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आज हमारे देश की हालत तो आप सभी को पता ही है। हमारा देश कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था। लेकिन इस चिड़िया के पर काट लिए गए। पहले मुग़लों ने जी भर कर लूटा। जब कुछ बचा तो अंग्रेज आ गए। उन्होंने देश तो लूटा ही साथ में आपसी फूट भी डाली। कई वीरों ने शहीद होकर देश की आज़ादी की नींव रखी। उनका सपना था कि देश आजाद होगा तो सबको उनका अधिकार मिलेगा। देश में शांति स्थापित होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
आज भी इस देश का वही हाल है कुछ बदला है तो बस चेहरा। बेईमान लोग बेशर्माों की तरह अपराध करते हैं और कमजोर पर अत्माचार करते हैं। यही देश की दुर्दशा को प्रस्तुत किया गया है कविता ” इन बेशर्मों की बस्ती में ” :-
हिंदी कविता – इन बेशर्मों की बस्ती में
इन बेशर्मो की बस्ती में
कुछ बड़े ही इज़्ज़तदार बने,
हद कर दी है बेशर्मी की
फिर भी है इनके नाम बड़े।
ये लूटे भरे बाजारों में
जा बैठे मिल सरकारों में,
धिक्कार है ऐसे लोगों पर
जो जनता पर अत्याचार करें।
इन बेशर्मो की बस्ती में
कुछ बड़े ही इज्जतदार बने।
बैठें हैं ये जो आसन पर
भगवान के नाम पर लूट रहे,
वेश धरा है जोगी का
पर दिल में सदा ही खोट रहे।
देते हैं ज्ञान इमान के ये
अंदर से बेईमान बड़े,
इन बेशर्मों की बस्ती में
कुछ बड़े ही इज्जतदार बने।
मानवता के नाम पर अब
कुछ गोरखधंधे करते हैं,
बेच अगं इंसान का ये
अपनी ज़ेबें ही भरते हैं,
हालत है नाजुक दुनिया की
कुछ भी ना इनके बस में है,
जीवन की कीमत सस्ती है
लेने को ये यमराज खड़े,
इन बेशर्मों की बस्ती में
कुछ बड़े ही इज़्ज़तदार बने।
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धन्यवाद।
9 comments
आजादी के नाम पर मिला धोखा है|देश की दुर्दशा आज और भी भयानक होती जा रही है| आजादी के पहले भी देश गरीब जनता शोषित थी और आजादी के बाद भी ये गरीब मजदूर जनता,जिनकी गाढ़ी कमाई से देश चलता है बेहद बूरी तरह शोषित है|इनकी दैयनीय जिंदगी की तरफ़ किसी का ध्यान नहीं है|मेरी आपसे प्रार्थना है कि इन बातों को ध्यान में रखकर एक सुलेख लिखें|
भाई मैं दिल की बात को शब्दों में बयां नहीं कर पाया आप ही वो शख्स हो जो मेरे अंदर बैठकर मेरे ही शब्दों को अपनी लेखनी में पिरो दिया आपका बहुत-बहुत साधुवाद
आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद विनोद कुमार जी..
सुन्दर रचना
धन्यवाद सुशील जी।
चर्चा में शामिल करने ले जा रही हूँ ….
जरूर विभा जी लेकिन बता देती कहाँ तो शायद हमें और प्रसन्नता होती।
Very good poem sir.
Aapko mahilaao ki durdasha pe likhana chahiye .
Jis desh me devi ki puja jo rahi waha .bacchiya bhi surakshit nai……itna kast deta hai ye…
विशाल श्रीवास्तव जी हम महिलाओं की हालत पर कविता लिखने का प्रयास अवश्य करेंगे। सुझाव देने के लिए धन्यवाद।