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लालच से कभी किसी का भला नही हुआ है। जिंदगी में जो भी लालच करता है उसे हमेशा उसका फल भोगना पड़ता है। लालच करने वाले के हाथ अंत में कुछ भी नहीं आता। कैसे? आइये पढ़ते हैं “ लालच पर छोटी कहानी ” :-
लालच पर छोटी कहानी
बहुत पुरानी बात है किसी गाँव में दो मित्र रहते थे। उनमें से एक मित्र स्वार्थी और लालची था। जिसके बारे में पूरे गाँव को पता था। जबकि दूसरा बहुत ही सज्जन व्यक्ति था। दोनों में अभी तक कभी ऐसी नौबत नहीं आई थी कि कोई मन-मुटाव हो। लेकिन जल्दी ही ऐसा समय आ गया।
एक बार लालची मित्र के 40 रुपये कहीं खो गए। वह बहुत उदास हुआ। वह अपना दुःख बाँटने अपने मित्र के पास गया। उसके मित्र ने उसे दिलासा दी। फिर वह अपने घर चला गया।
थोड़ी देर बाद उस सज्जन मित्र की बेटी हाथ में 40 रुपये लेकर आई और अपने पिता को बताया कि उसे ये 40 रुपये रास्ते में मिले। उस लड़की के पिता अपने मित्र के पास गए और उसे बताया कि उसके जो 40 रुपये खो गए थे । वो रुपये उसकी पुत्री को मिले हैं। इतना कह कर उसने सभी पैसे अपने मित्र को दे दिए।
रुपये देख कर उसके मन का लालच जाग गया। रुपये गिनते ही उसने तुरंत कहा कि उसके 50 रुपये खो गए थे। बाकी के 10 रुपये कहाँ है? उसके मित्र ने बताया की उसकी बेटी को बस 40 रुपये ही मिले थे। लालची मित्र ने बनावटी गुस्से से कहा कि वो बाकी के रुपये भी उस से निकलवा लेगा। उसके मित्र ने कहा भी की बस 40 ही रुपये थे अगर 50 होते तो वह 50 ही वापस करता। लेकिन लालची मित्र नहीं माना।
लालची मित्र पंचायत में चल गया और उनसे शिकायत की कि उसके मित्र और उसकी बेटी ने उसके 10 रुपये रख लिए हैं।
दूसरे दिन पंचायत बुलाई गयी। उस लड़की और उसके पिता से पूछा गया तो उन्होंने कई बार बताया कि उसे बस 40 रुपये मिले थे। जो उन्होंने उसे दे दिए। अगर उन्हें रुपये चोरी करने ही होते तो वो 40 रूपए भी क्यों देते?
यह एक अजीब सी समस्या थी। जिस पर पूरे गाँव की नजर थी। पंचों को पता चल गया था कि लालची व्यक्ति झूठ बोल रहा है। उन्होंने कुछ देर आपस में विचार-विमर्श किया। थोड़ी देर बाद उन्होंने फैसला दिया,
“चूँकि आपके 50 रुपये खो गए थे और इस लड़की को 40 रूपये मिले हैं तो पंचायत ने यह फैसला किया है कि वो 40 रुपये भी तुम्हारे नहीं हैं। क्योंकि तुम्हारे 50 रुपये खोये थे। इसके साथ ही पंचायत यह भी कहना चाहती है कि अगर किसी के 40 रुपये खो गए हैं तो वो आकार इस लड़की से ले लें। और यदि किसी व्यक्ति को इनके खोये हुए 50 रुपये मिलते हैं तो इन्हें लौटा दीजिये।”
यह फैसला सुन उस लालची मित्र के पाँव तले जमीन खिसाक गयी। उसने तुरंत ही कबूल कर लिया कि वः झूठ बोल रहा था। उसे उसके 40 रुपये दे दिए जाएँ। लेकिन पंचायत ने उसकी एक न सुनी। उसके बाद वह लालची व्यक्ति अपना सिर पकड़ वहीं बैठ गया।
लालच के कारन ही उसे झूठ बोलना पड़ा उसी के 40 रुपये से हाथ धोना पड़ा। इतना ही नहीं भरी पंचायत में उसकी बेज्जती हुयी सो अलग।
दोस्तों इस कहानी से तो यही शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन में कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। न ही हमें अपनी जिंदगी में कभी झूठ का सहारा लेना चाहिए। क्योंकि ये दोनों चीजें इंसान को चैन से जीने नहीं देती। लोगों में हमारे प्रति दुर्भावना भी फैलाती हैं। इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सदा सच बोलेंगे और लालच से कोसों दूर रहेंगे।
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धन्यवाद।
1 comment
Bahut sundar laga aapka ye story. Inspiring and diffrent.