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अक्सर हमारी जिदगी में कुछ ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, जब हम अहंकार में आ कर अपना खुद का नुकसान कर लेते हैं। उस समय हम अपनी गलती होते हुए भी अपनी गलती स्वीकार नही करते। जिस से आगे चल कर हमे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हम खुद में जरा सा सुधार कर अपनी जिन्दगी को खुशियों से भर सकते हैं। ऐसा ही कुछ इस दो अच्छे दोस्त की कहानी में आपको पढने और सीखने के लिए मिलेगा।
अच्छे दोस्त – राज और आर्यन
राज और आर्यन बहुत अच्छे दोस्त थे। बचपन से दोनों बहुत दो अच्छे दोस्त थे। पढने तो दोनों औसत ही थे। लेकिन राज को गप्पे हांकने कि बहुत आदत थी। आर्यन उसकी इस आदत से अच्छी तरह वाकिफ था।
आर्यन अक्सर उसकी इस आदत का फ़ायदा उठा कर उसके मजे लिया करता था। उसने कई बार उसे कहा भी, कि अपनी ये आदत छोड़ दे लेकिन राज को लगता था कि राज उसके तेज दिमाग को समझ नहीं पाता। और उसे बेवक़ूफ़ समझता है। कभी-कभी उनमे नोक-झोंक भी हो जाती थी। लेकिन उन्होंने कभी इस बात को दिल पे नहीं लिया।
अब दोनों जवान हो चुके थे। और अपनी-अपनी जिन्दगी में व्यस्त हो चुके थे। दोनों बिज़नस करते थे। आर्यन अपनी मेहनत से बिज़नस को आगे बढ़ा रहा था। वहीं राज आज भी अपने दिमाग से ही काम लेता था। जिसकी वजह से वह बिज़नस में तो सफल हो रहा था । लेकिन लोगों कि नजरों में उसकी अहमियत कम होती जा रही थी।
आर्यन इस बात से संतुष्ट था कि उसके साथ बिज़नस करने वाले लोग उसके काम और उसके व्यव्हार से खुश थे। आर्यन ने राज के बिज़नस में भी एक दोस्त होने के नाते मदद की थी। दोनों कि दोस्ती बिज़नस में भी बरक़रार थी। सभी लोग उनकी दोस्ती कि मिसाल देते थे। लेकिन वहीं कुछ लोग आर्यन से ये भी कहते थे, कि उसे राज से दूर रहना चाहिए। आर्यन उनकी बात सुन कर अनसुनी कर देता। और अपनी दोस्ती को उसी तरह निभाता जैसे कि हमेशा से निभाता रहा।
एक दिन अचानक कुछ लोग आर्यन करे पास आये। ये वो लोग थे जिन्होंने आर्यन के कहने पर राज कि कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया था। परेशानी ये थी कि राज ने सभी इन्वेस्टर्स को होने वाले मुनाफे से बराबर का हिस्सा देना था। और सभी इन्वेस्टर्स इन्वेस्ट कर चुके थे। राज ने बिना किसी बताये एक इन्वेस्टर को अपनी कंपनी में इन्वेस्ट करवा लिया। इस बात का पता जब बाकि इन्वेस्टर्स को चला तो कुछ इन्वेस्टर अपने पैसे वापस मांगने लगे। आर्यन को पता था राज ने गलत किया है।
इसलिए आर्यन ने भी राज को समझाने कि कोशिश की लेकिन राज कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। मजबूरन राज को भी अपनियो इन्वेस्टमेंट वापस मंगनी पड़ी। जब आर्यन ने अपने पैसे वापस मांगे तो राज ने गुस्से में अपनी दोस्ती कर उसके और उसके साथ आये बाकी इन्वेस्टर्स के पैसे भी लौटा दिए।
जब नए इन्वेस्टर्स ने देखा कि आर्यन जो कि राज का जिगरी दोस्त था। उसने भी अपने पैसे वापस ले लिए तो उन्होंने ने भी राज पर भरोसा न करते हुए अपने पैसे वापस मांग लिए। अचानक ही कंपनी से इतने पैसे निकल जाने पर राज को बहुत बड़ा झटका लगा। वो अपनी दोस्ती भी खो चूका था। और अपना सम्मान भी।
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बचपन के दोस्त से बोलचाल बंद करने पर उसे उसकी कमी का अहसास होने लगा। लेकिन अहंकार कि भावना मन में होने के कारण वह आर्यन से माफ़ी नहीं मांगना चाहता था। इस समय से उसका ऐसा बुरा दौर चला कि वह अकेला पड़ गया। उसका बिज़नस घाटे में जाने लगा । वह दिवालिया होने कि कगार पर आ गया था। धीरे-धीरे ये बात आर्यन के कानो तक पहुंची।
आर्यन राज के स्वाभाव को अच्छी तरह से जानता था।उसे पता था कि राज माफ़ी मांगने महिम आएगा। फिर भी आर्यन ने मार्किट के कुछ लोगों से बात कर के उन्हें राज के साथ काम करने के लिए मनाया। आर्यन को उसके दोस्त कि काबिलियत का पता था। उसे पता था कि मार्किट में नाम ख़राब हो जाने के कारण कोई भी उसके साथ किसी भी तरह का बिज़नस नही करना चाहता था। आर्यन कि वाह से राज कि कंपनी बाख गयी और उसका बिज़नस फिर चल निकला। राज को इस बात कि भनक तक नही लगी थी।
मार्किट में कोई भी बात ज्यादा देर तक छुपी नही रह सकती थी। इसी कारण रा को भी पता चल गया कि अगर वो दुबारा एक नई पहचान बना पाया है तप वो आर्यन कि वजह से। जब उसे ये पता चला तो वो पूरी तरह से टूट गया। उसे वो पल याद आने लगे जब पहले भी आर्यन ने उसकी मदद कि थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसने अपनी गलती सुधारने का फैसला किया। वो आर्यन के पास गया।
उसने आर्यन से माफ़ी मांगी। आर्यन को पता था कि देर-सवेर उसका दोस्त वापस उसके पास वापस आएगा। राज ने उस दिन आर्यन से वादा किया कि अब उनकी दोस्ती में कभी भी मन-मुटाव नहीं होगा।। आर्यन ने उसे गले से लगा लिया और सारे शिकवे गिले मिटा कर दुबारा एक नई शुरुवात की। इस तरह दोनों ने दोस्ती और समझदारी कि एक नई मिसाल पेश की।
हम भी अक्सर ऐसी परिस्थितियों कई बार फंस जाते हैं। ऐसे समय में हमे अपने चाहने वालों कि बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। सिर्फ इतना ही नही यदि हमारा कोई दोस्त या चाहने वाला कभी कोई गलती कर देता है तो उसे दिल पर नहीं लेना चाहिए और मुसीबत में उसकी सहायता करनी चाहिए।
एक दोस्त या जिस भी रिश्ते में हम हैं, उस रिश्ते को हमे दिल से निभाना चाहिए। थोड़ी सी खटास आने पर उस से अपना मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। कुल मिला कर कहा जाये तो हमे एक सरल इन्सान बनना चाहिए और अहंकार का त्याग कर हर रिश्ते को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाना चाहिए।
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धन्यवाद।
4 comments
Bahut hi achi story hai
Thanks Sahil Chauhan Bro……
Bahut he acche story hai
धन्यवाद Dharmendra Prajapati जी…