में राम जी का मंदिर बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया जाता है। इस दिन यहाँ देशभर से लोग भगवान राम के दर्शन करने आते हैं। सरयू नदी में स्नान कर लोग भगवान राम की पूजा अर्चना करने जाते हैं। आधी रात से ही लोग मंदिरों के बाहर खड़े हो जाते हैं। ढोल मंजीरे बजाते हुए साब भगवान राम के गीत गाते रहते हैं।

राम नवमी भारत में हजारों वर्षों से मनाई जा रही है। भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम ने एक मानव के रूप में हमें जीवन जीने का पथ सिखाया है। जीवन में बहुत विपत्तियाँ आने पर भी उन्होंने धैर्य और संयम का साथ नहीं छोड़ा। सबको मानवता का पाठ पढ़ाया।

रामनवमी पर कविता

पाप बढ़ा धरती पर
बढ़ गया अत्याचार,
मुझे बचा लो तुम प्रभु
धरा थी रही पुकार।

बस यही उद्देश्य था
हो पापियों का संहार,
चैत्र माह नवमी तिथि
लिए भगवन अवतार।

अवधवासी मग्न सब
कर रहे जय जयकार,
किए प्रभु दर्शन हुआ
जीवन मनुज साकार।

जन्मोत्सव मना रहा
आज भी यह संसार,
श्री राम करते सदा
सब जन का बेड़ा पार।

पढ़िए :- सेतु निर्माण से जुड़ी कहानी “राम नाम की महिमा”

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धन्यवाद।

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